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कालिदास और विद्योत्तमा | कालिदास के विवाह की कहानी | Kalidas Ki Kahani


कालिदास और विद्योत्तमा

भारतीय इतिहास कई महान व्यक्तियों की बदौलत सम्पूर्ण विश्व में जाना जाता है। भारतीय धरा पर कई विद्वान् और पंडित हुए हैं जिन्होंने इस धरती को ऐसी देन दी है जिस से हर भारतीय का सीन गर्व से चौड़ा हो जाता है। इन्हीं महान आत्माओं में से एक हैं कालिदास। इनके जीवनकाल से सकारात्मक होकर जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। आइये जानते हैं महाकवि कालिदास और विद्योत्तमा के जीवन के बारे में :-

कालिदास का जीवन परिचय

कालिदास और विद्योत्तमा

कालिदास का जन्म किस काल में हुआ और वे मूलतः किस स्थान के थे इसके बारे में अलग-अलग विद्वानों में काफ़ी विवाद है।

कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर उन्होंने काफी रचनाएं की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्व निरूपित हैं। वे अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं।

कालिदास के बारे में कथाओं और किम्वादंतियों से ये पता चलता है की वह शक्लो-सूरत से सुंदर थे और विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में एक थे। कहा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे।

कालिदास और विद्योत्तमा

कालिदास की पत्नी का नाम विद्योत्तमा था। ऐसा कहा जाता है कि विद्योत्तमा ने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वह उसी के साथ शादी करेगी। जब विद्योत्तमा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्वानों को हरा दिया तो अपमान से दुखी कुछ विद्वानों ने कालिदास से उसका शास्त्रार्थ कराया।

विद्योत्तमा मौन शब्दावली में गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसे कालिदास अपनी बुद्धि से मौन संकेतों से ही जवाब दे देते थे। विद्योत्तमा को लगता था कि वो गूढ़ प्रश्न का गूढ़ जवाब दे रहे हैं। उदाहरण के लिए विद्योत्तमा ने प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो कालिदास को लगा कि यह थप्पड़ मारने की धमकी दे रही है। उसके जवाब में उसने घूंसा दिखाया तो विद्योत्तमा को लगा कि वह कह रहा है कि पाँचों इन्द्रियाँ भले ही अलग हों, सभी एक मन के द्वारा संचालित हैं।

कालिदास का विवाह

कालिदास और विद्योत्तमा का विवाह हो गया तब विद्योत्तमा को सच्चाई का पता चला कि वे अनपढ़ हैं। उसने कालिदास को धिक्कारा और यह कह कर घर से निकाल दिया कि सच्चे पंडित बने बिना घर वापिस नहीं आना।

⇒पढ़िए- भारत की पौराणिक संस्कृति | भारतीय संस्कृति की पहचान

( अस्ति कश्चित वागर्थीयम् नामसेडॉ कृष्ण कुमार ने १९८४ में एक नाटक लिखा, यह “नाटक कालिदास के विवाह” की लोकप्रिय कथा पर आधारित है। इस कथा के अनुसार, कालिदास पेड़ की उसी टहनी को काट रहे होते हैं, जिस पर वे बैठे थे। विद्योत्तम से अपमानित दो विद्वानों ने उसकी शादी इसी कालिदास के करा दी। जब उसे ठगे जाने का अहसास होता है, तो वो कालिदास को ठुकरा देती है। साथ ही, विद्योत्तमा ने ये भी कहा कि अगर वे विद्या और प्रसिद्धि अर्जित कर लौटते हैं तो वह उन्हें स्वीकार कर लेगी। जब वे विद्या और प्रसिद्धि अर्जित कर लौटे तो सही रास्ता दिखाने के लिए कालिदास ने उन्हें पत्नी न मानकर गुरू मान लिया।)

कालिदास ने सच्चे मन से काली देवी की आराधना की और उनके आशीर्वाद से वे ज्ञानी और धनवान बन गए। ज्ञान प्राप्ति के बाद जब वे घर लौटे तो उन्होंने दरवाजा खड़का कर कहा – कपाटम् उद्घाट्य सुन्दरी (दरवाजा खोलो, सुन्दरी)। विद्योत्तमा ने चकित होकर कहा — अस्ति कश्चिद् वाग्विशेषः (कोई विद्वान लगता है)।

उन्होंने विद्योत्तमा को अपना पथप्रदर्शक गुरू माना और उसके इस वाक्य को उन्होंने अपने काव्यों में जगह दी। और अपने जीवन काल के दौरान कई अद्भुत रचनाएँ दीं। कहते हैं कि कालिदासजी की श्रीलंका में हत्या कर दी गई थी लेकिन विद्वान इसे भी कपोल-कल्पित मानते हैं।

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इस तरह उनके जीवन से हमें बहुत सी शिक्षाएँ मिलती हैं। अगर कोई आपकी कमियां बताता है तो उसे हमें सकारत्मक तौर पर लेना चाहिए। जब हम कोई कार्य करने की सोचते हैं तो हमें अपने पथ से भटकना नहीं चाहिए। जीवन में अगर कभी अंधकार आये तो घबराना नहीं चाहिए।

मित्रों आपको Kalidas Ki Kahani से क्या शिक्षा मिली कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिखना ना भूलें। हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।

धन्यवाद।

27 Comments

  1. आप ने अधूरी कहानी दी है! कालीदास एक लकडहारे थे. . Please study. This was the condition of Pandits that kalidaas does not speak and communicate using symbols. First she shown the 1finger wanted to say that parmatma is one only. In response kalidaas shown two fingers . Kalidaas concluded that she wants to puncture my one eye so he responded showing two fingers to convey that then I will puncture your both eyes. Interpretation given by pandits that parmatma aur atma. And so whole session had 5 questions. How she learnt that he is not learned. When he saw camel he exclaimed by sounding utra utra loudly instead ushtra. Ushtra is the right word for camel in Sanskrit. Advise you to do home work before writing blog.

    1. Absolutely…. IF you will write an incident of his life by telling that this not a complete story…..then it is your perception how you see it. Same thing can be said by me that you haven't given the details of those five question so your information is also not complete. Dear Brother we write what we get and it's not possible for every human to gather all the information.. One thing more from next time if you ask the explanation for anything give the source of information from where you have learnt….You can question only if the details hurts anyone's sentiment. Thanks For your precious comment.

  2. विद्योत्तमा ने कालिदास के लिए द्वार खोलने से पूर्व कहा~अस्ति कश्चिद् वाग्विशेषः।कालिदास ने इन चार शब्दों(अस्ति/कश्चिद्/वाग्/विशेष्ः)से क्रमशः आरंभ करते हुए चार ग्रंथों की रचना की।इन ग्रंथों का संदर्भ दे सकें तो उपयोगी होगा।

    1. गौरी शंकर जी हम जरूर प्रयास करेंगे कि आपके द्वारा बताई गई जानकारी को विस्तारपूर्वक पढ़ कर इस से संबंधित जानकारी आप तक पहुंचा सकें। तब तक आप हमारे साथ यूँ ही बने रहें। धन्यवाद।

    1. धन्यवाद अरविंदजी ठाकोर जी.. ..हम आगे भी इसी तरह के ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारियाँ आप तक लाते रहेंगे…..इसी तरह हमारे साथ जुड़े रहें. …..आपका बहुत बहुत आभार…..

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