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जीवन में जो हर पल साथ निभाता है वो हमें सब कुछ देने वाला दाता है। अगर हम उसकी शरण में रहते हैं तो हमें किसी भी तरह की कोई हानि नहीं होती। इस कविता में कवि भी यही आशा रखते हुए प्रभु से अपनी लाज रखने की प्रार्थना कर रहा है। आइये पढ़ते हैं यह भक्तिमय विनती “ रखो लाज मेरी गुरु नानक ”
रखो लाज मेरी गुरु नानक
मेरा परिचय ना खास,
मैं आपका आप हो मेरे,
रहूँ बन चरणों का दास
रखो लाज मेरी गुरु नानक।
माया का मैं रोगी लोभी,
उच्च कोटि का वस्तु भोगी,
मुझे इस बवंडर से बचावो,
मेरी एक ही है अरदास,
रखो लाज मेरी गुरु नानक।
काली बदली मुझपे छाई,
दुश्मन हुआ है भाई-भाई,
करो उपाय ऐसा सद्गुरु,
टूटे ना मोरी आस,
रखो लाज मेरी गुरु नानक।
खेल करे कोई जानबूझकर,
मोहे सताए सूझबूझकर,
यशु जान की विनती सुनो,
बुरा ना होये आभास,
रखो लाज मेरी गुरु नानक,।
मेरा परिचय ना खास,
मैं आपका आप हो मेरे,
रहूँ बन चरणों का दास
रखो लाज मेरी गुरु नानक।
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यशु जान (9 फरवरी 1994-) एक पंजाबी कवि और अंतर्राष्ट्रीय लेखक हैं। वे जालंधर शहर से हैं। उनका पैतृक गाँव चक साहबू अप्प्रा शहर के पास है। उनके पिता जी का नाम रणजीत राम और माता जसविंदर कौर हैं। उन्हें बचपन से ही कला से प्यार है। उनका शौक गीत, कविता और ग़ज़ल गाना है। वे विभिन्न विषयों पर खोज करना पसंद करते हैं।
उनकी कविताएं और रचनाएं बहुत रोचक और अलग होती हैं। उनकी अधिकतर रचनाएं पंजाबी और हिंदी में हैं और पंजाबी और हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट पर हैं। उनकी एक पुस्तक ‘ उत्तम ग़ज़लें और कविताएं ‘ के नाम से प्रकाशित हो चुकी है। आप जे. आर. डी. एम्. नामक कंपनी में बतौर स्टेट हैड काम कर रहे हैं और एक असाधारण विशेषज्ञ हैं।
उनको अलग बनाता है उनका अजीब शौंक जो है भूत-प्रेत से संबंधित खोजें करना, लोगों को भूत-प्रेतों से बचाना, अदृश्य शक्तियों को खोजना और भी बहुत कुछ। उन्होंने ऐसी ज्ञान साखियों को कविता में पिरोया है जिनके बारे में कभी किसी लेखक ने नहीं सोचा, सूफ़ी फ़क़ीर बाबा शेख़ फ़रीद ( गंजशकर ), राजा जनक,इन महात्माओं के ऊपर उन्होंने कविताएं लिखी हैं।
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