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प्यार एक ऐसी चीज है जिसमें इन्सान को वही सही लगता है जो वह चाहता है। धोखा खाने के बाद भी कैसे एक प्रेमी अभी भी सच्चा प्यार पाने की उम्मीद लगा कर बैठा है पढ़िए हिंदी कविता – झूठी उम्मीद में ।
हिंदी कविता – झूठी उम्मीद
चल आज खुद को धोखा देने की कोशिश करता हूँ,
एक बार फिर से तुझ पर भरोसा करता हूँ,
शायद इस दफा तू सच्चा निकले।
चल आज तेरी सारी गुस्ताखियों को माफ़ करता हूँ,
एक बार फिर से तुझे प्यार करता हूँ,
शायद तू इस दफा वादों का पक्का निकले।
चल आज तेरी हर अदा की मैं तारीफ़ करता हूँ,
एक बार फिर तुझे हमराज करता हूँ,
शायद साफ़ तेरी नियत निकले।
चल आज हर बार तेरी ही बात करता हूँ,
एक बार फिर तेरा नाम करता हूँ
शायद तू गुमनाम निकले।
मगर अफ़सोस कि अब
तुझे ना भूल पाएंगे,
ना मिले मुझे महबूब तुझसा
ये इबादत है मेरी
मिले हर शख्स दुनिया में
मुझे चाहे वो जैसा हो
मगर जो तुझसा मिलना हो तो
रूह इस बदन से जा निकले,
मगर जो तुझसा मिलना हो तो
रूह इस बदन से जा निकले।
पढ़िए प्यार में धोखा पर कविताएं-
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धन्यवाद।
4 comments
Bahut acha laga
धन्यवाद सनी तिवारी जी।
waah bahut badhiyaa umdaah kavita padhkar maza aa gaya umeed hai aage bhi apke blog ke madhyam se nayee nayee kavitaon se update rahooga
धन्यवाद pushpendra dwivedi जी…..हम आप कि उम्मीद पर खरे उतरने की पूरी कोशिश करेंगे..इसी तरह हमारे साथ बने रैन एक बार फिर आप का धन्यवाद…