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Short Natak In Hindi On Time – दोस्तों, हमारे कुछ पाठको की मांग और इसकी उपयोगिता को देखते हुए हमने अपने ब्लॉग में हिंदी नाटक को भी शामिल किया है। इस सीरीज में हम प्रेरणादायक और मजेदार नाटक आपके लिए लिखेंगे जिसे आप स्कूल में या किसी मंच में मंचन कर सकते है। तो इस सीरीज में समय का महत्व बताता हिंदी नाटक हमने लिखा है। आइये पढ़े।
समय का महत्व बताता हिंदी नाटक
मेरा तो वक़्त ही ख़राब है :- ये वाकया आपने कई लोगों के मुंह से सुना होगा। पर क्या कभी सोचा है बेचारे वक़्त का क्या कसूर है? क्या उसने आप को कोई काम करने से मना किया कभी? अब अगर आपको जरूरी सामान नहीं मिला तो वक़्त का क्या कसूर?
किसी की ट्रेन छूट जाये, किसी को नौकरी न मिले, किसी का एक्सीडेंट हो जाये या कोई और अप्रिय घटना हो जाए तो वक़्त को दोष देना आम बात है। ऐसा क्यों? शायद इसलिए की वक़्त कभी मुड़ कर जवाब नहीं देता। न ही आप से पूछता है की मुझ पर ये दोषारोपण क्यों?
क्या ऐसा मुमकिन है कि अगर वक़्त आपके साथ रहे और आपको हर काम के लिए समय रहते सूचित करे तो आप जिंदगी में सफल हो सकते हैं? ऐसा संभव है या नहीं आइये पढ़ते हैं इस नाटक में। जो मैंने तब लिखा था जब मुझे ये एहसास हुआ की शायद मैंने अपने जीवन का बहुमूल्य समय गँवा दिया।
लेकिन उसके बाद क्या? क्या जिंदगी रुक गयी या कुछ बाकि न रहा। बस यही बताने के लिए यह नाटक एक लड़की को मुख्य किरदार रख कर लिखा है। जो समय के महत्त्व को वक़्त रहेत न समझ पायी और अंत में उसके साथ क्या हुआ वो आप पढ़ सकते हैं इस समय का महत्व बताता हिंदी नाटक में।
Short Natak In Hindi On Time
मेरा तो वक़्त ही ख़राब है
पात्र परिचय:
अंजलि :- मुख्य पात्र ( बचपन 11-12 वर्ष की आयु )
अंजलि :- मुख्या पात्र ( युवावस्था )
घड़ी :- एक लड़की घड़ी का मॉडल पहने हुए जो सबके लिए अदृश्य है और बस अंजली को दिखाई पड़ती है।
स्नेहा :- अंजली की सहेली
प्रिया :- अंजली की सहेली
अनामिका :- अंजली की अध्यापिका
(पर्दा उठता है। अंजलि अपने कमरे में टीवी देख रही है। घड़ी में रात के 10:45 बज चुके हैं। घर में सब लोग सो चुके हैं।)
घड़ी :- सोजा अब, 11 बजने वाले हैं।
अंजलि :- (गुस्से में ) तो क्या? तू फालतू में बक बक मत किया कर। तेरा काम है चलना। बस चलती रहा कर टक-टक-टक -टक।
घड़ी :- तेरे ही फायदे के लिए कह रही हूँ। सुबह जल्दी उठ नहीं पाएगी।
अंजलि :- ( बीच में टोकते हुए ) मैं जल्दी उठूँ या लेट तुझे क्या? मुझे कार्टून देखने दे अभी। तू जा का अपना काम कर।
( “कार्टून देख-देख कर खुद भी कार्टून बन गयी है। आज इसे कुछ समझ नहीं आ रहा बाद में पछताएगी।”, बड़बड़ते हुए अपनी जगह पर जाकर खड़ी हो जाती है। रात के 11 जाते हैं और कार्टून ख़त्म हो जाते हैं। तभी अंजलि की नजर घड़ी पर पड़ती है।” )
अंजलि :- अरे! 11 बज गए। सुबह फिर लेट हो जाउंगी। ( कुछ सोचते हुए ) मम्मी कह रही थीं सुबह उन्हें मंदिर जाना है। तो घर पे कोई नहीं होगा। मैं एक काम करती हूँ ड्रेस पहन कर ही सो जाती हूँ और सुबह होते ऐसे ही उठ कर चली जाउंगी।
कमरे में अपनी ड्रेस ढूंढती है और पहन कर तैयार होकर सो जाती है।
सुबह होती है। 7:30 बजे घड़ी में अलार्म बजता है। लेकिन अंजलि नींद में ही उठ कर बंद कर देती है। 10 मिनट बाद फिर से अलार्म बजता है। इस बार भी अंजलि उठ कर अलार्म बंद कर देती है। तीसरी बार जब घड़ी देखती है कि अंजलि नहीं उठ रही। तो वह आगे जाकर उसे नीचे गिरा देती है।
अंजलि :- (गुस्से में) तुझे जरा भी तमीज नहीं है। मैं सो रही थी और…..(घड़ी की तरफ देख कर रुक जाती है) हैं…..८ बजने वाले हैं। आज फिर लेट हो जाउंगी। चलो ड्रेस पहनने का फ़ायदा हो गया।
घड़ी :- लेकिन काम तो नहीं की ना। बोला भी था मैंने रात को की काम कर ले।
अंजलि :- चुप कर तू, जब देखो शुरू हो जाती है। कुछ नहीं होगा। बस जल्दी से जाकर मैं सब काम कर लूंगी।
(पर्दा गिरता है।)
- पढ़िए :- पहली गलती – सीख देती हिंदी कहानी
(दूसरा दृश्य क्लास का। अध्यापिका अनामिका पढ़ा रही हैं। अंजलि लेट होने के कारण भाग कर आती है। जब वह देखती है कि अध्यापिका पढ़ाने में व्यस्त है तो वापस मुड़ने लगती है। लेकिन घड़ी पीछे से थप्पड़ लगाती है। और अन्दर जाने का इशारा करती है। इस पर अंजलि अन्दर जाने की आज्ञा मांगने लगती है।)
अंजलि :- मे आई कम इन मैम?
