( Meri Maa Par Kavita ) मेरी माँ पर कविता में पढ़िए बचपन के उन दिनों के बारे में जब माँ हमें लोरी सुना कर सुलाया करती थी। ऐसा जादू बस माँ के पास ही होता है जो हमारी सारी चिंता मिटा कर हमें एक मीठी सी नींद में सुला देती है। धन्य हैं इस दुनिया की हर माँ जो अपने संतान के लिए अपने सुख-दुःख सब भुला देती है। बचपन के दिनों को याद करती हुयी और हमारी ओर से इस संसार की हर माँ को सलाम करती हुयी माँ पर कविता – माँ का प्यार।
मेरी माँ पर कविता – माँ का प्यार
एक थपकी नींद ले आती है, वो जब भी लोरी गाती है,
चेहरे के भाव को देखते ही, हर बात समझ वो जाती है।
मेरी नादानी, मेरी शैतानी, मेरी तोतली बातें बचकानी
देख के मेरे बचपन में ,वो अक्सर ही मुस्काती है,
बिगड़े जरा सी हालत तो, चिंता में वो पड़ जाती है,
देखभाल में अकसर मेरी, सारी रात बिताती है,
इक थपकी नींद ले आती है, वो जब भी लोरी गाती है,
चेहरे के भाव को देख के ही, हर बात समझ वो जाती है।
खुद भूखी रह जाती है, पर भूखा न मुझे सुलाती है,
वो खाली पेट बसर कर, मुझको भर पेट खिलाती है,
हैरान हूँ मैं वो पढ़ी नहीं है, अक्षरों से कभी वो लड़ी नहीं है,
न जाने कैसा जादू है, वो मेरी हर धड़कन पढ़ जाती है,
इक थपकी नींद ले आती है, वो जब भी लोरी गाती है,
चेहरे के भाव को देख के ही, हर बात समझ वो जाती है।
वो तपती धूप में छाया है, वो प्यार की पावन माया है,
माँ की महिमा को तो, खुद भगवान ने भी गाया है,
उसके आशीर्वाद से ही, हर दुःख तकलीफ मिट जाती है,
“माँ” की मौजूदगी से ही तो, घर में खुशियां आती हैं
इक थपकी नींद ले आती है, वो जब भी लोरी गाती है,
चेहरे के भाव को देख के ही, हर बात समझ वो जाती है।
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धन्यवाद।
I love you mon and it's nice poem
अति सुंदर लिखने वाले को मेरा प्रणाम है
धन्यवाद शिवम श्रीवास्तव जी।
BUlkul Sahi Likha Guru Ji
धन्यवाद Satya जी…..
Ati sundar
धन्यवाद Prakash Gehlot जी…
अति सुंदर कविता
धन्यवाद लक्ष्मीनारायण जी……
Very nice