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जिंदगी के सफर में :- जिंदगी का सफर बताती कविता हिंदी में | Safar-E-Zindagi


कई बार हमारे मन में सवाल आता है कि जिंदगी क्या है?  कुछ लोगोंके लिए जिंदगी धक्को से भरी है। कुछ के लिए खुशियों भरी है और कुछ लोगों के लिए गम और दर्द भरी। जिंदगी के सफर में हमे इसके रास्ते तय करने ही पड़ते हैं।

हम मानसिक तौर पर तो एक वक़्त में ठहर सकते हैं। लेकिन शारीरिक तौर पर हम आगे बढ़ते रहते हैं। न जाने ये जिंदगी कौन-कौन से रंग दिखाती है। इसलिए हमे अपनी जिंदगी हमेशा खुश रह कर निकालनी चाहिए। जिससे जिंदगी जीने का मजा दुगुना हो जाता है। इस से ये सफ़र आसानी से कट जाता है। आइये ये कविता ‘ जिंदगी के सफर में ‘ पढ़ते हैं और जानते हैं इस सफ़र के बारे में :-

जिंदगी के सफर में

जिंदगी के सफर में

एक सफ़र है जिंदगी
जिसमें मुसाफिर भी हैं
कारवां भी है,
हमसफ़र भी है
मुकाम भी है,
कदम बढ़ाते जाना है
और
मंजिलों को पाते जाना है।

इस सफ़र में
परेशानियों की रात भी होगी
हौसला बनाये रखना
क्योंकि
ग़मों की बरसात भी होगी,
बच कर रहना
कहीं लूट न लें तुझको
ये हमसफ़र तेरे
बर्बाद करने को आतुर
ये कायनात भी होगी।

ठोकरें गिराएंगी
राहें भी आजमाएंगी
हरकतें ज़माने वालों की
उनकी असलियत दिखाएंगी,
संभाल कर रखना कदम
पथ पथरीले हैं,
कहीं घाव न हो जाएँ
वर्ना ये तुम्हारी
तकलीफें बढ़ाएंगी।

कोई धीमे चल रहा है
किसी की चाल तेज है
किसी को अपनी रफ़्तार
बढ़ाने से गुरेज है,
हर कोई पहुँचना चाहता है
सबसे पहले मंजिल पर
लेकिन वो पाँव क्यों नहीं बढ़ाता
ये मामला सनसनीखेज है।

इन सब को लेकर कहीं खुशियाँ
और कहीं संजीदगी है,
मौत पर ख़त्म होने वाला
एक सफ़र है जिंदगी।

पढ़िए :- मंजिल तो मिल ही जायेगी – रुकी रुकी सी जिंदगी के लिए कविता

आपको यह कविता  ‘ जिंदगी के सफर में ‘ कैसी लगी? आप अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिख कर न अवश्य बतायें।

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धन्यवाद।

One Comment

  1. माँ को छोड़ वचपन चला जवानी की चाह मे जवानी कुर्बान हुइ। परिवार की राह मे। जवानी गइ कब आया बुढ़ापा थकाहारा घबराया पागल हुआ पागल हुआ पागल ्

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