नवरात्री के नौ पवित्र दिन, जिन दिनों में माता के दरबार को सजाया जाता है, उनकी पूजा की जाती है। ऐसे ही एक माता के लिए सजे एक भवन में एक भक्त नित दिन माँ के दर्शन की अभिलाषा लिए हुए जाता है और मैया से दर्शन देने की गुहार लगाता है। कैसे बुला रहा है वो माता दुर्गा को आइये पढ़ते हैं माँ दुर्गा पर भजन में :-
माँ दुर्गा पर भजन
तेरे दर पर नित दिन मैया मैं महिमा तेरी गाऊँ
तू दर्शन दे दे मुझको, कबसे आवाज लगाऊँ,
तू आदि शक्ति तू है भक्ति, सब को तू देती है मुक्ति
जब भी संकट कोई है पड़ता, मैं पास तेरे ही आऊँ,
न आशा तृष्णा है कोई, सुध-बुध भी मेरी अब खोई
दुनिया से मोह न मुझको, बस तेरी शरण मैं चाहूँ,
तू आएगी बस इसी आशा में, की है मैंने तैयारी
तेरी सेवा का अवसर न जाने कब मैं पाऊँ,
जीवन में न कोई चाह रही, तेरी कृपा के बाद
इच्छा बस यही मन की, तेरे चरणों की धूल बन जाऊँ,
माँ मैं तेरा बालक, तेरे नाम की जपता माला
तेरे नाम की माला जपते, सारा समय बिताऊँ,
देर न कर अब माता, तू जल्दी से आजा न
कब से तेरे द्वार खड़ा, तुझको मैं कैसे मनाऊँ,
तेरे दर पर नित दिन मैया मैं महिमा तेरी गाऊँ
तू दर्शन दे दे मुझको कबसे आवाज लगाऊँ।
पढ़िए :- माँ दुर्गा पर कविता ‘तेरा दर मुझे लागे प्यारा’
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