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ज्ञानवर्धक कहानी :- आदतें ही हमारी पहचान हैं | एक अरबी कथा

by Sandeep Kumar Singh
6 minutes read

एक इन्सान की परवरिश का पता उसकी आदतों से ही चल जाता है। धन-दौलत से आप सुख-सहूलतें खरीद सकते हो लोगों के ख्याल नहीं। आपकी हरकतें ही आपकी सच्चाई बयान करने के लिए काफी हैं। इसी बात का ज्ञान दे रही हैं यह अरबी कथा जिसका शीर्षक है ज्ञानवर्धक कहानी :-

ज्ञानवर्धक कहानी

ज्ञानवर्धक कहानी

एक बादशाह के दरबार में एक अनजान व्यक्ति नौकरी की तलाश में आया। बादशाह ने उस से उसकी योग्यता पूछी तो उसने कहा,

“सियासी हूँ”

( अरबी भाषा में सियासी उसे कहते हैं जो अपनी बुद्धि और ज्ञान से किसी भी समस्या को आसानी से सुलझा सकता है। )

बादशाह के दरबार में सियासतदानों की कमी न थी लेकिन बादशाह उसके आत्मविश्वास से बहुत प्रभावित हुआ और उसे घोड़ों के तबेलों का प्रमुख अध्यक्ष बना दिया गया।



कुछ दिनों बाद बादशाह के मन में ये विचार आया कि अपने तबेले में सबसे महंगे घोड़े के बारे में जानकारी हासिल की जाए। इसी उद्देश्य से बादशाह ने तबेले के प्रमुख अध्यक्ष को बुलाया और उस से घोड़े के बारे में पूछा। तब उस व्यक्ति ने जवाब दिया,

“बादशाह सलामत यह घोड़ा नस्ली नहीं है।”

बादशाह ये सुन कर हैरान हुआ। उसने उस आदमी को बुलाया जी से वह घोड़ा लिया गया था। उसने बताया कि घोड़ा तो नस्ली है लेकिन जब यह पैदा हुआ था तो इसकी माँ मर गयी और इसका पालन-पोषण गाय का दूध पी कर हुआ है।

बादशाह ने तबेले के अध्यक्ष से पूछा कि उसे इस बात का पता कैसे चला? तब उसने जवाब दिया,

” यह घोड़ा जब घास खाता है तो गायों की तरह सर नीचे कर के ही खाता है। जबकि नस्ली घोड़े जब भी घास खाते हैं तो वो घास मुँह में दबा लेने के बाद सर उठा लेते है और फिर खाते हैं।”

बादशाह उसकी अक्लमंदी से बहुत खुश हुआ और इनाम के तौर पर उसके घर अनाज, घी और बहुत सी खाने की चीजें भिजवायीं। इतना ही नहीं उसे अपनी मल्लिका की देख-रेख के लिए महल में तैनात कर दिया।

फिर एक दिन बादशाह को उस व्यक्ति की याद आई और उसने उसे बुला कर अपनी बेगम के बारे में पूछा। तब उस व्यक्ति ने बताया,

“रहन-सहन तो मल्लिका जैसा है लेकिन शहज़ादी नहीं है।”

इतना सुन कर बादशाह के पैरों तले जमीन खिसक गयी। उसका सर चकरा गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो हकीकत जानना चाहता था इसलिए उसने अपनी सास को बुलाने का हुक्म दिया।



अगले दिन उसकी सास बादशाह के पास पहुंची। तो बादशाह ने उसे सब कुछ बताया और सच बताने को कहा। तब सास सच बताने लगी,

” आपके पिता ने हमारी बेटी के जन्म लेने पर उसका हाथ आपके लिए मांग लिया था। लेकिन कुछ दिनों बाद हमारी बेटी मर गयी। आपकी बादशाहत से करीबी रिश्ते कायम रखने के लिए हमने किसी और की बेटी को गोद ले लिया और उसका निकाह आपसे करवा दिया।”

हकीकत जानने के बाद बादशाह ने उस व्यक्ति से पूछा कि तुमको इस बात का इल्म कैसे हुआ कि वो शहज़ादी नहीं है?

