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हमारे वेद और पुराण ज्ञान के भंडार | सनातन धर्म पर लघुवार्ता

by Sandeep Kumar Singh

कहते हैं भारतीय संस्कृति सबसे पुरातन संस्कृति है। सारी दुनिया का ज्ञान यहाँ के वेद -पुराणों से ही दुनिया भर में पहुंचा है। लेकिन बात है ज्ञान की। जिनको वेदों-पुराणों का ज्ञान है वह जानते हैं कि हम किसी से कम नहीं हैं। आज कल की पीढ़ी नयी किताबें पढ़ कर विदेशियों को ज्यादा ज्ञानवान मानने लगी है। परंतु यह सच्चाई नहीं है। असलियत तो यह है कि सारी शिक्षा भारत से ही दुनिया भर में फैली है। हमारे वेद और पुराण ज्ञान के भंडार है। ऐसा ही एक सन्देश मुझे व्हाट्सएप्प पर आया था जो मैं आपके साथ यहाँ शेयर करने जा रहा हूँ।

हमारे वेद और पुराण ज्ञान के भंडार

हमारे वेद और पुराण ज्ञान के भंडार

बेटे ने माँ से पूछा – “माँ,  मैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ। विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन, आपने उसके बारे में सुना है ?”

उसकी माँ उसके पास बैठी और मुस्कुराकर बोली – “मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ, बेटा। मैं यह भी जानती हूँ कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में भारत के लिए बहुत पुरानी खबर है।“

“निश्चित रूप से माँ !” बेटे ने व्यंग्यपूर्वक कहा।

“यदि तुम कुछ होशियार हो, तो इसे सुनो,” उसकी माँ ने प्रतिकार किया। “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है ? विष्णु के दस अवतार ?” बेटे ने सहमति में सिर हिलाया।

“तो मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हैं।“ पहला अवतार था मत्स्य अवतार, यानि मछली। ऐसा इसलिए कि जीवन पानी में आरम्भ हुआ। यह बात सही है या नहीं ?” बेटा अब और अधिक ध्यानपूर्वक सुनने लगा।

उसके बाद आया दूसरा कूर्म अवतार, जिसका अर्थ है कछुआ, क्योंकि जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया ‘उभयचर (Amphibian)’ तो कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर विकास को दर्शाया।

तीसरा था वराह अवतार, जंगली सूअर, जिसका मतलब है जंगली जानवर जिनमें बहुत अधिक बुद्धि नहीं होती है। तुम उन्हें डायनासोर कहते हो, सही है ? बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई।

चौथा अवतार था नृसिंह अवतार, आधा मानव, आधा पशु, जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों तक विकास। पांचवें वामन अवतार था, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था।

क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है? क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे, होमो इरेक्टस और होमो सेपिअंस, और होमो सेपिअंस ने लड़ाई जीत ली।“ बेटा देख रहा था कि उसकी माँ पूर्ण प्रवाह में थी और वह स्तब्ध था।



छठा अवतार था परशुराम – वे, जिनके पास कुल्हाड़ी की ताकत थी, वो मानव जो गुफा और वन में रहने वाला था। गुस्सैल, और सामाजिक नहीं। सातवां अवतार था मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति, जिन्होंने समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार।

आठवां अवतार था जगद्गुरु श्री कृष्ण, राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी जिन्होंने ने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि सामाजिक ढांचे में कैसे रहकर फला-फूला जा सकता है।

नवां अवतार था भगवान बुद्ध, वे व्यक्ति जो नृसिंह से उठे और मानव के सही स्वभाव को खोजा। उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की। और अंत में दसवां अवतार कल्कि आएगा, वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो। वह मानव जो आनुवंशिक रूप से अति-श्रेष्ठ होगा।

बेटा अपनी माँ को अवाक होकर देखता रहा। “यह अद्भुत है माँ, आपका दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है।“

वेद-पुराण अर्थपूर्ण हैं। सिर्फ आपका देखने का नज़रिया होना चाहिए धार्मिक या वैज्ञानिक। हमारे वेद और पुराण ज्ञान के भंडार है।

पढ़िए- भारत की पौराणिक संस्कृति | भारतीय संस्कृति की पहचान

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धन्यवाद।

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3 comments

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mahesh chaudhari May 20, 2023 - 2:03 PM

Great blog post on Ved Puran! It provides valuable insights into ancient wisdom. Well-researched and informative, it's a must-read for those interested in spirituality and Hindu scriptures.

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jeewan singh April 10, 2017 - 11:02 AM

adbhut ghyan tark sahit.
ghyan toh annant hai, ur karm m ak nya ghyan hai. bs insan ka najariya hai usse samajhne ka.

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh April 11, 2017 - 8:04 PM

Bilkul sahi baat ki hai aapne eewan singh ji…..

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