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आज के भारत पर कविता – भारत रोता रहता है | Bharat Par Kavita

by ApratimGroup

भारत के आज के हालातों को बयां करती आज के भारत पर कविता “ यह भारत रोता रहता है “ :-

आज के भारत पर कविता

आज के भारत पर कविता

हृदय व्यथित होता है मेरा,
आंखों में आंसू बहता है।
आज भी प्यारा देश हमारा,
आघात दिनोंदिन सहता है।
प्राणी अपने ही समाज का,
भाषा न प्रेम की कहता है।
आजादी के बाद आज भी,
मेरा भारत रोता रहता है।

जाति-धर्म मे बंटा समाज,
हर पल करता मनमानी है।
मिट्टी की काया को लेकर,
अत्यधिक बना अभिमानी है।
लड़ता रहता,कटता रहता,
नफरत से दिल ढहता है।
आजादी के बाद आज भी,
मेरा भारत रोता रहता है।

हुआ न जाने क्या लोगों को,
क्या खेल खेल रहा इंसान?
मंदिर-मस्जिद के चक्कर में,
जग को बना रहा शमशान।
मत खेलो यह खेल सियासी,
क्यूँ ये सब अच्छा लगता है?
आजादी के बाद आज भी,
मेरा भारत रोता रहता है।

भारत माँ की जय कहने में,
क्यूँ फक्र नहीं होता तुमको?
वंदे मातरम की ध्वनि पर,
क्यूँ गर्व नही होता तुमको?
भारत माँ का लाल नहीं जो,
यह देश तोड़ना चाहता है,
आजादी के बाद आज भी,
मेरा भारत रोता रहता है।

सत्ता की यह डोर हाथ ले,
भरते सब अपनी जेब है।
वोटों की यहाँ खींचतान में,
सब छुपाते अपने ऐब हैं।
जीत जाने के बाद नेता,
जनता का रुख न करता है।
आजादी के बाद आज भी,
मेरा भारत रोता रहता है।

कुर्सी की है छिड़ी लड़ाई,
ख्याल नहीं कोई करता है।
टांग खींचने को इक-दूजे की,
हर एक नेता  मरता है।
शहीदों की कुर्बानी को भी,
याद नहीं कोई करता है,
आजादी के बाद आज भी,
मेरा भारत रोता रहता है।

भ्र्ष्टाचार करने में यहाँ नेता,
दिन-रात ही रहता चूर हैं।
आत्महत्या करने को रोज,
किसान हो रहा मजबूर हैं।
कैसे काटें जीवन अपना?
गरीब यही सोच परेशान है।
आजादी के बाद आज भी,
मेरा भारत रोता रहता है।

बस करो अब देशवासियों,
आपस में लड़ना बन्द करो।
प्रेम और सौहार्द से रह कर,
जीवन मे बस आनंद करो।
धर्मजाती का द्वेष मिटाकर,
प्रेम का भाव जग सकता है।
आजादी के बाद आज भी,
मेरा भारत रोता रहता है।

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harish chamoli

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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