अनामिका :- ( घड़ी की तरफ देखते हुए।) ये टाइम है तुम्हारे आने का?
अंजलि :- नहीं मैम टाइम तो 8 बजे का है।
अनामिका :- मैं पूछ रही हूँ इतनी लेट क्यों आई हो?
अंजलि :- ( सोचते हुए ) मैम वो ना…..मैं ना……घर पे कोई नहीं था इसलिए किसी ने उठाया नहीं ( मुंह बनाते हुए ) मैं लेट हो गयी।
( घड़ी एक थप्पड़ मारती है और बोलती है की मैंने तो उठाया था तू झूठ क्यों बोल रही है। )
अनामिका :- गेट आउट फ्रॉम दी क्लास। तुम्हारा रोज का काम हो गया है।
अंजलि बहार आ जाती है। घड़ी उसे अध्यापिका से माफ़ी मांग कर दुबारा अन्दर जाने को कहती है लेकिन अंजलि मना कर देती है। क्लास का टाइम ख़तम होता है। अध्यापिका बाहर आती है। अध्यापिका को बाहर आते देख अंजलि पढने का नाटक करती है।
अनामिका :- ( माथे पर हाथ मरते हुए ) कुछ नहीं हो सकता इसका।
पीछे-पीछे उसकी सहेलियां स्नेहा और प्रिया आती हैं।
स्नेहा :- तू माफ़ी मांग कर अन्दर क्यों नहीं आई?
अंजलि :- अन्दर क्या करती आकर? वहां कौन सा प्रसाद मिल रहा था।
प्रिया :- प्रसाद भी मिल जाता अगर थोड़ी देर और रुक जाती।
अंजलि :- वैसे तुम लोगों के नंबर कितने आये टेस्ट में?
स्नेहा :- नंबर तो थोड़े ही आये हैं पर अगली बार मेहनत कर के ज्यादा नंबर ले लेंगे।
अंजलि :- बस इसीलिए तो मैं अन्दर नहीं आई। जब बेइज्जती ही करवानी थी तो दो बार क्यों करवाती? एक बार निकल गयी बाहर तो टेस्ट में कम नंबर ले के दुबारा बेइज्जती क्यों करवाती। और वैसे भी अच्छे नंबर लेकर कौन सा तुम प्रधानमंत्री बन ने वाली हो।
प्रिया :- (चिढ़ते हुए ) चलो स्नेहा। इसका कुछ नहीं होने वाला। ये तो बस बात करना जानती है। हमें भी पीछे करवा देगी ये।
दोनों सहेलियां जाने लगती हैं। तभी अंजलि बोलती है, “अरे! मुझे भी ले जाओ। कम से कम घर तक तो छोड़ दो। मेरा तो वक़्त ही ख़राब है । ” पर्दा एक बार फिर गिरता है। और घड़ी स्टेज पर कुछ बोलने आती है।
घड़ी :- तो देखा आप लोगों ने। मैंने अपनी तरफ से जब समझाने की कोशिश की तो क्या जवाब मिले। ऐसा ही होता आया है। सबका बस एक ही डायलाग मेरा वक़्त ही ख़राब है – मेरा वक़्त ही ख़राब है। भला वक़्त भी ख़राब होता है किसी का? नहीं ये तो इन्सान खुद वक़्त बर्बाद करता है और बाद में कोसता भी वक़्त को है। कैसे? आइये देखते हैं १० साल बाद।
पर्दा उठता ही एक दफ्तर का दृश्य है। इंटरव्यू लेने के लिए कोई कुर्सी पर बैठा हुआ है। तभी अंजलि ( युवावस्था ) आती है।
अंजलि :- मे आई कम इन मैम ?
