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मकर संक्रांति पर हिंदी कविता | Makar Sankranti Poem In Hindi


मकर संक्रांति पर हिंदी कविता

मकर संक्रांति पर कविता

सूर्य धरा के सब जीवों के
है जीवन का दाता,
हँसने लगती दसों दिशाएँ
जब – जब यह मुस्काता।

जड़ – चेतन सब ही सूरज से
अपनी ऊर्जा पाते,
इसीलिए इसकी महिमा को
ग्रंथ सभी हैं गाते।

इसी सूर्य का मकर राशि पर
जब होता है आना,
तब मौसम होने लगता है
सचमुच बड़ा सुहाना।

ऋतु सर्दी की धीरे-धीरे
लगती है अब जाने,
ताप – वृद्धि की ओर जगत यह
लगता कदम बढ़ाने।

सूरज के स्वागत में उड़ती
नभ में कई पतंगें,
उल्लासों की मन में ऊँची
उठती आज तरंगें।

तमिलनाडु में ‘पोंगल’ कहकर
इसे मनाया जाता,
वहीं असम में ‘माघ बिहू’ से
यह पहचान बनाता।

पर्व ‘लोहड़ी’ पर खुशियों की
फसलें नई सजाते,
हरियाणा पंजाब इसे हैं
इक दिन पूर्व मनाते।

संक्रान्ति पर्व सूर्यदेव का
करता है आराधन,
उन्हें अर्घ्य देकर करते हम
कृतज्ञता ही ज्ञापन।

प्रकृति धर्म संस्कृति का है
पर्व बहुत यह पावन,
एक सूत्र में पूर्ण देश का
करता जो संयोजन।

उत्तरगामी रविकिरणों से
सारा जग चमकाता,
मकर संक्रान्ति पर्व सभी का
जीवन है महकाता।

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