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प्रेम मिलन कविता :- जब से हो तुम मेरे इस जीवन में आई | Prem Par Kavita


प्रेम मिलन कविता – जीवन में किसी के आगमन से आने वाली  खुशियों का वर्णन करती ‘ प्रेम मिलन कविता ‘ :-

प्रेम मिलन कविता

प्रेम मिलन कविता

गुलशन ने मेरे भी,बहार महकाई।
दिल मे खुशियों की फुहार छायी।
नहाई हो शबनम संग हर रात जैसे,
जब से तुम हो मेरे,जीवन में आयी।

खुशनुमां चाँद आसमां में खिला है।
तारों के बीच मानो आसरा मिला है।
दिल के दर्द की भर गई सारी खायी,
जब से तुम हो मेरे,जीवन में आयी।

इश्क़ की ये ख्वाईश थी जो हमारी।
मिल गयी है जिसमे खुशबू तुम्हारी।
मिट गयी हैं लतें,जो बुरी थी समाई,
जब से तुम हो मेरे, जीवन में आयी।

परिंदे सा उडूँ मैं,अब इस चमन में।
तुम्हारी ही धुन में,रहूँ बस मगन मैं।
उम्मीदों को मेरी, पंखुड़ियां लगाई।
जब से तुम हो मेरे जीवन में आयी।

आरती-अजानों की ख्वाईश हो तुम।
मंदिर-मस्जिद की आजमाईश हो तुम।
देखकर तुमको मैंने,गजलें गुनगुनाई,
जब से तुम हो मेरे, जीवन में आयी।

साथ रहना चाहूँ,मैं बनके परछाई।
हौसलों को मेरे है,उड़ान मिल पायी।
कलियाँ खुशी की खिल सी गयी हैं,
जब से तुम हो मेरे, जीवन में आयी।

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harish chamoli

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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