उस व्यक्ति ने कहा,

“बादशाह आपकी बेगम का नौकरों के साथ सलूक जाहिलों से भी बदतर है। कोई खानदानी आदमी इस तरह का बर्ताव नहीं करता।”

बादशाह फिर बहुत खुश हुआ और उसे इनाम के तौर पर खूब सारा अनाज और भेड़-बकरियां भेजीं। इसके साथ ही उसे अपना दरबारी बना लिया।

कुछ दिन फिर बीते तो बादशाह ने सोचा मैं इस आदमी से सब के बारे में पूछता हूँ क्यों न आज अपने बारे में ही पूछा जाए। जब बादशाह ने अपने बारे में पूछा तो उस व्यक्ति ने कहा,

“अगर आप मेरी जान बख्शें तो ही मैं बता पाउँगा।”

बादशाह ने उस व्यक्ति से वादा किया कि उसको कुछ नहीं कहा जायेगा। तब उसने बताया कि,

“न आप शहज़ादे हो न आपका चाल-चलन बादशाहों वाला है।”

इतना सुनते ही बादशाह को बहुत गुस्सा आया लेकिन उसने वादा किया था कि उसे कुछ नहीं कहा जायेगा। लेकिन इस बार फिर से हकीकत जानने के लिए उसने अपनी माँ को बुलवाया और उसे सच बताने को कहा।

उसकी माँ ने बताना शुरू किया,

“तुम हमारी औलाद नहीं हो। हमें एक चरवाहे से तुम्हें गोद लिया था।”

बादशाह ने उस व्यक्ति को बुलाया और एक बार फिर पूछा कि तुम्हें इस बात का इल्म कैसे हुआ? तब उस व्यक्ति ने बताया,

“जब भी कोई बादशाह किसी को इनाम देता तो है तो इनाम में हीरे-जवाहरात जैसी चीजें देता है। लेकिन आप खाने का सामान और भेड़-बकरियां देते हैं। ये सलूक किसी बादशाह का नहीं बल्कि चरवाहे के बेटे का ही हो सकता है।”

इस ज्ञानवर्धक कहानी की तरह ही इन्सान के पास कितनी ही धन-दौलत क्यों न हो? उसकी कितनी ही शान-ओ-शौकत क्यों न हो। इन्सान की हरकतें और उसकी आदतें उसकी असलियत के बारे में बता ही देती हैं।

यदि आप चाहते हैं कि आपकी शख्सियत सबके सामने अच्छी बने तो अपनी आदतें बदलिए और सबके साथ सही ढंग से व्यव्हार कीजिये।

ज्ञानवर्धक कहानी आपको कैसी लगी हमें अपने विचार कमेंट बॉक्स के जरिये जरूर बताएं।

पढ़िए बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक कहानियां ( Gyanvardhak Kahaniyan ) :-

धन्यवाद।

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10 comments

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Vinod Kumar अगस्त 16, 2022 - 10:19 अपराह्न

बहुत ही उम्दा कहानियों का संग्रह है।

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Amar Jeet जुलाई 10, 2022 - 9:14 पूर्वाह्न

Achi kahani hai Bhai

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Deepak kumar sharma दिसम्बर 23, 2021 - 8:52 अपराह्न

Best story sarji isi tarh gyanvardhak kahani dalte rahiye padhne me anand ata hai..

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Khileshwar dehari जुलाई 25, 2020 - 4:06 अपराह्न

Nice story heart touch thnks sir

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Mool chandra kashyap दिसम्बर 29, 2019 - 8:13 अपराह्न

बहुत ही ज्ञानबर्धक और रोचक कहानी है

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Sudhir Samrat दिसम्बर 6, 2019 - 6:40 अपराह्न

Wonderful Story
May God Bless you
Thank You

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ali bahadur अक्टूबर 2, 2019 - 10:51 अपराह्न

जबरदस्त कहानी के लिए शुक्रिया सर अरबी की और कहानिया पोस्ट करे
धन्यवाद

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ali bahadur अक्टूबर 2, 2019 - 10:49 अपराह्न

बहुत ही बेहतरीन कहानी के लिए शुक्रिया सर अरबी की और कहानिया पोस्ट करे
धन्यवाद

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ali bahadur सितम्बर 13, 2019 - 12:10 पूर्वाह्न

bahut behtreen

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विवेक कुमार सिंह बागी अगस्त 17, 2019 - 9:38 अपराह्न

बहुत ही अच्छी कहानी है…… ????????????????????????

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