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मेहनत पर प्रेरणादायक कविता :- हाथों की लकीरें | श्रम के महत्त्व पर कविता

by Sandeep Kumar Singh
2 minutes read

कुछ लोग हाथों की लकीरों पर बहुत भरोसा करते हैं। ऐसे लोगों को अक्सर उन लोगों की उदहारण दी जाती है। हाँ ये सही है। हमारे हाथों की लकीरें हमारे ही कर्मों से बनती बिगडती हैं। ऊपर वाला भी हमें हमारे कर्मों के अनुसार ही फल देता है। तो कुल मिला कर ये हुआ ऊपर वाला हमें वही देता है जिस चीज के लिए हम काम करते हैं। इसलिए बीती बातों को भूल कर और उनसे शिक्षा लेकर हमें आगे अपने कर्म सुधारने चाहिए। जिससे हम अपने जीवन को सार्थक बना सके। इसी सन्दर्भ में हमने ऐसी ही बातों के लिए प्रेरणा देती कविता लिखी है। तो आइये पढ़ते हैं मेहनत पर प्रेरणादायक कविता :-

मेहनत पर प्रेरणादायक कविता

मेहनत पर प्रेरणादायक कविता

हाथों की ये लकीरें
तू बदल दे धीरे-धीरे,
मेहनत से ही है निकलें
धरती से चमकते हीरे।

बहुत हो गया अब तो
कोई राह बनानी होगी
इस जग को तुझे भी अपनी
आवाज सुनानी होगी,
बस तोड़ दे अब तू सारी
मजबूरी की जंजीरें
मेहनत से ही है निकलें
धरती से चमकते हीरे।

जो तंज कसे ये दुनिया
तो बहरे तुम बन जाओ
बस लक्ष्य के ही तुम अपने
अब गीत सुरीले गाओ,
बदल दो अमृत में तुम
लोगों के बोल जहरीले
मेहनत से ही है निकलें
धरती से चमकते हीरे।

कहीं बरसते बादल होंगे
कहीं धुप कड़कती होगी
पर फिर भी तेरे सीने में
उम्मीद धड़कती होगी,
फूलों से लगने लगेंगे
फिर पथ भी ये पथरीले
मेहनत से ही है निकलें
धरती से चमकते हीरे।

थोड़ी से थकावट होगी
थोड़ी होगी परेशानी
तब ही तो जाकर बनेगी
तेरी भी एक कहानी,
मत छोड़ हौसला तू रे
बदलेंगी ये तस्वीरें
मेहनत से ही है निकलें
धरती से चमकते हीरे।

हाथों की ये लकीरें
तू बदल दे धीरे-धीरे,
मेहनत से ही है निकलें
धरती से चमकते हीरे।

मेहनत पर प्रेरणादायक कविता आपको कैसी लगी ? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की यह बेहतरीन रचनाएं :-

धन्यवाद।

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7 comments

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Dhananjay Kumar जून 23, 2022 - 10:05 अपराह्न

Thanks for the you
Great poem

Reply
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Pradeep Kumar अप्रैल 10, 2020 - 9:41 पूर्वाह्न

सर मैं भी आपकी कविताएं YouTube पर डालना चाहता हूं
आपकी अनमति हो तो
आपकी अति कृपया होगी

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 13, 2020 - 3:31 अपराह्न

Please contact us in our mail ID [email protected] or whatsapp on 9115672434

Reply
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Sajiya फ़रवरी 25, 2019 - 9:04 पूर्वाह्न

Your poem is so impressionable.
I am a student .and i like poems
Poem writing is my passi9n.
Thanks a lit for this poem
I love you

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मार्च 2, 2019 - 5:25 अपराह्न

Thanks to you also Sajiya ji ….

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Mallikarjun Javalgi सितम्बर 26, 2018 - 11:15 अपराह्न

I impressed very much with your site. Some poems are very beautiful and very happy to read them. I am a poet. I write in Kannada. I am fan of Hindi language and its beautiness of words. It is a rich language like Kannada. Thanks.

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 28, 2018 - 10:24 अपराह्न

Thank you very much Mallikarjun Javalgi. Be with us like that because your appreciation gives us courage to write more and more….Thanks again…..

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