मैम :- ( घड़ी की तरफ देखते हुए ) नो, यू आर लेट। इंटरव्यू ख़त्म हो चुकी है।
अंजलि :- सॉरी मैम, घर से तो टाइम से ही निकली थी लेकिन रस्ते में ट्रैफिक के कारण देरी हो गयी।
मैम :- आई कैन अंडरस्टैंड बट टाइम के बाद ये पॉसिबल नहीं है।
अंजलि :- मैम प्लीज एक चांस दे दीजिये। मुझे इस नौकरी की बहुत जरूरत है।
मैम :- ( कुछ सोचते हुए ) अच्छा….ठीक है आ जाओ।
अंजलि :- थैंक यू वैरी मच मैम।
मैम :- ( कागज देखते हुए ) कहीं तुम वही अंजलि तो नहीं हो जो मेरे पास पढ़ती थीं।
अंजलि :- (एक दम से पहचानते हुए ) अनामिका मैम! मुझे लग ही रहा था मैंने आपको कहीं देखा है।
अनामिका :- हम्म्म्म ….(कागज देखने के बाद ) बेटा मैंने तुम्हारे डाक्यूमेंट्स देख लिए हैं तुम इस नौकरी के लिए योग्य नहीं हो। क्योंकि तुम्हारे नंबर कम हैं और हमारे पास और कई बढ़िया कैंडिडेट्स आ चुके हैं। सो सॉरी..।
अंजलि :- ( मायूस होते हुए ) मैम एक बार देख लीजिये न अगर कुछ हो सके तो।
अनामिका :- सॉरी बेटा अब कुछ नहीं हो सकता। मुझे किसी जरूरी काम से जाना है तो बाद में मिलती हूँ।
अंजलि :- ओके मैम,थैंक यू।
( अनामिका जाते-जाते बडबडा कर आती है कि इसकी आदत तो अब तक नहीं सुधरी। ऐसे लोगन को काम पर रख कर मेरी ही इज्ज़त डूबेगी। ये अंजलि सुन लेती है। तभी घड़ी बोलती है। )
घड़ी :- देख लिया, मेरी बात न मानने का नतीजा। आज अगर तू मेरे कहने पर जल्दी आई होती तो शायद तुझे ये नौकरी मिल जाती।
अंजलि :- बोल तो सही रही है तू। लेकिन क्या कर सकते हैं मेरा तो वक़्त ही ख़राब है । कितनी जरूरत थी मुझे इस नौकरी की। सच में मेरा वक़्त ख़राब है ।
घड़ी :- तेरा वक़्त नहीं तेरी नियत ख़राब है। अगर आज तूने सब काम समय पर कियेहोते तो ये वक़्त तेरा गुलाम होता। अपनी गलतियों को छुपाने के लिए वक़्त को दोष देना कहाँ तक सही है?
अंजलि:- लेकिन वक़्त तो बीत गया। अब किया भी क्या जा सकता है?
घड़ी :- वक़्त कभी नहीं बीतता। जब इन्सान की आनकेहन खुल जाएँ तभी सही वक़्त होता है। अगर तुझे आज एहसास हो गया है तो आज से ही अपने अन्दर सुधर करना शुरू कर। समय का सदुपयोग कर। आने वाला दिन तेरा होगा। और हाँ एक बात और…..
अंजलि :- ( रोकते हुए ) हाँहाँ जानती हूँ, वक़्त कभी बुरा नहीं होता।
तो लोगों आप भी वक़्त की कीमत को समझिये और इसे व्यर्थ न गवाईयें। वार्ना आप भी मेरी तरह वक़्त को ही कोसेंगे जबकि ( घड़ी और अंजलि एक साथ बोलते हैं। ) वक़्त कभी बुरा नहीं होता।
पर्दा गिरता हैं।
¤ नाटक समाप्त। ¤
( नोट :- इस नाटक का मंचन अपने स्कूल में करवा सकते हैं परन्तु इसे कहीं प्रकाशित नहीं करवा सकते। )
समय का महत्व बताता हिंदी नाटक ( Short Natak In Hindi On Time ) के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
धन्यवाद।
12 comments
Very nice story
very good story sir
Thanks sir very helpful
Very good story
Very good story….I love it
Thank You Ajay
May i know the name of writer and his/her biography
This story is written by me and my biography is under construction….
सर मुझे इस नाटक का पीडीएफ चाहिये प्रोजेक्ट के लिए क्या आप मुझे पीडीएफ उपलब्ध करवा सकते हैं।
कपिल शर्मा जी हमसे [email protected] में या फिर +91 7697293600 WhatsApp में सपर्क करे। धन्यवाद
As usual amazing article …. really fantastic …. Thanks for sharing this!! :) :)
Thank you very much…….HindIndia…….