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तेरी यादें कविता :- किसी की याद में दर्द भरी कविता | Dard Bhari Kavita


यादें उन मेहमानों की तरह होती हैं जो बिना बताये कहीं भी कभी भी मिल जाती हैं। इनके मिलते ही दिल के हर कोने में एक तूफ़ान सा मचता है। वो तूफान जिसे हम कई बार दफ़न करने की कोशिश करते हैं। मगर थोड़ी सी हरकत होने पर ही ये तूफ़ान फिर से उठ जाता है और दबे हुए सारे जख्मों को फिर से उभार देता है। ऐसी हालत में हमारे साथ और क्या-क्या होता है आइये जानते हैं इस तेरी यादें कविता में :-

तेरी यादें कविता

तेरी यादें कविता

लगे बेदर्द आलम ये, बेगाने लोग लगते हैं,
समय फिर रुक सा जाता है, ये लम्हे न गुजरते हैं,
अरे उस हाल में न चैन न ही मौत आती है,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं।

मेरी तन्हाई में फिर चाँद तारे साथ देते हैं,
उन्हीं के साथ अपना दर्द, हम फिर बाँट लेते हैं,
मैं कहता हूँ अपने मन की, ये रातें बीत जाती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं।

हवाएं चलती रहती हैं, दम मेरा घुटता रहता है,
मेरे मन का सुकूँ, कुछ इस तरह से लुटता रहता है,
कमी तेरी मुझे अकसर, इस तरह से तड़पाती है,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं।

अब मेरा हाल ऐसा है, न मरता न जीता हूँ,
ग़मों का भर के पैमाना, मैं तो हर शब ही पीता हूँ,
जिंदगी यूँ ही बिन तेरे, अब तो बस कटती जाती है,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं।

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‘ तेरी यादें कविता ‘ पढ़ कर यदि आपके दिल में भी किसी की यादें लौट आई हैं तो अपनी भावनाओं को हमारे साथ जरूर शेयर करें। यदि आप इसे कविता या कहानी के रूप में प्रस्तुत करना चाहे तो हम अपने ब्लॉग के जरिये लोगों तक आपकी बात पहुँचाने का प्रयास जरूर करेंगे।

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धन्यवाद।

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