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Sanskar Poem In Hindi – ‘ संस्कार पर कविता ‘ में अच्छे संस्कारों का महत्त्व प्रतिपादित करते हुए इन्हें जीवन और समाज को सुन्दर बनाने के लिए आवश्यक बताया गया है। संस्कार व्यक्ति के तन, मन और जीवन को शुद्ध और संस्कारित करके उसे समाज का उपयोगी सदस्य बनाते हैं। संस्कारों के बीज बचपन में ही बो देना चाहिए ताकि ये बाद में अंकुरित होकर विशाल वृक्ष का आकार लेकर सबको शीतल छाया प्रदान कर सकें। आज विश्व में बढ़ती अव्यवस्था का कारण यही है कि हम अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। संसार में सबकी खुशहाली के लिए हमें फिर से मानवता के हितकारी संस्कारों को अपनाना होगा।
Sanskar Poem In Hindi
संस्कार पर कविता
अच्छी बातें अपनाने को
कहते हैं संस्कार,
ये भावी सुन्दर जीवन के
बनते हैं आधार।
जीवन – उपवन में फैलाते
ये फूलों – सी गन्ध,
गलत राह से कदम रोकते
ये अनुशासन – बन्ध।
होते हैं संस्कार वृक्ष की
जैसे शीतल छाँव,
जहाँ पहुँचकर मिलती हमको
सच्चे सुख की ठाँव।
आज मचा है दुनिया भर में
भीषण हाहाकार,
इसका कारण है हम अपने
भूल गए संस्कार।
खो संवेदन मानव का मन
बना आज पाषाण,
नहीं हिचकता वह औरों के
लेने से भी प्राण।
दया प्रेम का नाम नहीं अब
मची हुई है लूट,
अपराधों से मानवता के
गए भाग्य ही फूट।
देशों में विश्वास नहीं अब
बना रहे हथियार,
हिंसा के ये अस्त्र करेंगे
सबका ही संहार।
काँटे बोकर हम करते हैं
मीठे फल की आस,
सुखा नीर के स्रोत चाहते
बुझे हमारी प्यास।
थम पाएँगे तभी विश्व में
बात – बात पर युद्ध,
संस्कारित होकर जब मानव
होगा पुनः प्रबुद्ध।
सिखलाएँ बच्चों को करना
हम आपस में प्यार,
विश्व – शान्ति के सपने तब ही
कल होंगे साकार।
हमें थामना होगा फिर से
संस्कारों का हाथ,
दे पाएँगी जग में खुशियाँ
तभी हमारा साथ।
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