Home » हिंदी कविता संग्रह » हिंदी कविता सच्चा संत वही होता है | Hindi Kavita Sachha Sant

हिंदी कविता सच्चा संत वही होता है | Hindi Kavita Sachha Sant

3 minutes read

‘ हिंदी कविता सच्चा संत ‘ में सच्चे संतों के लक्षणॊं पर प्रकाश डाला गया है। सच्चा संत वह होता है जिसके मन में सभी प्राणियों के लिए प्रेम होता है। वह भेदभाव से ऊपर उठकर एक ब्रह्म की आराधना करता है। उसे भौतिक सुखों से कोई लगाव नहीं होता है और वह अपने यश की इच्छा भी नहीं रखता है। वस्तुतः सच्चा संत जंगल में खिले फूल की तरह होता है जो बिना दिखावे के अपनी खुशबू बिखेरता रहता है।

हिंदी कविता सच्चा संत

हिंदी कविता सच्चा संत

सच्चा संत वही होता है
करता है जो सबसे प्यार,
सभी प्राणियों के प्रति रहते
जिसके मन में विमल विचार।

भेदभाव की सब दीवारें
पहले वह देता है तोड़,
फिर वह अपने निर्मल मन को
एक ब्रह्म से लेता जोड़।

जिसे नहीं आदर की इच्छा
नहीं पूज्य का रखता भाव,
भौतिक सुख – सुविधा पाने का
नहीं तनिक भी जिसको चाव।

अपने में संतुष्ट सदा वह
नहीं प्रकृति से करता छेड़,
पत्थर खाकर जो फल देता
रहा संत तो ऐसा पेड़।

संत – हृदय होता है पावन
ज्यों गंगा का बहता नीर,
प्यास बुझाता संत सभी की
बनकर के नदिया का तीर।

अहंकार से सदा दूर वह
नहीं सुहाती उसको भीड़,
रैन – बसेरा वह करता है
जग को समझ विहग का नीड़।

सच्चा संत सदा सद्गुण का
बिखराता रहता मकरन्द,
जो भी पास पहुँचता उसके
पाता वह अनुपम आनन्द।

सच्चा संत जगत में होता
जैसे वन में खिलता फूल,
झूमा करता वह मस्ती में
दुनिया के सब सुख – दुःख भूल।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की ये बेहतरीन रचनाएं :-

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें । धन्यवाद।

आपके लिए खास:

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.