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पिता के जाने के बाद कविता – दूर पिता के जाने पर

by Sandeep Kumar Singh
3 minutes read

पिता, जिनके बारे में हम पहले भी कई रचनाएं आपके सामने प्रस्तुत कर चुके हैं। लेकिन हम पिता के बारे में जितना लिखें उतना ही काम है। यूं तो पिता का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है परंतु कई लोगों को यह बात तब समझ में आती है जब पिता हमसे दूर हो जाते हैं। उसके बाद हमें किस तरह पिता की कमी का अहसास होता है यही बयान कर रही है हमारी यह पिता के जाने के बाद कविता ” दूर पिता के जाने पर “

पिता के जाने के बाद कविता

पिता के जाने के बाद

सिर पर पिता का साया होना
क्यों होता है खास।
दूर पिता के जाने पर ही
होता है अहसास।।

बचपन से सभी सपने हमारे
करते थे साकार,
अनुभव से देते थे हमारे
जीवन को आकार,

घना अंधेरा अब जीवन में
होता नहीं प्रकाश।
दूर पिता के जाने पर ही
होता है अहसास।।

थाम के उंगली जिसकी हमने
अपने कदम संभाले,
जिसके हाथों से खाये थे
हमने कभी निवाले,

कैसे सहकर कष्ट हमें
न होने दिया उदास।
दूर पिता के जाने पर ही
होता है अहसास।।

पिता बिना न जीवन में
देता है कोई सहारा,
नहीं पूछता कोई हमसे
क्या है दर्द हमारा,

क्यों बैठे हैं तन्हा यूं हम
क्यों खोया विश्वास।
दूर पिता के जाने पर ही
होता है अहसास।।

सिर पर पिता का साया होना
क्यों होता है खास।
दूर पिता के जाने पर ही
होता है अहसास।।

इस कविता का वीडियो यहाँ देखें :-

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग पर कविता रूप में पिता पर कुछ पंक्तियां :-

” दूर पिता के जाने पर ” कविता आपको कैसी लगी? अपने विचार कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिखें। आपके विचार रचयिता के अमूल्य हैं।

धन्यवाद।

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