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ये कहानी है एक ऐसे इंसान की है, जो खुद को कमजोर समझता था। लेकिन उसने एक दिन अनजाने में दौड़ के बाद उसने कुछ ऐसा कर दिया, जिसे देख उसके जीवन में एक ऐसा बदलाव आया, जिसकी उसने उम्मीद भी नहीं की थी।
दोस्तों हमारी जिंदगी में कुछ भी असंभव नहीं है। अगर कुछ असंभव है, तो वह शब्दकोष का मात्र एक शब्द है। हमारे अन्दर असीमित शक्ति भरी पड़ी है। जिसका प्रयोग हम तभी कर सकते हैं अब हमे उसका पूर्ण रूप से ज्ञान हो जाए। इस बात का ज्ञान हमे तब ही हो सकता है जब हम खुद को चुनौती देंगे। तभी हमें अपनी शक्तियों का ज्ञान होगा।
दौड़ के बाद
रजत भी एक ऐसा ही लड़का था। जिसने अपने जीवन में अपनी शक्ति को पहचान अपना जीवन बदल दिया। रजत जिसने शहर के सरकारी स्कूल से बारहवीं की परीक्षा पास की थी। और अब उसका एक ही सपना था। भारतीय थल सेना में जाना।
उसके दिल में एक ज़ज्बा था कि उसे अपना यह सपना किसी भी कीमत पर पूरा करना है। इसके लिए वह दिन रात मेहनत करता। वह दौड़ लगाया करता था।
कई दिन के मेहनत और दौड़ के बाद एक दिन उसने अपना समय देखा तो पाया दौड़ पूरी करने के लिए जो समय चाहिए उस से अभी वो बहुत दूर था। वह सोचने लगा की अब उसे क्या करना चाहिए। उसे एक विशेषज्ञ कि जरुरत थी और इसका प्रबंध उसके भाई ने कर दिया। उसके भाई ने एक फौजी से बात कि जो अपनी छुट्टियाँ बिताने आया था।
रजत पहले दिन गया। उसके मन में एक अजब सा उत्साह था। जब वह मैदान में पहुंच तो वहां काफी लोग आये हुए थे दौड़ लगाने। तभी रजत ने देखा कि कुछ लोग दौड़ लगाने जा रहे हैं। उसने भी उनसे दौड़ में शामिल होने के लिए इजाजत मांगी। इजाजत मिलने के बाद दौड़ चालू हुयी ।
रजत दौड़ में सबसे आगे था और उसके साथ एक नौजवान युवक था जो उसकी बराबरी पर था। दोनों में इशारों में आगे निकलने कि जिद चल रही थी। अंतिम रेखा आ गयी थी और दोनों ने लगभग एक साथ दौड़ पूरी की। लेकिन दौड़ के बाद एक सवाल पैदा हो गया कि आगे कौन निकला इस बात को लेकर दोनों में बहस हो गयी। जल्द ही दोनों ने इस बात पर सहमती जताई की रजत विजयी था। उसके बाद वो अपने घर चला गया।
घर पहुँचते हुई उसके भाई ने डांट लगनी शुरू कर दी,
“कहाँ गए थे? मैंने कहा था न ग्राउंड में चले जाना। मुझे फ़ोन आया कि तुम वहां गए ही नहीं।”
रजत ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वो गया था लेकिन उसके भाई को विश्वास नहीं हो रहा था।
अपने भाई को विश्वास दिलाने और उस फौजी से मिलने के लिए अगले दिन रजत घर से फ़ोन लेकर गया।
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ग्राउंड में पहुँच कर उसने उस फौजी को फ़ोन किया। फोन पर बात कर जब दोनों एक दूसरे के सामने आये तो हैरान रह गए। ये दोनों वही थे जो एक दिन पहले दौड़ के बाद इस बात को लेकर बहस कर रहे थे की दौड़ में आगे कौन निकला। एक दूसरे को देख दोनों के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान छा गयी। अब दोनों में जान-पहचान की तो कोई जरुरत नहीं थी। फिर उस दिन से रजत की ट्रेनिंग शुरू हुयी।
वहीं मैदान में एक और लड़का दौड़ने आता था जिसका नाम था मनजिंदर। मनजिंदर ट्रैक पर 10 चक्कर लगाता था। जबकि रजत शुरुआत में अभी सिर्फ पांच ही चक्कर लगा पाता था। ट्रेनिंग धीरे-धीरे आगे चल रही थी। रजत मनजिंदर से काफी प्रभावित था। और इसी कारण वह भी 10 चक्कर लगाना चाहता था। सब ठीक-ठाक चल रहा था। रजत ने पूरी मेहनत की और अब वह 9 चक्कर लगा लेता था।
कुछ दिनों बाद जब रजत अभी दौड़ लगाने के लिए तैयार ही हो रहा था। तभी उसने देखा कि मनजिंदर एक आदमी को लेकर उसे ट्रेनिंग देने वाले फौजी से बात कर रहा था। रजत के मन में एक जिज्ञासा तो उठी की उनकी बात सुने लेकिन उसे ये उचित न लगा। उनसे बात कर जब वो फौजी वापस आया तो उसने रजत को अपने साथ चलने के लिए कहा। रजत को कुछ समझ नहीं आया।
