Home » शायरी की डायरी » अन्य शायरी संग्रह » बसंत के दोहे :- बसंत पंचमी पर विशेष दोहावली | Basant Ke Dohe

बसंत के दोहे :- बसंत पंचमी पर विशेष दोहावली | Basant Ke Dohe

by Sandeep Kumar Singh
2 minutes read

बसंत के दोहे , जो करते हैं बसंत ऋतु के दृश्य का शब्दों में वर्णन। जब खिलते उपवन में फूल और खेतों में महकती है पीली-पीली सरसों तब हर ओर से पंछियों के चहकने की आवाजें आती हैं। चारों तरफ सुहाना दृश्य होता है। ऋतुराज बसंत के बारे में पढ़िए और आनंद लीजिये वसंत और बहार से संबंधित बेहतरीन दोहों का “ बसंत के दोहे “ में :-

बसंत के दोहे

बसंत के दोहे

1.
ऋतु बसंत से हो गया, कैसा ये अनुराग ।
काली कोयल गा रही, भांति-भांति के राग ।।

2.
पीली सरसों खेत में, लगती बहुत अनूप ।
लगे धरा ने धर लिया, दुल्हन जैसा रूप ।।

3.
सबके मन को मोहती, पुष्पों की मुस्कान ।
प्यारे लगें बसंत में,सभी खेत बागान ।।

4.
धरती सुंदर सांवरी, महके सारे खेत ।
दृश्य मनोरम देखते, भूले अपना चेत ।।

5.
हरियाली हर ओर है, आमों पर है बौर ।
अंत हुआ ऋतु शीत का, है बसंत का दौर ।।

6.
गेहूँ की बाली हिले, पुरवाई के संग ।
सभी दिशा में दिख रहे, हृदय लुभाते रंग ।।

7.
अंबर में खग विचरते, फैलाते संदेश ।
खुशियाँ आयीं बसंत में, पतझड़ गया कलेश ।।

8.
खोला कुदरत ने यहाँ, रंगों का भंडार ।
ऋतु बसंत में लग रहा, सुन्दर यह संसार ।।

9.
मातु शारदा ने दिया, नया धरा को रूप ।
कुदरत है मन मोहती, लगे सुहानी धूप ।।

10.
सुगन्ध पुष्पों की मिले, होते ही भिनसार ।
कली-कली पर डोलते, भौरें कर गुंजार ।।

11.
करते हैं सबका भला, सच्चे साधु संत ।
जैसे हरियाली करे, पतझड़ बाद बसंत ।।

“ बसंत के दोहे “ आपको कैसे लगे? अपने विचार कमेंट बॉक्स के जरिये हम तक जरूर पहुंचाएं।

पढ़िए बसंत को समर्पित यह बेहतरीन रचनाएं :-

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.