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सैनिक पर कविता | Short Poem On Sainik In Hindi | देश के जवान पर कविता


ये कविता समर्पित है देश की रक्षा में सरहद पर खड़े उन सैनिकों को जो अपनी मातृभूमि के नाम अपना सारा जीवन लिख देते हैं। तो आइये पढ़ते हैं ( Short Poem On Sainik In Hindi ) सैनिक पर कविता :-

Short Poem On Sainik In Hindi
सैनिक पर कविता

सैनिक पर कविता

सरहद पर खड़े रखवालों को
इस देश के पहरेदारों को ,
दिल से मेरा सलाम है
दिल से मेरा सलाम है।

ये देश चैन से सोता है
वो पहरे पर जब होता है
जो आँख उठाता है दुश्मन
तो अपनी जान वो खोता है,
उनकी वजह से आज सुरक्षित
ये सारी अवाम है
दिल से मेरा सलाम है
दिल से मेरा सलाम है।

काम नहीं आसान है ये
दिल पत्थर करना पड़ता है
देश या फिर घरबार में से
किसी एक को चुनना पड़ता है
तब जाकर मिलता है कहीं
इस देश को फिर आराम है
दिल से मेरा सलाम है
दिल से मेरा सलाम है।

गर्मी का हो मौसम या फिर
पड़ती कड़क सी सर्दी हो
सेवा में देश की खड़े रहे वो
जब तक बदन पर वर्दी है,
डरें कभी न वैरी से
चाहे जो भी होता अंजाम है
दिल से मेरा सलाम है
दिल से मेरा सलाम है।

देश सेवा ही धर्म है उनका
हथियार ही बस उपदेश हैं
भारत माता की जय हो
सदा करते यही उद्घोष है,
अपने पैरों पर खड़े हैं हम
नहीं किसी के गुलाम हैं
दिल से मेरा सलाम है
दिल से मेरा सलाम है।

अगला जनम मैं जब भी पाऊं
इसी धरा का मैं हो जाऊं
दिल में भारत माता हो
गीत उसी के सदा मैं गाऊं,
हर सैनिक के दिल में सदा
रहता यही अरमान है
दिल से मेरा सलाम है
दिल से मेरा सलाम है।

सरहद पर खड़े रखवालों को
इस देश के पहरेदारों को ,
दिल से मेरा सलाम है
दिल से मेरा सलाम है।

पढ़िए:- शहीद- एक सैनिक की आत्मकथा

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धन्यवाद।

8 Comments

  1. राष्ट्र को प्रणाम है प्रणाम मातभरती को इसके वैभव को भी सत सत प्रणाम है ओर उन मात चरणों की करती हूं बंदना मैं देश हित पूत जिसने किये कुर्बान है
    तो दुश्मन की छाती में जो गाड़ दे तिरंगा जाके ऐसे देश वीर के सपूतो को प्रणाम है
    ओर दूध का चुकाया कर्ज जिन्हों ने देश हित ऐसे रणबाकुरों शहीदों को सलाम है

