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किसान पर कविता :- भारत माता का लाल वही | Kisan Par Kavita


बिना गाँव और बिना किसान किसी भी देश का संपूर्ण होना संभव नहीं है। अगर देश के अन्नदाता न हों तो देश भूखा ही मर जाए। लेकिन समय की विडंबना देखिये आज किसान अलग, अलग कारणों के कारण अपनी जान गँवा रहे हैं। धन्य हैं वो किसान जो अपनी मेहनत से दूसरों का पेट भरते हैं। उन्हीं किसानों को समर्पित है किसान पर कविता :-

किसान पर कविता

किसान पर कविता

भरे पेट जो सभी जनों का
माटी में फसल उगाता है,
भारत माता का लाल वही
अपना किसान कहलाता है।

आलस तनिक न तन में रहता
भय न कभी भी मन में रहता,
कोई भी विपदा आ जाए
हँसकर वह सब कुछ है सहता।

बस रहे सदा परिवार सुखी
जिसके संग उसका नाता है,
भारत माता का लाल वही
अपना किसान कहलाता है।

कष्ट न देती धूप दिवस की
न अँधेरी रात डराती है,
डटा रहे हर समय खेत में
जब तक न फसल पक जाती है।

सूरज के उठने से पहले
वो पहुँच खेत में जाता है,
भारत माता का लाल वही
अपना किसान कहलाता है।

वह करे परिश्रम खेतों में
समय की मार भी सहता है,
मेहनत करता है पूरी और
संयम भी बांधे रहता है।

बोझ जिम्मेवारियों का
अकेला वही उठाता है,
मिले न दो निवाले कभी तो
वह भूखा ही सो जाता है

न जाने किस कलम से रचता
दुष्कर उसका भाग्य विधाता,
ऋणी हो गया आज हमारे
हिंदुस्तान का अन्नदाता।

नहीं सहारा मिलता है जब
फांसी को गले लगाता है,
भारत माता का लाल वही
अपना किसान कहलाता है।

धरती माने माता समान
नित उसको शीश नवाता है,
भारत माता का लाल वही
अपना किसान कहलाता है।

– संदीप कुमार सिंह

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अगर किसान पर कविता में आपको सच्चाई नजर आती है तो कमेंट बॉक्स में अपने विचार जरूर व्यक्त करें।

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धन्यवाद।

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