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हुनर की पहचान – जिलियन लिन की प्रेरक कहानी हिंदी में | प्रेरक घटनाएँ

by Sandeep Kumar Singh
11 minutes read

“मंजिलें तो मिल ही जाती हैं इंसान को,
मजा आता है सफ़र का
अगर रास्तों की जानकारी हो।“

जी हाँ देखने में ये पंक्तियाँ कुछ ऊट पटांग जरूर लग रही होंगी। मगर ये जीवन की सच्चाई है। जब हमें अपनी हुनर की पहचान होती है और सही रास्ता पता होता है तो हम बेधड़क निकल जाते हैं। अपनी मंजिल की ओर। लेकिन रास्ता ना पता होने पर हमें सहारों की जरुरत पड़ती है या फिर रास्ता भटकने का डर रहता है। इतना ही नहीं ऐसा भी हो सकता है की सारी जिंदगी सफ़र में निकल जाए और मंजिल मिले ही ना।

इसी तरह जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हमें अपनी ताकत को पहचान कर अपनी जिंदगी सवांरने में लगाना चाहिए। आइये आज Ken Robinson की एक पुस्तक The Element से लिए गए एक अंश से एक ऐसी ही महिला की कहानी पढ़ते हैं। जिसके घर वालों ने उसकी हुनर की पहचान कर उसे एक मुकाम हासिल करने में महत्वपूर्ण किरदार निभाया।

हुनर की पहचान – जिलियन लिन की कहानी

हुनर की पहचान - जिलियन लिन की प्रेरक कहानी

जिलियन लिन (Gillian Lynne) सिर्फ 8 साल की थी, पर उसका भविष्य खतरे में था। स्कूल की पढ़ाई उसके लिए मुसीबत थी और सारे अध्यापक उसके लिए चिंतित थे। वो अपने असाइनमेंट्स देरी से बनाती थी। उसकी लिखाई भी बहुत बुरी थी और परीक्षाओं में भी वो फेल होती थी। इतना ही नहीं वह पूरी क्लास के लिए एक मुसीबत बन चुकी थी, एक मिनट में शोर मचाना शुरू कर देती या खिड़की से बाहर देखना शुरू कर देती जिसके कारन अध्यापक को उसका ध्यान दुबारा क्लास में वापस लाने के लिए मजबूरन क्लास रोकनी पड़ती, फिर वह अपने आसपास के बच्चों को परेशान करती थी।

जिलियन इस बारे में ख़ास चिंतित नहीं थी पर स्कूल के अधिकारी उसके लिए चिंतित थे और उसकी गलती को सुधारने की कोशिश करते थे। इन सबके बावजूद वो खुद को दूसरे बच्चों से अलग महसूस नहीं करती थी।

स्कूलवालों को लगा की जिलियन को कोई बीमारी है जिस कारण वह पढ़ाई नहीं कर पाती और उसे ऐसे स्कूल में होना चाहिए जहाँ उसे विशेष ढंग से पढ़ाया जा सके। ये सब 1930 के दशक में हो रहा था।

मुझे लगता है की उन्होंने कहा होगा की जिलियन को एक ऐसी बीमारी (attention deficit hyperactivity disorder) है जो उसका ध्यान पढ़ाई से हटा देती है और उसे ‎केंद्रीय तंत्रिका तंत्र उत्तेजक (central nervous system stimulant) पर या इसी तरह के किसी सिस्टम पर रखा जाए। लेकिन उस समय तक एडीएचडी महामारी (ADHD epidemic) का आविष्कार नहीं किया गया था। इस हालात के बारे में लोग नहीं जानते थे कि उन्हें ऐसी कोई बिमारी है भी या नहीं।

जिलियन के माता पिता को स्कूल वालों की तरफ से एक चिंता भरा पत्र मिला और उन्होंने उस पर तुरंत कार्यवाही की। जिलियन की माँ ने अपनी बेटी को सबसे अच्छे कपड़े और जूते पहनाए उसके बालों को बाँधा और डरते हुए उसके इलाज के लिए उसे मनोवैज्ञानिक के पास ले गयी। जिलियन बताती हैं की उन्हें ऐसे कमरे में ले जाया गया था जो काफी बड़ा था और वहां बहुत सारी किताबें भी थीं। कमरे में एक बड़ी मेज के बगल में ट्वीड जैकेट में एक भव्य आदमी खड़ा था।

वह जिलियन को लेकर कमरे के किनारे गया और उसे एक बड़े चमड़े के सोफे पर बिठाया। जिलियन के पैर जमीन को नहीं छू पा रहे थे। इस हालत ने उसे सावधान कर दिया और खुद का डर भगाने के लिए अपनी हथेलियों पर बैठ गयी ताकि उसे कोई परेशानी ना हो।

वह मनोवैज्ञानिक वापस अपने डेस्क पर गया और 20 मिनट तक वहां बैठ कर जिलियन को देखता रहा, फिर उसने जिलियन की माँ से जिलियन से होने वाली परेशानियों और स्कूल में की जाने वाली शैतानियों के बारे में पुछा। पर उसे किसी भी सवाल का सही जवाब नहीं मिला और वह सारा समय जिलियन को देखता रहा। इस से जिलियन असहज हो गयी और संशय में पड़ गयी। यहां तक कि इतनी छोटी उम्र में, वह जानती थी कि यह आदमी उसके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

वह जानती थी कि ‘विशेष स्कूल” में जाने का क्या अर्थ है और वह उस के साथ कुछ भी नहीं करना चाहती थी। वह सच में यह महसूस नहीं करती थी की उसे कोई प्रॉब्लम है पर बाकी सब लोगों को उससे उल्टा ही लगता था। जिस तरह से उसकी मां ने सवालों के जवाब दिए जिलियन ने सब महसूस किया। जिलियन को लगा शायद वो सही हैं।

