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बाल दिवस का महत्व पर विशेष निबंध और भाषण | बाल दिवस का इतिहास


बाल दिवस, जिसे आप भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के जन्म दिवस के रूप में जानते हैं। ये दिवस 14 नवम्बर को मनाया जाता है। वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। इसी कारण बच्चे उन्हें चाचा नेहरु के नाम से भी पुकारते थे। इसीलिए ही पंडित जवाहर लाल नेहरु के जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। लेकिन ये दिवस सिर्फ भारत के सभी राज्यों में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में भी मनाया जाता है। आइये जानते हैं बाल दिवस का महत्व और बाल दिवस  के बारे में  कुछ रोचक जानकारियाँ :-

बाल दिवस का महत्व

बाल दिवस का महत्व

वैसे तो बाल दिवस पूरे विश्व में भिन्न-भिन्न दिनों पर मनाया जाता है। लेकिन ये शायद ही किसी को पता हो कि ये कब से मनाया जा रहा है और इसकी शुरुआत कब और किस देश से हुयी। यह दिवस बहुत पहले से मनाया जा रहा है। भारत में यह बाद में अपनाया गया। ध्यान रहे कि बाल दिवस हर देश में एक अलग तिथि को मनाया जाता है।



बाल दिवस की शुरुआत

सबसे पहले बाल दिवस सन 1856 में जून महीने के दूसरे रविवार को श्रद्धेय डा. चार्ल्स लियोनार्ड द्वारा आरंभ किया गया। जोकि यूनिवर्सलिस्ट चर्च ऑफ़ दी रिडीमर, चेल्सी मैसाचुसेट्स ( Universalist Church of the Redeemer, Chelsea Massachusetts ) में पादरी थे।

डा. चार्ल्स लियोनार्ड ने अपने जीवन में बच्चों को समार्पित और बच्चों के लिए बहुत से काम किये। पहले उन्होंने इस दिन को रोज डे ( Rose Day ) का नाम दिया। बाद में इसे बदल कर फ्लावर डे ( Flower Day ) और बाद में बदल कर चिल्ड्रेन डे ( Children Day ) यानि कि बालदिवस रख दिया गया।

उसके बाद तुर्की में बाल दिवस 23 अप्रैल, 1923 से अखबार और सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा। जोकि गैर-अधिकारिक बाल दिवस था। जो बाल दिवस सबसे पहले अधिकारिक रूप में मनाया गया था वो तुर्की में 23 अप्रैल, 1929 को विश्व में कहीं भी पहली बार राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर मनाया गया था।

हालाँकि इस बारे में देश वासियों को पूरी जानकारी नहीं थी। क्योंकि उस समय में संचार माध्यम कम थे। इसलिए तुर्की गणतन्त्र के संस्थापक और तत्कालीन राष्ट्रपति मुस्तफा केमल अतातुर्क ने अपने देश की जनता को बाल दिवस के इस उत्सव के महत्त्व को स्पष्ट व उसके औचित्य को सिद्ध करने के लिए स्वयं इस दिवस की घोषणा की।

बाल दिवस कब मनाया जाता है

इसकी शुरुआत तो तुर्की में 23 अप्रैल को हुयी परन्तु पूरे विश्व में संयुक्त रूप से बाल दिवस हर वर्ष 20 नवम्बर को मनाया जाता है। 20 नवम्बर की तारीख में पहली बार बाल दिवस सन 1954 में यूनाइटेड किंगडम में मनाया गया था।

इसका उद्देश्य था कि सभी देशों बच्चों के साथ समय बिताने, उन्हें जानने और उनकी भलाई के लिए कुछ कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना। इसी के तहत संयुक्त राष्ट्र ने 20 नवंबर 1959 को बाल अधिकार के घोषणापत्र को अपनाया। तब से इसी तिथि को पूरे विश्व में संयुक्त रूप से बाल दिवस मनाया जाने लगा।



बाल दिवस का महत्व

बाल दिवस का हमारे जीवन में एक विशेष महत्त्व है। भारत में आम तौर पर इसे कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम या कुछ अन्य समारोह का आयोजन कर के मनाया जाता है। लेकिन इसके मुख्य उद्देश्य को हम जानते तक भी नहीं। यूँ बाल दिवस बच्चों के हित को समर्पित है। लेकिन भारत में इस तरफ अभी भी बहुत ध्यान देने के जरूरत है।

बल श्रम अधिनियम कानून के आधार पर बच्चों को बाल श्रम से तो मुक्त करवाया जा रहा है। लेकिन उनके विकास और समाज में एक पहचान दे पाने में हम अब तक हम असफल रहे हैं।

ये सिर्फ सरकार की ही नहीं हम सब की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि अपने आस-पास अगर हम किसी बच्चे के भविष्य को बचाएं। इसके लिए कई गैर-सरकारी स्वयंसेवी संस्थान काम कर रहे हैं। ये बच्चे ही भारत का कल हैं। अगर हम एक महान भारत का निर्माण करना चाहते हैं तो हमें इन मासूमों की तरफ बहुत ध्यान देना होगा। तभी जाकर हमारा भारत महान बन पायेगा।

बच्चों की भावनाओं को समझें। बाल दिवस को मात्र सांस्कृतिक कार्यक्रमों और समारोहों तक ही न सीमित रहने दें अपितु बाहर निकलें और उन बच्चों के लिए कुछ करें जो जीवन के अन्धकार में भटक रहे हैं। हमें एक ऐसे बालदिवस की जरूरत है जिसमें सिर्फ स्कूलों तक ही नहीं बल्कि समाज में रह रहे हर बच्चे को यह अहसास दिला सके कि उनका भी इस देश में एक अस्तित्व है। वो भी इस देश में एक सम्मान भरा जीवन जीने का हक़ रखते हैं।



तो आइये आज खुद से ये वादा करें कि हम सिर्फ बाल दिवस पर ही नहीं बल्कि हर दिन बच्चों के हित के लिए कोई न कोई कार्य करेंगे और उन्हें सुरक्षित ढंग से उनके सपने पाने में सहायता करेंगे। बाल दिवस का महत्व पर भाषण के रूप में ये जानकारी सब के साथ साझा करें।

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धन्यवाद।

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