आप पढ़ रहे है हिंदी कविता – झूठी दुनिया झूठे लोग
झूठी दुनिया झूठे लोग
झूठी दुनिया, झुठे लोग कि इनकी बातें भी झूठी,
झूठे हैं इरादे भी और मुस्कुराहटें भी हैं झूठी,
बंधती डोर है प्यार की जिस विश्वास के धागे से,
जो देखा तो पता पाया कि अब है डोर वो टूटी,
किस शख्स पर मैं करू यकीन, समझ नहीं आता,
कि इमारत है भरोसे की पर बुनियाद है झूठी,
वो थे जब ऊँचाई पर, गिर रहा था मैं नीचे
हरकत उनकी ऐसी थी कि हर उम्मीद थी छूटी,
सफ़र जो जिंदगी का है, बढ़ता है बढ़ा जाए,
तेरे इस बढ़ते कामों ने ही खुशियाँ सबकी है लूटी,
मुखौटे झूठे खुशियों के सबके चेहरों पे रहते हैं,
मगर अफ़सोस कि इनकी बातें और तसल्लियाँ भी है झूठी,
झूठी दुनिया, झूठे लोग कि इनकी बातें भी झूठी,
झूठे हैं इरादे भी और मुस्कुराहटें भी हैं झूठी।
पढ़िए – हिंदी कविता – इन बेशर्मों की बस्ती में
आपको ये कविता कैसी लगी ? कमेंट बॉक्हस के जरिये हमें जरूर बताएं।
तबतक पढ़े ये सुन्दर रचनाएं :-
- हिंदी शायरी Collections by Sandeep Kumar Singh- 2
- हिंगलिश Poem – जनता का GOD | Hinglish Poem – Janta Ka God
- खामोश चीख़ – ड्रग्स के नशे के शिकार लोगो पर एक कविता
- इंसानियत पर एक कविता – सब बिकाऊ है |
- Hindi Kavita- रुकावट मेरे रास्ते में
धन्यवाद।
7 thoughts on “झूठी दुनिया झूठे लोग- हिंदी कविता | Jhoothi Duniya Jhoothe Log”
बहुत बढ़िया।आज की वास्तविकता को दिखाती है।
अति सुन्दर
धन्यवाद नवीन सिंह।
Bahut motivational dil Ko chuny wali kavita hi padhny k baad kuch ahsas dil me jagy kuch himmat si bandhi hi Ki jindagi yu mahrum na hony paiegy..sabhi kavitain bahut achhi hi,well done
Thank you Sanjay ji..
बहुत ही अछि कविता। धन्यवाद शेयर करने के लिए
सराहना के लिए धन्यवाद Achhipost जी।