बसंत पंचमी पर कविता ( Poem On Basant Panchami In Hindi ) – बसंत एक ऐसी ऋतु जो सबके मन को मोह लेती है। बसंत की ऋतु के आरंभ होने वाले दिन को बसंत पंचमी भी कहा जाता है। इस समय नीला आसमान होता है। पीली सरसों की भीनी-भीनी खुशबू होती है। बाग़ की शांति को चीरती हुयी चिड़ियों की चहकने की मधुर आवाजें। हृदय की अभिलाषा यही होती है की ये दृश्य सदैव यूँ ही बना रहे। एक ऐसा मौसम है ये जो सबको तरोताजा होने का एहसास करवा देता है। तो आइये पढ़ते हैं बसंत पंचमी पर कविता :-
बसंत पंचमी पर कविता
बहार है लेकर बसंत आयी
ख़त्म हुयी सब बात पुरानी
होगी शुरू अब नयी कहानी
बहार है लेकर बसंत आई
चढ़ी ऋतुओं को नयी जवानी,
गौरैया है चहक रही
कलियाँ देखो खिलने लगी हैं,
मीठी-मीठी धूप जो निकले
बदन को प्यारी लगने लगी है,
तारे चमकें अब रातों को
कोहरे ने ले ली है विदाई
पीली-पीली सरसों से भी
खुशबु भीनी-भीनी आई
रंग बिरंगे फूल खिले हैं
कितने प्यारे बागों में
आनंद बहुत ही मिलता है
इस मौसम के रागों में
आम नहीं ये ऋतु है कोई
ये तो है ऋतुओं की रानी
एक वर्ष की सब ऋतुओं में
होती है ये बहुत सुहानी
ख़त्म हुयी सब बात पुरानी
होगी शुरू अब नयी कहानी
बहार है लेकर बसंत आई
चढ़ी ऋतुओं को नयी जवानी,
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आरंभ बसंत हुआ
शीत ऋतु का देखो ये
कैसा सुनहरा अंत हुआ
हरियाली का मौसम है आया
अब तो आरंभ बसंत हुआ,
आसमान में खेल चल रहा
देखो कितने रंगों का
कितना मनोरम दृश्य बना है
उड़ती हुयी पतंगों का,
महके पीली सरसों खेतों में
आमों पर बौर हैं आये
दूर कहीं बागों में कोयल
कूह-कूह कर गाये,
चमक रहा सूरज है नभ में
मधुर पवन भी बहती है
हर अंत नयी शुरुआत है
हमसे ऋतु बसंत ये कहती है,
नयी-नयी आशाओं ने है
आकर हमारे मन को छुआ
उड़ गए सारे संशय मन के
उड़ा है जैसे धुंध का धुंआ,
शीत ऋतु का देखो ये
कैसा सुनहरा अंत हुआ
हरियाली का मौसम आया
अब तो आरम्भ बसंत हुआ।
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बसंत पंचमी पर कविता के बार में अपनी अनमोल राय हमें अवश्य दीजिये।
धन्यवाद।
आगे क्या है खास:
VERY NICE BUT THERE ARE SOME GRAMMATICAL MISTAKES
It would be better if you point out one of them…