Home » शायरी की डायरी » ख़ामोशी पर शायरी – खामोशियों को जुबान देता शायरी संग्रह | Shayari On Khamoshi

ख़ामोशी पर शायरी – खामोशियों को जुबान देता शायरी संग्रह | Shayari On Khamoshi

by Sandeep Kumar Singh

सुना है ख़ामोशी की भी अपनी एक जुबान होती है। कभी एक ख़ामोशी में नाराजगी होती है, कभी उसी ख़ामोशी में एक प्यारा सा जवाब होता है। कभी यही ख़ामोशी बर्दाश्त के बाहर हो जाती है। ये ख़ामोशी जिस से पल भर में सन्नाटा हो जाता है उसी ख़ामोशी का शोर कई बार अकेले में तडपाने लगता है। ख़ामोशी को लेकर सबकी अपनी अलग कहानी होती है। इन्ही कहानियों को मैंने थोड़े-थोड़े शब्दों के समूह में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। आशा करता हूँ आपको यह ‘ ख़ामोशी पर शायरी ‘ शायरी संग्रह जरूर पसंद आएगा।

ख़ामोशी पर शायरी

ख़ामोशी पर शायरी

1.
कुछ कहा भी नहीं और सारी बात हो गयी,
उसकी ख़ामोशी ने ही सारी दास्तान कह सुनाई।

2.
जब से ये अक्ल जवान हो गयी,
तब से ख़ामोशी ही हमारी जुबान हो गयी।

3.
जब से ग़मों ने हमारी जिंदगी में
अपनी दुनिया बसाई है,
दो ही साथी बचे हैं अपने
एक ख़ामोशी और दूसरी तन्हाई है।

4.
मेरी खामोशियों पर भी उठ रहे थे सौ सवाल,
दो लफ्ज़ क्या बोले मुझे बेगैरत बना दिया।

5.
शोर तो गुजरे लम्हे किया करते हैं जिंदगी में अक्सर,
वो तो आज भी हमारे पास से ख़ामोशी से गुजर जाते हैं।

6.
हर जज़्बात कोरे कागज़ पर उतार दिया उसने,
वो खामोश भी रहा और सब कुछ कह गया।

7.
जरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम हो,
ख़ामोशी भी खुद में इक जुबान होती है।

8.
इश्क की राहों में जिस दिल ने शोर मचा रखा था,
बेवफाई की गलियों से आज वो खामोश निकला।

पढ़िए :- सफर शायरी | जिंदगी के सफ़र पर शायरी by संदीप कुमार सिंह

9.
उसकी सच्चाई जब से हमारे पास आई,
हमारे लबों को तब से ख़ामोशी ही रास आई।

10.
हम खुश थे तो लोगों को शक भी न हुआ,
जरा सी ख़ामोशी ने हमारी सारे राज खोल दिए।

11.
उसने पढ़े तो ही अल्फाजों ने बोलना शुरू किया,
वरना एक अरसे से ये पन्नों में खामोश पड़े थे।

12.
कभी सावन के शोर ने मदहोश किया था मौसम,
आज पतझड़ में हर दरख़्त खामोश खड़ा है।

13.
ये तुफान यूँ ही नहीं आया है
इससे पहले इसकी दस्तक भी आई थी,
ये मंजर जो दिख रहा है तेज आंधियों का
इससे पहले यहाँ एक ख़ामोशी भी छाई थी।

14.
शोर तो दुनिया वालों ने मचाया है हमारे कारनामों का,
हमने तो जब भी कुछ किया ख़ामोशी से ही किया है।

15.
हमारी ख़ामोशी ही हमारी कमजोरी बन गयी,
उन्हें कह न पाए दिल के जज़्बात और इस तरह से
उनसे इक दूरी बन गयी।

16.
भूल गए हैं लफ्ज़ मेरे लबों का पता जैसे,
या फिर खामोशियों ने जहन में पहरा लगा रखा है।

आपको यह ‘ खामोशी पर शायरी ‘ शायरी संग्रह कैसा लगा हमें अवश्य बताएं। आपकी प्रतिक्रियाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं।

पढ़िए भावनाओं से जुड़ी हुयी अन्य बेहतरीन रचनाएं :-

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

11 comments

Avatar
Rakesh yadav May 31, 2019 - 8:05 PM

Wow veri nice

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh June 14, 2019 - 10:27 PM

धन्यवाद राकेश यादव जी।

Reply
Avatar
Garima bhatia May 30, 2019 - 11:37 AM

बहुत ही खूबसूरत औऱ दिल को छुने वाली शायरी

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh May 30, 2019 - 11:56 AM

धन्यवाद गरिमा जी….

Reply
Avatar
Neeraj October 7, 2017 - 12:22 AM

बहुत ही अच्छा है…….

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh October 7, 2017 - 5:12 AM

धन्यवाद नीरज जी।

Reply
Avatar
Mukesh dahal August 11, 2017 - 9:29 PM

Gud lines

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh August 12, 2017 - 10:03 AM

Thanks Mukesh Dahal ji….

Reply
Avatar
shanker Kumar May 24, 2017 - 9:07 PM

एक तरफ तन्हाई थी
एक तरफ रूसबाई थी
एक तरफ पतझड़ था
एक तरफ सावन था
आंधियों के आने से पहले
सब खामोश था

बहुत देर खामोश रहा मौसम
जब तेज आंधियां आयी
बड़े बड़े दरख्त उजड़ गए
आंधी आने से पहले जो खामोशी थी
आंधी जाने के बाद और भी खामोश हो गए
बढ गया था सिसकियों का आलम
दर्द जवान हो गया था
फिरभी जख्मों के सेज पर
खामोशी खामोश थी
निशब्द होकर
कुछ कह रही थी
शायद जीस्त उसकी इंतहा ले रही थी
और खामोश होकर बेबसी
सिसकियाँ ले रही थी ।

– शंकर कुमार शाको
स्वरचित
सिलीगुड़ी
8759636752

Reply
Avatar
Sidhart December 25, 2017 - 10:55 PM

कबीले तारीफ शँकर सर जी

Reply
Avatar
Rahul September 9, 2021 - 12:50 PM

very beautiful

Reply

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More