अंत में उस मनोवैज्ञानिक ने जिलियन की माँ से सवाल जवाब बंद किया और अपने डेस्क से उठा और जाकर लड़की के पास सोफे पर बैठ गया।

“जिलियन तुमने बहुत सब्र रखा उसके लिए धन्यवाद्।“, उसने कहा। “पर तुम्हें थोडा और सब्र रखना पड़ेगा। मुझे तुम्हारी माँ से निजी तौर पर बात करनी है, हम अब कमरे से बाहर जा रहे हैं। फ़िक्र मत करो ज्यादा समय नहीं लगेगा।” जिलियन ने भय से सिर हिलाया, और दोनों ने उसे उसके खुद के भरोसे वहाँ छोड़ दिया। लेकिन जैसे ही मनोवैज्ञानिक कमरे से जा रहा था, वह अपनी मेज की तरफ झुका और रेडियो चला दिया।

जैसे ही वे कमरे के बाहर बरामदे में पहुंचे, डॉक्टर ने जिलियन की मां से कहा, “बस यहाँ एक पल के लिए रुकिए और देखिये वह क्या करती है?” कमरे में एक खिड़की थी, और वे उसके एक तरफ खड़े हो गए, जहां से जिलियन उन्हें नहीं देख सकती थी।

थोड़ी ही देर में, जिलियन अपने पैरों पर, संगीत की धुन पर कमरे में चारों ओर घूम रही थी। वो दोनों उस लड़की की इस प्रतिभा को बिना ऑंखें झपके देख रहे थे। किसी ने जिलियन की इस हरकत पर ये महसूस नहीं किया की ये सब प्राकृतिक है या अप्राकृतिक। ऐसा लगा जैसे निश्चित रूप से उन्होंने उसके चेहरे पर खुशी की अभिव्यक्ति को स्पष्ट रूप से देख लिया हो।

अंत में, मनोवैज्ञानिक जिलियन की मां की तरफ मुड़ा और कहा, “श्रीमती लीनी, आप जानती हैं, जिलियन बीमार नहीं है। वह एक डांसर है। उसके हुनर की पहचान कर उसे एक डांस स्कूल के ले जाइए।”

मैं जिलियन से पूछा तो क्या हुआ। उसने कहा उसकी माँ ने वैसा ही किया जैसा कि मनोचिकित्सक ने सुझाव दिया था कहा। “मैं आपको बता नहीं सकती कि कैसा अद्भुत था यह,” उसने मुझे बताया। “मैं डांस स्कूल के कमरे में गयी, और यह मेरे जैसे लोगों से भरा हुआ था। लोग जो बैठ नहीं सकते थे। लोगों को सोचने के लिए भी हिलना पड़ता था।

उसने हर हफ्ते डांस स्कूल जाना शुरू कर दिया, और वह हर दिन घर पर अभ्यास करती। आखिरकार, उसने लंदन में रॉयल बैले स्कूल के लिए ऑडिशन दिया, और उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया। वह खुद ही रॉयल बैलेट कम्पनी में शामिल हुयी और एकल कलाकार(soloist) के तौर पर सारी दुनिया में परफॉर्म किया।



जब उनके कैरियर के इस भाग का अंत हुआ तो उन्होंने खुद कई संगीत थिएटर कंपनी बनाई और लन्दन के साथ-साथ न्यूयॉर्क में कई सफल शो किये। आगे चल कर उनकी मुलाकात एंड्रयू लॉयड वेबर से हुई और उनके साथ मिलकर उन्होंने इतिहास को कई सफल म्यूजिक थिएटर प्रोडक्शन दिए जिसमें कैट्स एंड दी फैंटम ऑफ़ दी ओपेरा (Cats and The Phantom of the Opera) मुख्य हैं।

छोटी जिलियन जिसका भविष्य खतरे में था, जिलियन लिन के नाम से मशहूर हुयी। वो एक निपुण कोरियोग्राफर थीं जिन्होंने लाखों लोगों को खुशियां दी और लाखों रूपए कमाए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि किसी ने उसकी आँखों की गहराई में देखा, जो उसकी भावनाओं को समझ सका। कई और लोगों ने जिलियन को शांत रहने को कहा किसी ने दिमागी तौर पर बीमार कहा। लेकिन जिलियन एक बीमार लड़की नहीं थी और न ही उसे किस स्पेशल स्कूल की जरुरत थी। वह वो बनना चाहती थी जो वो थी।

इस दुनिया में हर इंसान के अंदर कोई न कोई गुण जरूर होता है जो उसे आसमान की बुलंदियों तक पहुँचा सकता है। जरुरत है तो उस गुण को पहचानने और निखारने की। तभी हम एक कामयाब और सफल इंसान बन सकते हैं।



जिलियन की ये प्रेरणादायक कहानी ” हुनर की पहचान ” आपको कैसी लगी ये बताना ना भूलें। कमेंट बॉक्स में अपने विचार जरूर लिखें। जिस से हम इस तरह की शख्सियतों को आपके सामने लाने के लिए प्रोत्साहित हों। अगर आपके पास भी ऐसी कहानी हो तो हमसे संपर्क करें।

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2 comments

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Utkarsh अप्रैल 4, 2020 - 9:11 अपराह्न

Things become very easy if you find correct guidance. Very motivating story ✌️✌️

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 7, 2020 - 6:13 अपराह्न

Right Brother….

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