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मुझे अपनी मंजिल को पाना है | लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करती कविता


आप पढ़ रहे है लक्ष्य प्राप्ति पर हिंदी कविता: मुझे अपनी मंजिल को पाना है 

मुझे अपनी मंजिल को पाना है

मुझे अपनी मंजिल को पाना है

भटकता हुआ मैं राही नहीं हूँ
आगे बढ़कर मुझे अपनी मंजिल को पाना है।
देख चट्टानों सी मुसीबतों को
ना हिम्मत हारनी है।
चीर कर इनका सीना
मुझे अपनी राह जाना है।

बहुत दर्द भरा है सबके जीवन में आजकल
मैं मिटा तो नहीं सकता लेकिन
कम करने के इरादे से
मुझे सबको हँसाना है।
ख़त्म हो जाती है जहाँ
ख्वाहिशें दुनिया भर की
आज तक ना मिल पाया
ना जाने कहा वो पैमाना है।
भटकता हुआ रही नहीं हूँ मैं
आगे बढकर मुझे अपनी मंजिल को पाना है।

वक्त कहाँ है किसी के पास
की कोई दर्द सुने मेरा
मुझे ख़ामोशी से हर लफ्ज
सबके दिलों तक पहुंचाना है।
साथ देता है हर हाथ
जब सितारे बुलंद होते हैं
गर्दिशें हो जब
किस्मत में बेशुमार।
अनजान लोगों में फिर
अपनों ने कहा पहचाना है

जहाँ मिले दौलत प्यार की
अब मुझे उस जहान तक जाना है।
भटकता हुआ रही नहीं हूँ मैं
आगे बढकर मुझे अपनी मंजिल को पाना है।

कविता – रास्ता भटक गया हूँ मैं

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4 Comments

  1. वोह अल्फ़ाज़ ही क्या जो समझानें पढ़ें,
    हमने मुहब्बत की है कोई वकालत नहीं

    लाइन वही है…
    जिसे पढ़ कर दिल को यूँ लगे कि…
    अरे हाँ…!!!!
    यही बात तो..

    लम्हों की एक किताब है ज़िन्दगी,
    साँसों और ख्यालों का हिसाब है ज़िन्दगी,
    कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
    बस इन्ही सवालों का जवाब है ज़िन्दगी

    Aap n jo bhi likha h useke lye y kuch sabad h jo sache h bilkul aapki kavita ki trah…
    Sach kahu to guru aap ki kavita kamal ki h, aap ki kavita usi tarah ki jis tarah -dhola maru karti m maravi ko apne dhola ki cha m , usse milne ki tadap m , 12 mas ki rtuon m bs wo virah vedna lipt ho uthi or hmesa dhola k ibtazar m chitiya lihti rahi or khud ko virah vedna ki tadap m or tadpati gyi…..
    Aapki kavita usi trah ki jis tarah marvani ka haal tha….

    1. Thank you very much MJ Manoj ji.
      आपके विचारों से मुझे एक नई प्रेरणा मिली है की इंसान को अपने दिल के जज़्बात कलम द्वारा कागज़ पर उतार देने चाहिए। खुद को तो सुकून मिलता ही है। पढ़ने वाले को भी एक चैन सा मिल जाता है।
      ” उसके हर गुनाह का हम हिसाब नहीं रखते,
      टूट जातें है अक्सर सपने
      इसलिए जिन्दा हम अपने ख्वाब नहीं रखते।”
      आपका अति धन्यवाद।

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