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संघर्षमय जीवन पर कविता – दोस्तों परेशानियाँ किसके जीवन में नहीं आतीं। लेकिन वो इन्सान ही क्या जो परेशानियों से डर कर हार मान ले। इन्सान तो वो है जो हर रोज निकलने वाले सूरज से सीख प्राप्त कर नित्य प्रतिदिन अपने जीवन को सुधारने का प्रयास करता रहे, संघर्ष करता रहे। हिम्मत हार जाने वाले जब खुद को नहीं संभाल सकते तो वो अपने बिगड़े हुए जीवन को क्या संभालेंगे? हर दिन के बाद एक रात आती है। पर उस रात के बाद जब सूरज निकलता है तो फिर से एक रौशनी की किरण उजाला कर देती है। ऐसी ही प्रेरणा देती हुयी कविता हम आपके समक्ष लेकर आये है संघर्षमय जीवन पर कविता ” सूरज निकल गया ।”
संघर्षमय जीवन पर कविता
चल सूरज निकल गया, उठ अब तू हो जा खड़ा,
हिम्मत जो है तुझमें, उसको अब तू जुटा।
चल सूरज निकल गया……..
मंजिल है दूर तो क्या? रस्तों पर ठहरना क्या?
कोशिश तो अब तू कर, कदम तू अपने बढ़ा,
कोई रोक न पाए तुझको, तू सिर पर फितूर चढ़ा,
चल सुरज निकल गया, उठ अब तू हो जा खड़ा,
हिम्मत जो है तुझमें, उसको अब तू जुटा।
जो दर्द मिले तुझको, तू उसको सहता जा,
जो राह न दिखती हो कोई, तो राह इक नई बना,
जो सोचा है तूने, हासिल वो कर के दिखा,
चल सूरज निकल गया, उठ अब तू हो जा खड़ा,
हिम्मत जो है तुझमें, उसको अब तू जुटा।
ये प्रश्न जो उठते हैं, तेरे आगे बढ़ने पर,
पाकर मंजिल अपनी, खामोश तू इनको करा,
नजरें रखना बस लक्ष्य पर और आगे बढ़ता जा,
चल सूरज निकल गया, उठ अब तू हो जा खड़ा,
हिम्मत जो है तुझमें, उसको अब तू जुटा।
पहुंचेगा जब तू ठिकाने पर, सब तुझको ही बस बुलाएँगे,
ये जो तेरे विरुद्ध हैं खड़े हुए, खुद को तेरा हितैषी बताएँगे,
बस रख के भरोसा खुद पर तू उम्मीद के दिए जलाये जा,
चल सूरज निकल गया, उठ अब तू हो जा खड़ा,
हिम्मत जो है तुझमें, उसको अब तू जुटा।
पढ़िए :- कविता – रास्ता भटक गया हूँ मैं | Rasta Bhatak Gaya Hu Mai
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Bht bdiya bhai, Kaash Mai b kuch Aisa hi likh pau
प्रयास करते रहिये, ऐसा क्या आप इस से भी अच्छा लिख पाएंगे।
Sir…U have a very rich and BeAUTifuL vocabulary…never leave writing…keep on going……and never end this site…thank u
Thanks for complement Agrima…I always try to give my best and I'll do it forever..Thanks again..
Aapne bahtareen likha hai.. Thank you
आप जैसे पाठकों के कारण ही यह सब संभव हो पाता है। इसी तरह हौसला अफजाई करते रहें। धन्यवाद।