सरहद पर खड़े देश के पहरेदारों की वजह से ही हम देश के अन्दर खुद को सुरक्षित महसूस कर पाते हैं। परंतु कभी सोचा है जब एक सैनिक देश की रक्षा में खुद को बलिदान कर देता है तब उसकी क्या मनःस्थिति होती है। आइये पढ़ते हैं इसी सन्दर्भ में “ बलिदान पर कविता ”
बलिदान पर कविता
बेटा तेरा बलिदानी इस
बलिदान पे तुम न रोना माँ।
देश के खातिर जा रहा हूँ
आँसू से आँचल नहीं भिगोना माँ।
सीने पे गोली खाकर
सौ दुश्मनों को मारा।
रिसता रहा खून सीने से
हिम्मत नहीं मैं हारा।
आँसू नहीं बहायें पापा
न तुम धीरज खोना माँ।
बलिदान पे तुम न रोना माँ।
भाई को समझाना माँ
हम अगले जनम मिलेंगे।
ऊँगली पकड़ घुमाऊँगा
फिर साथ साथ खेलेंगे।
पढ़ लिख कर वह बने सिपाही
सपना यही पिरोना माँ।
बलिदान पे तुम न रोना माँ।
बचपन की बातें माँ
अब याद आ रही है।
सीने से लगा कर तू माँ
मुझे लोरी सुना रही है।
हँस कर मेरे दोस्तों से मिलना
जीवन में गम न बोना माँ।
बलिदान पे तुम न रोना माँ।
देश के खातिर जा रहा हूँ
आँसू से आँचल नहीं भिगोना माँ।
बेटा तेरा बलिदानी इस
बलिदान पे तुम न रोना माँ।
बलिदान पे तुम न रोना माँ….
पढ़िए :- सैनिक पर कविता ” सरहद पर खड़ा जवान है।”
यह कविता हमें भेजी है श्रीमती केवरा यदु ” मीरा ” जी ने। जो राजिम (छतीसगढ़) जिला गरियाबंद की रहने वाली हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें इस तरह हैं :-
1- 1997 राजीवलोचन भजनांजली
2- 2015 में सुन ले जिया के मोर बात ।
3-2016 देवी गीत भाग 1
4- 2016 देवीगीत भाग 2
5 – 2016 शक्ति चालीसा
6-2016 होली गीत
7-2017 साझा संकलन आपकी ही परछाई।2017
8- 2018 साझा संकलन ( नई उड़ान )
इसके अतिरिक्त इनकी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए लगभग 50 बार सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें वूमन आवाज का सम्मान भी भोपाल से मिल चुका है।
लेखन विधा – गीत, गजल, भजन, सायली- दोहा, छंद, हाइकु पिरामिड-विधा ।
उल्लेखनीय- समाज सेवा बेटियों को प्रशिक्षित करना बचाव हेतु ।
‘ बलिदान पर कविता ‘ ( Balidan Par Kavita ) के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
धन्यवाद।
Good 💭 thought, bro well done.