पूछने पर पता चला की मनजिंदर ने दौड़ लगाने के लिए कुछ टिप्स मांगे थे और वह दौड़ लगा कर दिखाना चाहता था। तब रजत ने ये कह कर जाने से इंकार कर दिया की उसका वहां कोई काम नहीं है। तब उस फौजी ने समझाया कि अगर वह जाएगा तो शायद उसे कुछ सीखने को मिल जाए। रजत इस बात को सुन चुपचाप जाने के लिए तैयार हो गया।
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रास्ते में उसे पता चला कि मनजिंदर कुछ दिनों बाद भारतीय थल सेना में हो रही भर्ती के लिए जाने वाला है। उसे ये देखना है कि वो इस चीज के लिए तैयार है की नहीं। रजत के मन में भी उत्सुकता थी कि मनजिंदर कैसी दौड़ लगाएगा। जहाँ वो लोग दौड़ने का अभ्यास करते थे। वहां ग्राउंड थोड़ी छोटी थी। इसलिए वो वह से 2 किलोमीटर दूर एक दूसरी ग्राउंड में जा रहे थे। जहाँ ग्राउंड थोड़ी बड़ी थी।
जब चारों ग्राउंड में पहुँच गए तब फौजी ने मनजिंदर को दौड़ लगाने के लिए कहा। मनजिंदर ने कहा कि उसे दौड़ में एक प्रातिद्वंदी कि जरुरत है जो उसे आगे रहने के लिए प्रेरित करे। फौजी ने रजत के कंधे पर हाथ रखा और कहा ये है तुम्हारा प्रतिद्वंदी। रजत ने इस बात पर जब आपत्ति जताई तो उस फौजी ने उसे कहा कि दौड़ के बाद अगर तुम हार जाओगे तो तुम्हे पता चलेगा की तुम्हे और कितनी मेहनत करने कि जरुरत है। इस बात को सुन कर रजत मान गया।
दौड़ आरंभ हुयी। पहले मनजिंदर आगे था। रजत पीछे-पीछे दौड़ रहा था। अचानक रजत ने गति बढाई और देखते ही देखते आगे बाढ़ गया। मनजिंदर ने भी गति बढ़ने की कोशिश की लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। रजत निश्चित समय से पहले विजयी रेखा पार कर चूका था और मनिंदर अभी भी पीछे था। दौड़ के बाद रजत को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने उस व्यक्ति को दौड़ में हरा दिया जिसको देख-देख कर उसने दौड़ने कि प्रेरणा ली थी। दौड़ के बाद मनजिंदर ने उन्हें बताया की वो अभी भरती देखने नहीं जाएगा। अभी वो इसके लिए तैयार नहीं है।
वहीँ रजत में एक आत्मविश्वास आग गया था। वो दिन उस फौजी की छुट्टी का आखिरी दिन था। वो फौजी एक ऐसा प्रशिक्षक साबित हुआ जिसने रजत कि जिंदगी के मायने ही बदल दिए। इस एक दौड़ ने दो प्रतियोगियों की सोच ही बदल कर रख दी। मनिंदर जो कि भारती देखने जाने वाला था। उसने अपना विचार त्याग दिया। और रजत जो कि एक दौड़ जीत चुका था अब उसे जिंदगी की दौड़ में भागने के लिए आत्मविश्वास प्राप्त हो चुका था। अब उसका लक्ष्य उस भरती में जाना था जिसमें जाने के लिए मनजिंदर अभ्यास कर रहा था लेकिन उसने एक हार के कारण अपना विचार बदल लिया। रजत ने उस फौजी का धन्यवाद किया और घर वापस आ गया।
उस दिन उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन था। इसी दिन उसने सीखा की हम कमजोर नही होते, कुछ कमजोर होता है तो वो है हमारी सोच। जिस दिन हम अपनी सोच को छोड़कर असलियत में अपने हिम्मत को परखेंगे उस दिन हमें अपने अन्दर छुपी गुणों के खान का पता चलेगा।रजत ने कुछ दिन बाद भारती में जाकर दौड़ लगायी और उसने वो दौड़ भी निश्चित समय में पूरी कर भारतीय सेना में सेवा करने कि तरफ पहला कदम बढ़ा लिया।
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दोस्तों इसी तरह हमे अपने मन में कोई भी कार्य करते समय ये बात हमेशा रखनी चाहिए कि हम किसी से कमजोर नहीं हैं। ऐसा कोई कम नहीं है जो हम नहीं कर सकते। हमेशा जिंदगी का सामना करने के लिए तैयार रहें क्यूंकि आप कि जिंदगी आपसे ज्यादा और कोई नहीं संभाल सकता। अगर ये कहानी आपको पसन्द आई तो कृपया शेयर जरूर करें, और हमारे साथ जुड़े रहें।
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