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बचपन जीवन का एक ऐसा हिस्सा होता है जिसे हम जब भी याद करते हैं तो हमारे चेहरे पर बस एक हलकी सी मुस्कान आ जाती है। ये बचपन की यादें अक्सर हमारी सोच में तभी आती हैं जब हम कुछ फुर्सत के लम्हों में होते हैं। ऐसे ही एक लम्हे में मैंने ये कविता ‘ बचपन को ढूँढने बैठा हूँ ‘ लिखने की कोशिश की है। उम्मीद करता हूँ ये कविता आपको आपकी बचपन की यादों के साथ जोड़ने में कामयाब होगी।
बचपन को ढूँढने बैठा हूँ
शाम ढले आसमान के तले मैं आँखें मूँद के बैठा हूँ,
फुर्सत के कुछ लम्हों में बचपन को ढूँढने बैठा हूँ।
हैं गम भी बहुत परेशानियाँ भी हैं
वक़्त की दी हुयी निशानियाँ भी हैं,
और साथ में हैं दर्द कई उन सब को भूलने बैठा हूँ
फुर्सत के कुछ लम्हों में बचपन को ढूँढने बैठा हूँ।
कभी खुले असमान के नीचे गलियों में दौड़ जब लगती थी
माँ-पापा प्यार बहुत करते डांट कभी-कभी पड़ती थी,
उन्हीं बीते पलों को आज मैं फिर से टटोलने बैठा हूँ
फुर्सत के कुछ लम्हों में बचपन को ढूँढने बैठा हूँ।
वो लाइट का आना-जाना मिलकर सबका शोर मचाना
रात को पढ़ना लालटेन में भोर भये से फिरे उठ जाना,
गाँव के विद्यालय जाती उस पगडण्डी पर घूमने बैठा हूँ
फुर्सत के कुछ लम्हों में बचपन को ढूँढने बैठा हूँ।
फिर टन-टन घंटी बजती थी दौड़ के घर सब जाते थे
खेलते थे बच्चे जब शाम को बड़े बुजुर्ग चौपाल सजाते थे,
मंदिर में होती आरती और रामायण सुनने बैठा हूँ
फुर्सत के कुछ लम्हों में बचपन को ढूँढने बैठा हूँ।
आज कहाँ वो गलियां हैं कहाँ रहे वो चौबारे
कहाँ गये वो साथी जो हर शाम हमको जो पुकारे,
याद जो आये उन किस्सों को आज मैं बुनने बैठा हूँ
फुर्सत के कुछ लम्हों में बचपन को ढूँढने बैठा हूँ।
शाम ढले आसमान के तले मैं आँखें मूँद के बैठा हूँ,
फुर्सत के कुछ लम्हों में बचपन को ढूँढने बैठा हूँ।
पढ़िए कविता :- बचपन की यादें – नानी का घर
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पढ़िए बचपन से संबंधित एनी रचनाएँ :-
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- मेले पर बाल कविता ” जब जब भी है आता मेला “
- एकाग्रता की शक्ति | चंद्रशेखर वेंकटरमन के बचपन की एक घटना
धन्यवाद।
9 comments
आपने बहुत अच्छी कविताऐं लिखी हैं
पढ़ते पढ़ते अपना बचपन याद आ गया।
पुरानी यादें ताजा कर दी आपने
आपकी कविता को कॉपी पेस्ट कर सकता हूं
Rishpal Bajekan जी आप कविता को लिंक के साथ शेयर कर सकते हैं।
Sir apka poetry padh k mujhe Rona aagya.
Bs yehi question krta hu khud se ki mai itna bda q ho gya ????????????
बचपन को ढूँढने बैठा हूँ –
Enjoyed reading this lovely poem
thanks a lot Sandeep bhai
Thank you also for reading this Yogesh Chandra Goyal ji…
गुरुजी आपकी कविता पढ़कर बहुत आनंद मिला, हर रोज़ मैं यही से अपने status copy करके update करता हूँ ????☺️☺️☺️
नवीन जी अच्छा लगा ये जानकर की आपको हमारी रचनाएं पसंद आती हैं। धन्यवाद। लेकिन स्टेटस के साथ हमारे ब्लॉग को भी अवश्य शेयर करें। धन्यवाद।