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देश की हालत से कौन अनजान है? हर कोई जनता है कि जहाँ एक ओर देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर देश में ऐसे भी लोग हैं जो भूख से मर रहे हैं। जिनके पास रहने को छत नहीं और पहनने को कपड़े नहीं हैं। ऐसे में देश को जरूरत है उन लोगों को साथ लेकर चलने की और देश की हालत सुधारने की। इसी ज़ज्बे के लिए प्रेरित कर रही है यह देश पर कविता “उठो जागो अब आंखें खोलो” :-
देश पर कविता
उठो ,जागो ,
अब आंखें खोलो !
हक अधिकार के लिए
तुम भी बोलो !!
जाति धर्म से ऊपर उठकर,
तुम भी कुछ सोचो, प्यारे !
महंगाई अन्याय भ्रष्टाचार के,
बढ़ते कदम को रोको ,प्यारे !!
देखो, जलते भारत मां को,
किस तरह रुदन कर रही !
उनके ही पुत्री को देखो,
आपस में कैसे लड़ रही !!
रो रहे किसान यहां के,
जवान बेमौत मर रहा !
गरीब मर रहे अन्न के बिना,
लाखों टन दाना सड़ रहा !
लूट रही स्त्री चौराहे पर,
नेताजी कुछ नहीं कर रहा!
शिक्षित बन गया बेरोजगार अब,
रैली कर-कर के मर रहा !!
पढ़िए :- देशभक्ति कविता “देश हमें देता है सब कुछ”
यह कविता हमें भेजी है एसपी राज जी ने बेगुसराय से।
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धन्यवाद।
Very good
Bah sir nice poem
Md Barkat
Thank you sir