    देश मे एक माहौल चला जब श्री देवी जी का देहांत हुआ था माना कि वो एक महान अदाकार थी लेकिन जब उनको तिरंगा कफन के रूप में मिला तब मन मे कही आघात हुआ कि जब तिरंगा एक आम आदमी के लिए कफन बन जायेगा तो हमारे शहीदों के लिए क्या रह जाएगा,,तब कुछ पंक्तिया रखना चाहुगी ,के समूचे देश का उनको नमन यू ही नही मिलता अदब सम्मान का उनको गमन यू ही नही मिलता के वतन के आन के खातिर जो अपनी जान देते है शहीदों को तिरंगे का कफन यू ही नही मिलता ,के कुछ लोग हमे जातिवाद छेत्र बाद के नाम पर बाटते है पर मैं बिनती करती हूं साहब हम जैसे है हमे वैसे ही रहने दीजिए ,मैं पंक्तिया पढ़ती हु आपके बीच ,,के मजब कोई भी हो सब को बराबर मान देता है दुश्मन रूबरू हो तो खंजर तान देता है तो बताओ कौन दुनिया मे हुआ इनसे बड़ा दानी जो तिरंगा हाथ मे लेके वतन पे जान देता है
    किसी हालात में कोई बगावत कर नही सकता यू अपने मुल्क से कोई अदावत कर नही सकता
    के जिसकी सोच गन्दी हो या जिसका खून गंदा हो वो अपनी जन्मभूमि की ईबादत कर नही सकता
    लीजिये कुछ पंक्तिया फिर से पढ़ने की कोशिश करती हूं
    के कही पर पाक जम जम है कही पर शुद्ध गंगा है मगर मजहब के नामो पर यहा हर ओर दंगा है धर्म के नाम पे सुनो अये हमको बाटने बालो हमारे खून के हर एक कतरे में तिरंगा है के भाषाओ में बाटा कभी ,कभी बाटा जातियों में भावना में थोड़ी तो मिठास रहने दीजिए के पन्ना ओर पद्मनी के तुमने जलाये चित्र संस्कृति थोड़ी आस पास रहने दीजिए तो बासना भरे गीत गूँजते है गली गली मेरे संस्कारो पे जरा तो रहम कीजिये ओर जिसे देख सर्म से न हो जाये पानी पानी इतना तो तन में लिबास रहने दीजिए
    के जिनको दुआए देके उठ जाए दोनों हाथ आदर से झुका वो सलाम नही दिखता ओर धर्म के नाम यहा चलती दुकाने खूब श्रद्धा से झुका ले सीस धाम नही दिखता तो सीता का हरण करते लाखो ही राबन दिखे उनको बचाये कोई नाम नही दिखता खंजर तान देता है ओर पैर की छुअन से जो तार दे अहिल्या अब हमें ऐसा कोई राम नही दिखता जब काश्मीर के लाल चौक में हमारे तिरंगे को जलाया फड़ा फुका जाता है तब भी हम खमोश रहते है जब काय गंगा और तिरंगा पे राजनीति की जाती है तब भी हैम खामोश रहते है

    लेकिन आपके बीच आपकी दीपिका उपस्थिति दर्ज करवाते हुए कुछ कहती है

    के जब अपनो के हाथों से ही घायल रोज तिरंगा हो
    सहमी सहमी अपनो से ही पाप नाश की गंगा हो
    तो वंदेमातरम प्रतिबंदित हो जब संसद के आँगन में
    षडयंत्रो के कंस मिले हो संस्कारो के चंदन में
    तो कही घायल हो भारत होता छेत्रवाद के नारों में
    कही जलाया जाता भारत भासाई अंगारो में
    तो संबिधान पंगु कर डाला सडयंत्री भूचालों से
    करते सौदा लोकतंत्र का पूजी पतित दलालो से
    तो सहन सीलता कायरता है कैसे तुमने मान लिया
    स्वाभिमान पे चोट सहेंगे कैसे तुमने जान लिया
    अरे रंग दे बसंती चोला हमको अब भी गाना आता है वन्देमातरम गा कर हमको फासी चढ़ना भाता है
    हँसते हँसते हम ही थे जो फासी फन्दे झूल गए क्या हाल किया था सायद जमनलडायर भूल गये तो खुली चुनोती देती हूं मैं राजनैक मक्कारो को सोते सिंघो को न छेड़ो कहती हूं गद्दारो कोहा हिम्मत है तो रोके हमको राष्ट्र धर्म अपनाने से ओर माँ का दूध पिया है तो रोके तिरंगा फहराने से
    ओवैसी कहता है हम भारत माँ की जय नही बोलेगे
    चार पंक्तिया मैं भारत माँ क वंदना में निवेदित करती हूं

    दो पंक्तियों उन्हें जबाब देने की कोशिश करती हूं
    ओर लग जाये मैन सही कहा है तो अपनी दीपिका को आशीर्वाद दीजियेगा
    के भारत माँ की पावन माटी गौरव का गुनगान रही
    स्वर्ण जड़ित इतिहास समेटे वीरो का अभिमान रही
    के जिसके सागर चरण पखारे मुकुट हिमालय सोभित है
    पग पग प्राण नेयोछाबर करने वाले वीर समर्पित है

    के जिस सीने में लाह बनके लहू खओलता है
    वन्देमारताम भारत माँ की जय सच में बही बोलता है

    की देशभक्ति का जिस सीने में होता है जज्बात नही
    भारत माँ की जय बोले ये हिजड़ो की औकात नही

    राजवंशी दीपिका ठाकुर
    आर्मी लवर

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