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स्वामी विवेकानंद और वेश्या – कहते हैं सीखने वाला इन्सान कहीं से कुछ भी सीख लेता है। उसे इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि सामने वाला क्या सोचता है और कैसा आचरण रखता है? उसे मतलब होता है तो बस सीखने से। सीख कर ही एक आम इन्सान महापुरुष की उपाधि प्राप्त करता है। जीवन में कई ऐसी घटनाएँ होती हैं जो हमारी ज्ञान की आँखें खोल देती हैं और हमें अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। एक बार ओशो जी ने भी स्वामी विवेकानंद जी की ऐसी ही एक कहानी सुनाई जिससे हमें अपने विचारों को सुधारने कि प्रेरणा मिलती है। आइये पढ़ते हैं स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी एक अद्भुत कहानी ” स्वामी विवेकानंद और वेश्या ।”
स्वामी विवेकानंद और वेश्या
ये कहानी तब की है जब वह भारत में ही रहते थे और उतने प्रसिद्द नहीं हुए थे जितने की बाद में हुए थे। उन्होंने विदेश यात्रा भी नहीं की थी। उस समय वह जयपुर में ठहरे हुए थे। वहां के राजा स्वामी विवेकानंद के बहुत बड़े भक्त थे। वह उनकी दिल से इज्जत किया करते थे। इसीलिए राजा ने स्वामी विवेकानंद जी को अपने महल में बुलाया।
उस समय की ये रस्म थी कि जब भी किसी मेहमान को बुलाया जाता था तो उनके स्वागत में नाच-गाने का प्रबंध किया जाता था। इसी रस्म के अनुसार स्वामी विवेकानंद जी के स्वागत के लिए भी राजा ने भारत की सबसे सुन्दर वेश्या को न्यौता भेजा।
सब कुछ तय हो जाने के बाद राजा को ये एहसास हुआ कि स्वामी जी तो सन्यासी हैं। उनके स्वागत के लिए वेश्या को नहीं बुलाना चाहिए था। एक सन्यासी के लिए वेश्या की क्या जरुरत? कहाँ स्वामी जी इतने बड़े महापुरुष और कहाँ वो अदना सी वेश्या?
स्वामी विवेकानंद जी उस समय तक सीखने की ही प्रक्रिया में थे। इसलिए जब वे राजा के महल में आये तो आते ही उन्होंने वेश्या को देखा। वेश्या के बारे में पता लगते ही स्वामी विवेकानंद जी उसी समय एक कमरे में गए और खुद को कमरे के अन्दर बंद कर लिया। उन्हें डर था कहीं उस वेश्या को देखकर उनकी वासना शक्ति ना जाग जाये। राजा बहार से उन्हें बुलाते रहे लेकिन स्वामी विवेकानंद जी ने बाहर आने से साफ मना कर दिया।
राजा ने माफ़ी भी मांगी कि उन्होंने आज तक किसी सन्यासी का स्वागत नहीं किया इसलिए उनसे ये भूल हुयी। लेकिन स्वामी विवेकानंद जी नहीं माने और अन्दर ही बंद रहे। राजा निरंतर स्वामी जी को मानाने का प्रयास कर रहे थे। इसका कारन थी वो वेश्या। वह वेश्या भारत की सबसे सुन्दर और प्रसिद्द वेश्या थी। अगर उसे वास भेजा जाता तो ये उसका अपमान होता। राजा बुरी तरह फंस चुके थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह इस स्थिति में क्या करें? कैसे निजात पायें इस समस्या से?
- पढ़िए :- स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार
वेश्या को जब इस बारे में पता चला तो उसने एक गाना गाना शुरू किया। उस गाने में उस वेश्या ने कहा कि उसे पता है कि वो उनके लायक नहीं है लेकिन वो तो थोड़ी दया दिखा सकते हैं। वो तो सड़क की धूल भर है पर उसके लिए वो निर्दयी क्यों हैं? वो तो अज्ञानी है पापी है लेकिन स्वामी जी तो ज्ञानी हैं। उन्हें एक वेश्या से कैसा डर? इतना सुनने भर की ही देर थी। स्वामी विवेकनद जी को इस बात का आभास हुआ कि वो डर क्यों रहे हैं?
