Home » हिंदी कविता संग्रह » प्रेरणादायक कविताएँ » प्रेरणादायक कविता अँधियारा | Prernadayak Kavita Andhiyara

( Prernadayak Kavita Andhiyara ) प्रेरणादायक कविता अँधियारा में बताया गया है कि जैसे अमावस्या की रात्रि को धरती पर अंधकार छा जाता है वैसे ही जीवन में कभी – कभी निराशा के क्षण आते हैं। ऐसे विषम समय में बनी बनाई बात भी बिगड़ जाती है और मन अवसाद से ग्रस्त होकर नकारात्मक सोचने लगता है। ऐसे निराशाजनक समय में हमें दीपक से प्रेरणा लेकर मन के अंधेरों से लड़ना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि अँधेरी काली रात के बाद सूरज का आना निश्चित है। हमें बाहर भीतर के अंधेरों से लड़कर जीवन को सार्थकता प्रदान करने वाले उद्देश्यों की तलाश करना चाहिए।

प्रेरणादायक कविता अँधियारा

प्रेरणादायक कविता अँधियारा

रात अमावस की लाई है
कैसा घोर अँधेरा,
गहन कालिमा ने डाला है
धरती पर आ डेरा।

कभी कभी जीवन में आते
ऐसे ही अँधियारे,
दूर दूर तक दिखलाई तब
पड़ते नहीं किनारे।

आशाओं के दीपक सारे
लगते हैं तब बुझने,
सुलझाए थे सूत्र कभी जो
लगते पुनः उलझने।

जीवन में बढ़ते ही जाते
कुंठाओं के घेरे ,
लगता कभी नहीं आएँगे
आशा भरे सवेरे।

लेकिन नन्हे दीपक जैसे
मिलकर करे दिवाली,
वैसे ही फूटी पड़ती है
अँधियारे में लाली।

कितनी भी हो रात अँधेरी
पड़ता उसको ढलना,
निश्चित होता है सूरज का
आकर रोज निकलना।

अपने अपने अँधियारों से
हम भी मिलकर जूझें,
और अर्थ सच्चे प्रकाश का
अपने मन से बूझें।

– सुरेश चन्द्र ” सर्वहारा “

( Prernadayak Kavita Andhiyara ) ” प्रेरणादायक कविता अँधियारा ” आपको कैसी लगी ? अपने बहुमूल्य विचार हम तक कमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर पहुंचाएं।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की यह प्रेरणादायक कविताएँ :-

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More