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सफलता की प्रेरक कहानी :- दो दोस्तों की सकारात्मक सोच पर कहानी


सफलता की प्रेरक कहानी में पढ़िए दो ऐसे दोस्तों की कहानी जिनमें से एक ने सोच के साथ अपनी जिंदगी भी बदल ली। दोस्तों, आज के समय में यदि आप दुनिया में एक नया मुकाम पाना है तो आप को कुछ तो अलग करना ही होगा। आपने अकसर ऐसे लोगों के बारे में सुना होगा जो कहते हैं, “हम प्रयास तो बहुत करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पा रहे।”

ज़माने से जुदा जिनका कोई भी काम होता है,
ज़माने भर में अकसर उनका ही तो नाम होता है।

तो असलियत यह है कि सिर्फ प्रयास करने से कुछ नहीं होता। आपको सही दिशा में प्रयास करना चाहिए। तभी आपको सफलता की प्राप्ति हो सकती है। कैसे आइये पढ़ते हैं इस ” सफलता की प्रेरक कहानी ” में :-

सफलता की प्रेरक कहानी

सफलता की प्रेरक कहानी

दो अलग-अलग गाँव में दो आदमी रहे थे। एक का नाम रमेश था और दूसरे का संतोष। दोनों मजदूर थे। वो जंगल में जाते और चट्टानों से पत्थर तोड़ कर उन्हें शहर में शिल्पकार के यहाँ बेच आते। उनकी मुलाकात जंगल में ही हुई थी। काफी समय बीत जाने के बाद दोनों में दोस्ती हो गयी और दोनों एक दूसरे से दिल की बातें करने लगे।



एक दिन न जाने संतोष के दिमाग में क्या आया। वो बोलने लगा,

“यार रमेश क्या हमारी जिंदगी इसी तरह मजदूरी करते हुए कटेगी? कितनी मेहनत करने के बाद भी हम आगे नहीं बढ़ पा रहे। आखिर कब तक चेलगा ये सब?”

“बात तो तेरी सही है। अगर जिंदगी बदलनी है तो कुछ तो करना ही पड़ेगा। खैर अभी मुझे थोड़ी देर हो रही है। मैं कल मिलता हूँ।“

इतना कहते हुए रमेश पत्थर उठा कर शहर की ओर चल दिया।

कुछ दिन इसी तरह बीतते रहे। अचानक संतोष ने देखा कि रमेश के सवभाव में बदलाव आ रहा था।वो कम बातें करने लगा था और सुबह जब आता तो ऐसा लगता जैसे सारी रात न सोया हो। उसकी सेहत में गिरावट आने लगी थी। संतोष ने कई बार पूछने का प्रयास किया लेकिन रमेश ने हर बार इतना ही कहता कि मैं बदलाव चाहता हूँ बस इसीलिए ऐसा हो गया हूँ।

संतोष ने भी अब पूछना छोड़ दिया था। अभी कुछ ही महीने गुजरे थे कि अचानक एक दिन रमेश न आया। आज उसकी जगह कोई और ही आया था।

“अरे भाई! तुम कौन हो? और रमेश क्यों नहीं आया?”

वो आदमी संतोष की तरफ देखने लगा। फिर कुछ सोचते हुए बोला,

“अगर मालिक ही आने लगे तो वो मुझे किस चीज के पैसे देंगे?”

“मालिक….! ल….ल…लेकिन वो तो पत्थर तोड़ता था। मालिक कब बन गया? जुए में पैसे जीता क्या?”

“देखो तुम हमारा समय नष्ट मत करो। वर्ना सारा समय बातों में ही निकल जायेगा।”



इतना कह कर वो मजदूर काम करने लग गए। लेकिन संतोष को इससे संतोष न हुआ। जब वो मजदूर काम ख़त्म करने के बाद जाने लगे तो संतोष भी उनके पीछे हो लिया। चलते-चलते जब शहर पहुंचा तो देखा कि रमेश मजदूर को पैसे दे रहा था। तभी संतोष पास गया और बोला,

“रमेश, कैसे हो?”

संतोष को देख कर रमेश बहुत खुश हुआ। उसने तुरंत संतोष का हाथ पकड़ा और अपने साथ दुकान के अंदर ले गया। सामने मिठाई रखी और बोला,

“मै कह रहा था न मैं बदलाव चाहता हूँ। तो बदल गयी मेरी जिंदगी।

“क….क…कैसे? तुम तो मेरे साथ ही काम करते थे न, फिर ये सब कैसे किया तुमने।“

“संतोष आसमान से तारे तोड़ने के लिए जरूरी है हम असमान में पहुंचे। अगर तारे हम पर खुद गिरते हैं तो हमें ख़त्म कर सकते हैं।“

“क्या मतलब?”

“मतलब ये कि अगर हम अपनी जिंदगी बदलते हैं तो उसे हम अपने नियंत्रण में रख सकते हैं। लेकिन अगर वक़्त कोई बदलाव लाता है तो हमें बर्बाद भी कर सकता है।“

“तुम साफ-साफ क्यों नहीं बताते कि आखिर बात क्या है।“

“तो सुनों, हम जो पत्थर तोड़ कर शिल्पकार को देते हैं। उससे वो मूर्ती बनाता है और हमसे ज्यादा पैसे कमाता है। तो मैंने भी मूर्ती बनाना सीखा और धीरे-धीरे अपना व्यवसाय शुरू किया।“

“लेकिन तू अपना काम कब करता था?”

“जब सब सो जाते थे। इसीलिए तो मेरी सेहत गिर गयी थी। कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना पड़ता है। मैंने ये काम सीखने के लिए दिन रात एक कर दिया। दिन में मैं पत्थर तोड़ता और रात में शिल्पकारी सीखता। आज भगवान की दया से मैंने ये दुकान खोल ली है।“

“सच कहते हो दोस्त चैन की नींद पानी है तो रातों को जागना ही पड़ेगा। सिर्फ सोचने से कुछ नहीं होगा। सोच हकीकत तब ही बनेगी जब हम उस सोच पर काम करेंगे।“

फिर दोनों दोस्त बातें करने लगे और उसके बाद संतोष ने भी मेहनत करनी शुरू की या यूँ कहें कि सही दिशा में मेहनत करनी शुरू की।

दोस्तों इसी तारह हमारे बीच भी कुछ लोग हैं जो बस सोचते रहते हैं कि हमें सफलता प्राप्त हो लेकिन उसके लिए सही प्रयास नहीं करते। यदि आप के अंदर कोई गुण है तो उसे अपना जीवन सफल बनाए के लिए प्रयोग में लायें। यदि ऐसा कोई गुण नहीं है तो आप अपने अन्दर कोई ऐसा गुण विकसित करें। सफलता आपसे बस दो कदम दूर खड़ी है। आगे बढ़िये और सफल ही जाइये।



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धन्यवाद।

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