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( Hindi Poem On Happiness ) खुशी पर कविता “ खुशियों के फूल ” एक शिक्षाप्रद कविता है जिसमें आपस में मिलजुल कर प्रेम से रहने और दूसरों से झगड़ा नहीं करने की सीख दी गई है । इस कविता में अपने सुख का त्याग कर औरों की सहायता करने की बात कही गई है । बच्चों और बड़ों के लिए समान रूप से उपयोगी इस कविता में दूसरों की गलतियों को माफ करने और अपनी कमियों की ओर ध्यान देकर सबके सुख की कामना की गई है ।
खुशी पर कविता
हम झगड़ें छोटी बातों पर
कभी नहीं यह अच्छी बात,
बात बात पर औरों को भी
सोचें ना देने की मात।
कड़वे बोल कभी ना बोलें
कहें किसी से कभी न झूठ,
बात नहीं होती है अच्छी
करें बहाना जाएँ रूठ।
रहें प्रेम से हम मिलजुल कर
नहीं और में डालें फूट ,
करें मदद हम हाथ थाम कर
जो पीछे जाता है छूट।
कभी किसी का बुरा न सोचें
सबके प्रति हों अच्छे भाव,
कभी किसी का दिल न दुखाएँ
नहीं कुरेदें मन के घाव।
संकट में हम देख अन्य को
नहीं वहाँ से जाएँ भाग,
विपदा से हम उसे उबारें
करके अपने सुख का त्याग।
क्षमा करें औरों की गलती
और सुधारें अपनी भूल,
काँटे चुन औरों के पथ से
बिखरा दें खुशियों के फूल।
– सुरेश चन्द्र ” सर्वहारा “
इस कविता का विडियो यहाँ देखें :-
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धन्यवाद।
3 comments
बहुत ही सुंदर कविता पढ़कर अच्छा लगा सुरेश चंद्र सर्वहारा जो राजस्थान से है उनको अच्छी कविता लिखने के लिए धन्यवाद।
bahut hi sundar rachna hai sankat ke samay man aur mukh me khushi ka ehsaas rakhne kya wanan kiya hai
धन्यवाद निधि जी…..