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सावन की घटायें | वर्षा ऋतु और सावन के महीने में बहार पर कविता


ज्येष्ठ की तपती गर्मी से परेशान हर किसी को बारिश के आने का उम्मीद लगी रहती है। बारिश आने से एक बार फिर से प्यासी धरती को जैसे नया जीवन मिल जाता है। हर तरफ हरियाली छाने लगती है। जीव जंतु झुमने लगते है। सावन का महिना अपने बारिश के बूंदों के लिए जाना जाता है। बारिश में सावन की सुन्दरता को बताती एक कविता “सावन की घटायें” हमें भेजी है, छत्तीसगढ़ से अंगेश्वर बैस ने’।

सावन की घटायें

सावन की घटायें | वर्षा ऋतु और सावन के महीने में बहार पर कविता

सावन की घटायें,
बरखा बनके छाए,
हरी-भरी धरती सुन्दर,
सबके मन को लुभाए,
इस मौसम को छोड़ कर,
बहारे भला कहा जाये,
सतरंगी समाओ से भला,
पीछा कैसे छुडाएं,
प्यासी सुखी धरती पर,
जान छिड़क सी जाये,
सावन की घटायें
बरखा बनके छाए,

तेरे आ जाने से देखो,
मस्ती मन में छाए,
जीवो को नया जीवन देकर,
सबकी प्यास बुझाये,
तन की गर्मी को हर कर,
शीतलता सी दे जाये,
सूखे बाग़ बगीचों को,
हरियाली का तोहफा दे जाये,
चारो ओर हरियाली है,
कैसे न सदके जायें,
सावन की घटायें,
बरखा बनके छाए,

हवाओ में भी महक है,
जिसमे खींचे चले जाये,
बागो में यौवन सी है,
मन मचला सा जाये,
सुन्दरता तेरी इतनी है,
चंदा भी शरमा जाये,
आया ऐसा दिन आज है,
फिर न मिल न पाए,
सावन के सुन्दर ये दिन,
मन भर न पायें,
छोड़ न जाना हमको कभी,
हर दिन सावन आये,
हर दिन सावन आये।

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angeshwar bais

सावन के बहारो का बखान करती इस कविता को हमें भेजा है अंगेश्वर बैस ने जो छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में रहते है। अंगेश्वर बैस जी कविता और गीत लिखने के शौक़ीन है। हमारे ब्लॉग में ये उनकी सुरुवाती कविताएँ है। और आगे भी हमारे पाठको को उनकी कुछ बेहतरीन कविताएँ हमारे ब्लॉग में पढने को मिल सकती है।

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