एक वेश्या से उन्हें किस बात का डर है? ऐसे तो छोटे बच्चे डरा करते हैं। उनकी समझ में अबतक आ गया था कि वह डर उनके जीवन में नहीं बल्कि मन में था। उन्हें पता लग गया था कि उन्हें उस वेश्या के प्रति होने वाले आकर्षण को अपने मन से निकालने से ही उन्हें मानसिक शांति प्राप्त हो जाएगी।
ये ज्ञान प्राप्त करने के बाद उन्होंने दरवाजा खोला और उस वेह्स्य के पास जाकर उस से कहा कि अब तक जो उनके मन में डर था वह उनके मन में बसी वासना का डर था। जिसे उन्होंने ने अपने मन से बहार निकाल दिया है। इस चीज के लिए प्रेरणा उन्हें उस वेश्या से ही मिली है। उन्होंने ने उस वेश्या को पवित्र आत्मा कहा। जिसने उन्हें एक नया ज्ञान दिया।
इस ज्ञान की प्राप्ति के बाद स्वामी विवेकानंद जी ने आध्यात्मिकता की एक नयी उंचाई प्राप्त की। जिस से वह संपूर्ण विश्व में प्रसिद्द हो गए।
स्वामी विवेकानंद जी की इस कहानी से सीखने को तो यही मिलता है हमें इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि हमें संसार में वही दिखता है जो हम देखना चाहते हैं। खुद पर नियंत्रण न कर हम बाहरी वस्तुओं को दोष देते रहते हैं। अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण पाकर हम भी जीवन की उन ऊँचाइयों पर पहुँच सकते हैं जिसको सब नामुमकिन मानते हैं।
दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं। अगर इंसान कुछ करने की ठान ले तो उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। बस उसे अपने लक्ष्य की जानकारी स्पष्ट तौर पर होनी चाहिए। खुद को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। अगर आप ही अपने आप को कमजोर कहेंगे। तो आप खुद अपने अस्तित्व को खतरे में डालने का काम करेंगे। खुद पर विश्वास रखें और हर परिस्थिति का सामना करें।
“मत डर अंधेरों से कि मिलेगी रौशनी जो इंतजार में है,
मिलेगा किनारा हौसला रखना, क्या हुआ जो किश्ती मझधार में है।”
आपको यह कहानी ” स्वामी विवेकानंद और वेश्या ” कैसी लगी हमें बताना ना भूलें। अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरुर लिखें। हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा।
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धन्यवाद।
27 comments
Bhut Achi store thi
Swamiji and vaishali story is too good to teach today's society where everyone is looking for lust only.
Thank You Suni ji…
dil h ki manta nahi,,
So read that
Sir jo aapne स्वामी विवेकानंद जी के बारे में बताएं वह बहुत ही अच्छा है हमें या कहानी पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा थैंक यू सर
धन्यवाद विवेक गुप्ता जी….
bhut badiya hai
Thanks Dileep Kumar ji..
That moment was amazing whenever I read this story .I have no word for praise you dear such a great story best thought of my life
Bhut hi achhi khani h I really proud off u. Sch me bhut hi mst or logo ke MN me bhut hi alg or pvitr soch paida krne vali h. İsə saf jhahir hota h ki log iski prerna lekr chle to kitni bhi unchained tk phunch skta h
बहुत-बहुत शुक्रिया Subhash Jahjhria जी।
Bhoot sunder
धन्यवाद संतोष जी।
good story esse aage badhne me sabko sahas milega
धन्यवाद हरेंद्र जी….सही बात कही आपने।
बहुत ही अच्छी कहानी है *सर*
धन्यवाद देवांशु जी….
'swmi vivekanand or veesya' khani ke madym se muge ye sekhne ko mila ki koi bhi wasna /ghtna hme lkshy prapt karne se rok ske THANKS
जी Nirmala जी….अगर हम अपने मन को नियंत्रित कर ले तो हम हर विजय हासिल कर सकते हैं। दुनिया मे कुछ भी असंभव नहीं है।
It was very much motivation realistic in the life
You said right Jibhau….
Realy it was so inseparable story. Please post more story like this
Thanks Mithilesh jha ji…..We will try to post stories like this… Keep reading…
Really it's very appreciable n inspiring story and also realistic…..I salute these kind of great people of our India……
We Salute too Alka Tyagi these kinds of legends they are the real gems of INDIA..
Behtareen post hai…. thank you
Thank you very much….. Kadamtaal ji……..