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Indradhanush Poem In Hindi – ‘ इन्द्रधनुष और बच्चे कविता ‘ में आकाश में बने इन्द्रधनुष को देखकर बच्चों के मन में उठती जिज्ञासाओं का चित्रण किया गया है। बच्चे स्वभाव से ही कल्पनाशील होते हैं। वे अपनी कल्पना के अनुसार इन्द्रधनुष बनने के कारणों को खोजने की कोशिश करते हैं। हमें बच्चों के मन को समझकर उनकी जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास करना चाहिए। बच्चों के द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर उन्हें झिड़कना नहीं चाहिए अपितु प्रेमपूर्वक उनकी उत्सुकता का निराकरण करना चाहिए। आज के समय में बच्चे एकाकीपन, तनाव और कुंठा के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में हमें बच्चों की दुनिया को समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता है।
Indradhanush Poem In Hindi
इन्द्रधनुष और बच्चे कविता
आसमान में टाँकी किसने
यह सतरंगी माला,
कौन अरे ! ढुलकाता है यह
भरा रंग से प्याला।
पता नहीं किसने लहराया
रंग बिरंगा आँचल,
झूल रहा या झूले पर आ
नभ में परियों का दल।
देख गगन में इन्द्रधनुष को
बच्चे हैं चकराए,
सबने अपनी सोच समझ से
हैं अनुमान लगाए।
रंग कल्पना के भरते हैं
बच्चे क्या ही सुन्दर,
नैसर्गिक यह प्रतिभा होती
सब बच्चों के अन्दर।
इन बच्चों के मन की दुनिया
होती बड़ी निराली,
मनती रहती रोज वहाँ पर
होली ईद दिवाली।
जिज्ञासाएँ इनके मन में
तरह-तरह की उठती,
नहीं शान्त ये हो पाएँ तो
कुण्ठा बनकर घुटती।
हम बच्चों की बातों का दें
ठीक तरह से उत्तर,
संशय दूर करें हम उनके
अपने पास बिठाकर।
इन्द्रधनुष कैसे बनता है
हम उनको बतलाएँ,
उनके मन के उलझे धागे
धीरे – से सुलझाएँ।
मित्र समझकर जब हम उनके
मन की बात सुनेंगे,
विद्रोही वे नहीं बनेंगे
अच्छी राह चुनेंगे।
झिझक हटा बच्चों की सारी
जब हम घुले मिलेंगे,
तब उनके मन इन्द्रधनुष के
सातों रंग खिलेंगे।
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