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Deep Poem In Hindi | दीप पर कविता – एक दीपक जल रहा है


 Deep Poem In Hindi – ‘दीप’ कविता में मिट्टी से बने दीपक के जीवन – संघर्ष को दर्शाया गया है। एक नन्हा – सा दीपक, आँधियों के बीच रहकर अंधकार से लड़ते हुए मानव के पथ को आलोकित करता है। विपरीत परिस्थितियों में भी दीपक बिल्कुल नहीं घबराता और रात भर जलकर हमें अंधेरे से मुक्ति दिलाता है। सवेरा होने पर दीपक बुझ जाता है, लेकिन हम में आत्मशक्ति का संचार कर जाता है। दीप का यह आत्म-बलिदान हमें  परोपकार की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। 

Deep Poem In Hindi
दीप पर कविता

Deep Poem In Hindi

एक दीपक जल रहा है
दूर तम – पथ में अकेला,
झेलता वीरानियाँ यह
आँधियों के साथ खेला।

दीप की मुस्कान ने तो
किरण के अंकुर बिखेरे,
अब अँधेरा ताकता है
डाल इससे दूर डेरे।

चांद आकर चल दिया है
डूबते हैं अब सितारे,
जल रहा है दीप लेकिन
आस के लेकर सहारे।

दीप को विश्वास है यह
सूर्य कल आकर उगेगा,
सौंप देगा भार उसको
प्राण का जब रथ थमेगा ।

बुझ रहेगा दीप तो यह
दे हमें उजला सवेरा,
जग उठेगा मनुज फिर से
आत्म की शक्ति से प्रेरा ।

जब हृदय में सद्गुणों के
सैंकड़ों दीपक जलेंगे,
घेरे गहन अज्ञान के
तब नहीं हमको छलेंगे।

कौनसी मिट्टी बताओ
दीप ! जिसने तुम्हें ढाला,
कर्म – पथ पर बढ़ रहे जो
आँख में भरकर उजाला।

तुम सदृश दीपक हमें भी
हो सदा उपकार प्यारा,
चेतना से हो प्रकाशित
अल्प यह जीवन हमारा।

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