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सपनों की उड़ान कविता – सपने मनुष्य की इच्छा और आकांक्षाओं के प्रतीक होते हैं। सभी मनुष्य अपने जीवन में सुन्दर भविष्य के सपने देखते हैं। नींद में बन्द आँखों से देखे गए सपने मनुष्य की दमित इच्छाओं के प्रतिरूप होते हैं वहीँ खुली आँखों से देखे जाने वाले सपने यथार्थ पर आधारित होते हैं। सपनों को पूरा करने के लिए मनुष्य रात – दिन कठिन परिश्रम करता है लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि आदमी के सभी सपने पूरे हों। सपनों के टूटने पर व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए। जीवन सपनों से बड़ा होता है। हमें जीवन की कटुताओं को स्वीकार कर हँसते हुए जीना चाहिए। आइये पढ़ते हैं इन्हीं सपनों को समर्पित ” सपनों की उड़ान कविता “
सपनों की उड़ान कविता
आँखों में हैं सपने पलते
साँसों में हैं सपने ढलते,
कुछ सपने होते हैं पूरे
कुछ सपने रहते हैं छलते।
रात दिवस ये दौड़ लगाते
हमसे आगे भागे जाते,
जब इच्छाएँ सो जाती हैं
सपने आकर इन्हें जगाते।
सपनों से जीवन में आशा
ये खुशियों के खील – बताशा,
धारण करके रूप बहुत से
दिखा रहे ये खेल तमाशा।
हैं छोटों के सपने छोटे
और बड़ों के सपने मोटे,
कुछ सपनों को धार मिले तो
कुछ सपने रह जाते भोटे।
ये माँ के आँचल में पलते
थाम पिता की उँगली चलते,
युवकों के दिल की धड़कन में
शोलों – से ये रहे मचलते।
होता मन जब रीता – रीता
लगता सब कुछ बीता – बीता,
ऐसे में सपनों के बल पर
थका मनुज इस जग में जीता।
सपने टूट कभी हैं जाते
दूर कभी हम इनको पाते,
कभी कभी तो मृगतृष्णा बन
ये हमको रहते भरमाते।
करें सहन सपनों की टूटन
हैं सपनों से बढ़कर जीवन,
कुछ फूलों के झर जाने से
मरा नहीं करता है उपवन।
सपनों की उड़ान कविता का विडियो यहाँ देखें :-
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