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आशा पर कविता :- निराशा के दीप बुझाकर | हिंदी कविता | Asha Par Kavita


जीवन में एक उम्मीद का होना बहुत जरूरी है। यदि आपके जीवन में बस निराशा ही है और जीवन में आगे बढ़ने का कोई रास्ता नजर नहीं आता तो जीवन व्यर्थ है । आपको एक आशा की किरण कोई जगाना होगा। तभी आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। उसी जीवन की उम्मीद पर प्रस्तुत है यह आशा पर कविता :-

आशा पर कविता

आशा पर कविता

निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें
दसों दिशा में फैले तम को
मिलकर कोसो दूर भागायें,
स्नेहरूपी दीप जलाकर
जीवन मे उजियारा लायें
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

मिटाकर मन के अंधकार को
नव जीवन की ज्योत जलायें
अनाथों का हाथ पकड़कर
फिर नाथ की शरण मे आयें,
हनुमान की भांति इस जग को
रामभक्ति का पाठ पढ़ायें
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

सत्कर्म की राह चलें
सद्भावना हर जगह फैलाएं
सच्चाई के पथ पर बढ़ें हम
सारी बुराई मार गिराएँ,
जलकर दीपों की बाती सा
जग को हम रोशन कर जाएँ
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

करो बुलन्द खुद को इतना
चुनौतियों न टिकने पायें
जीवन के हर संकटों से लड़कर
विजय पताका हम फहराएँ,
जीवन तब ही सुखी रहेगा
जब हम मन का तमस मिटाएं
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

निराश न हो इतना कि
गम के सागर में गम जाए
परेशानियों से घिरकर तू
जीवन में न कहीं थम जाए,
ऐसा कुछ तू कर दे जिससे
दुनिया बस तेरे ही गुण गाये
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

स्नेहरूपी दीप जलाकर
जीवन मे उजियारा लायें
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

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harish chamoliमेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

‘ आशा पर कविता ‘ के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढने का मौका मिले।

धन्यवाद ।

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