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माँ सरस्वती वंदना कविता :- वागीश वीणावादिनी | वसंतपंचमी पर विशेष कविता


माँ सरस्वती वंदना कविता में पढ़िए माँ सरस्वती के प्रति एक कवि के भाव। माँ सरस्वती , जो बुद्धि की देवी हैं। वातावरण में बजने वाली हर धुन माँ सरस्वती की कृपा से ही बजती है। माँ सरस्वती देवी हाँ ज्ञान की। आइये उन्हीं माँ सरस्वती को की गयी प्रार्थना पढ़ते हैं ” माँ सरस्वती वंदना कविता ” ( Maa Saraswati Par Kavita )में :-

माँ सरस्वती वंदना कविता

maa saraswati

वागीश   वीणावादिनी,  सदबुद्धि प्रदायिनी।
चरणों   में   शरण   दे,  नमन   स्वीकारिये।।
ज्ञानधन   दीप्त    कर,  उर  में  आनंद भर।
नाश  कर  कुबुद्धि  का,  आज  हमें तारिये।।

पाहन   पाषाण   हम,  ज्ञानहीन  खार हम।
मानस  में  ज्ञान  भर, चित्त को  निखारिये।।
ज्ञानहीन     मानहीन, मंत्र  तंत्र  से  विहीन।
बालक   नीरीह   मान,  स्नेहाशीष  वारिये।।

उत्तम    विचार    रहे,  दिव्य  व्यवहार  रहे।
पुत्र   हम   तिहारे  माँ,  हमें   न  बिसारिये।।
विनती का  ध्यान कर , उर में माँ ज्ञान भर।
सुबुद्धि   प्रदान   कर  , भव   से   उतारिये।।

चरणों   के  दास  हम,  रहें  न उदास हम।
भक्ति  प्रदान  कर माँ,   जीवन  सवारिये।।
बहु    दुख   दूर   कर,  अहंकार  चूर कर।
जातरूप  विमला  माँ,   हृदय   विराजिए।।

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pandit sanjeevn shuklaयह कविता हमें भेजी है पं. संजीव शुक्ल “सचिन” जी  ने। आपका जन्म गांधीजी के प्रथम आंदोलन की भूमि बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के मुसहरवा(मंशानगर ग्राम) में 07 जनवरी 1976 को हुआ था | आपके पिता आदरणीय विनोद शुक्ला जी हैं और माता आदरणीया कुसुमलता देवी जी हैं जिन्होंने स्वत: आपको प्रारंभिक शिक्षा प्रदान किए| आपने अपनी शिक्षा एम.ए.(संस्कृत) तक ग्रहण किया है | आप वर्तमान में अपनी जीविकोपार्जन के लिए दिल्ली में एक प्राईवेट लिमिटेड कंपनी में प्रोडक्शन सुपरवाईजर के पद पर कार्यरत हैं| आप पिछले छ: वर्षों से साहित्य सेवा में तल्लीन हैं और अब तक विभिन्न छंदों के साथ-साथ गीत,ग़ज़ल,मुक्तक,घनाक्षरी जैसी कई विधाओं में अपनी भावनाओं को रचनाओं के रूप में उकेर चुके हैं | अब तक आपकी कई रचनाएं भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपने के साथ-साथ आपकी  “कुसुमलता साहित्य संग्रह” नामक पुस्तक छप चुकी है |

आप हमेशा से ही समाज की कुरूतियों,बुराईयों,भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर कलम चलाते रहे हैं|

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