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किन्नर पर कविता :- किन्नर भी हैं इस धरती पर | Kinnar Par Kavita


” किन्नर पर कविता ” में किन्नर यानी ट्रांसजेन्डर समुदाय के साथ अच्छा व्यवहार करने की बात कही गई है। कुछ शारीरिक विकृतियों के कारण ही किन्नरों को हेय दृष्टि से देखना उचित नहीं है। शारीरिक और मानसिक रूप से ये भी अन्य मनुष्यों की तरह ही काम करने में सक्षम होते हैं। समाज को अपने पूर्वाग्रहों का त्याग करके किन्नरों को भी सामान्य मानव के रूप में स्वीकार कर समुचित आदर देना चाहिए।

किन्नर पर कविता

किन्नर पर कविता

किन्नर भी हैं इस धरती पर
मानव का ही सुन्दर रूप,
क्यों फिर इनकी हँसी उड़ा हम
मानवता करते विद्रूप।

रखते हैं ये भी समाज में
जीने का पूरा अधिकार,
साथ नहीं हो इन दुखियों के
भूले से भी दुर्व्यवहार।

युगों युगों के पुर्वाग्रह से
अब समाज हो अपना मुक्त,
किन्नर भी पहचान बनाएँ
मदद सभी की पा उपयुक्त।

साथ किन्नरों के कुदरत ने
जो भी की है भारी भूल,
सहज भाव से उसको लें हम
दें विकार को अधिक न तूल।

अंग विकल कुछ होने से ये
बनें नहीं नफरत के पात्र,
महका देगा इनका जीवन
प्यार भरा प्रोत्साहन मात्र।

क्षमता के अनुरूप मिलेंगे
जब इनके हाथों को काम,
तब ये आँसू पोंछ दृगों के
लेंगे सुख का दामन थाम।

तन मन दोनों से ये सक्षम
नहीं इन्हें हम समझें हेय,
दे परिवार समाज राष्ट्र भी
आदर जो है इनको देय।

लिंग – भेद के कारण ना हो
कभी किन्नरों का अपमान,
मिले प्रगति का अवसर इनको
अन्यों के सम सदा समान।

” किन्नर पर कविता ” के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की यह बेहतरीन रचनाएं :-

धन्यवाद।

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3 comments

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शंकर सुमन September 8, 2022 - 9:41 AM

Badhiya

Reply
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Kapil Gori August 1, 2022 - 6:16 PM

Hi, I need your favor. I am working as a freelancer filmmaker. I am working on a musical short video based on kinners in our country. It’s for awareness. For that videos, I am looking for a poem. I read a poem at your Could I use this poem for my video? i need your approval.

Reply
Apratim Blog
Apratim Blog August 2, 2022 - 8:26 AM

We will surely help you. Please contact us at email [email protected] or WhatsApp +91 9115672434. Thanks

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