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यादें उन मेहमानों की तरह होती हैं जो बिना बताये कहीं भी कभी भी मिल जाती हैं। इनके मिलते ही दिल के हर कोने में एक तूफ़ान सा मचता है। वो तूफान जिसे हम कई बार दफ़न करने की कोशिश करते हैं। मगर थोड़ी सी हरकत होने पर ही ये तूफ़ान फिर से उठ जाता है और दबे हुए सारे जख्मों को फिर से उभार देता है। ऐसी हालत में हमारे साथ और क्या-क्या होता है आइये जानते हैं इस तेरी यादें कविता में :-
तेरी यादें कविता
लगे बेदर्द आलम ये, बेगाने लोग लगते हैं,
समय फिर रुक सा जाता है, ये लम्हे न गुजरते हैं,
अरे उस हाल में न चैन न ही मौत आती है,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं।
मेरी तन्हाई में फिर चाँद तारे साथ देते हैं,
उन्हीं के साथ अपना दर्द, हम फिर बाँट लेते हैं,
मैं कहता हूँ अपने मन की, ये रातें बीत जाती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं।
हवाएं चलती रहती हैं, दम मेरा घुटता रहता है,
मेरे मन का सुकूँ, कुछ इस तरह से लुटता रहता है,
कमी तेरी मुझे अकसर, इस तरह से तड़पाती है,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं।
अब मेरा हाल ऐसा है, न मरता न जीता हूँ,
ग़मों का भर के पैमाना, मैं तो हर शब ही पीता हूँ,
जिंदगी यूँ ही बिन तेरे, अब तो बस कटती जाती है,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं,
तेरी यादें जब इस दिल में कहीं से लौट आती हैं।
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धन्यवाद।
1 comment
Osm sir ,jo bhi likha h aapne har game dil ko sukoon pahuchane wala marham lagta h sir me bhi kuch kehna chahta hu ,,, aashoqo ke liye to unka dard hi marham hota he kyu ki chot jo unke dil pe itni gahri lagi hoti he jaha kisi bhi dawa ka koi asar nhi hota h