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बेटे के जन्म पर कविता :- तेरे नन्हे-नन्हे क़दमों संग | पुत्र जन्म पर कविता


घर में जब बेटे का जन्म होता है तो चारों और ख़ुशी का माहौल छा जाता है। उसकी किलकारी किसी संगीत से कम नहीं होती। सुनसान से रहने वाले घर में उसकी आवाज एक ऐसी जान दाल देती है जैसे प्यासी धरती पर पानी  बरसता है। क्या होती है हैं एक पिता की भावनाएं जब उसके घर में बेटा जन्म लेता है आइये जानते हैं इस बेटे के जन्म पर कविता में :-

बेटे के जन्म पर कविता

बेटे के जन्म पर कविता

रिश्तों की ये बगिया
तेरी खुशबू से महकाई है,
तेरे नन्हे-नन्हे क़दमों संग
इस घर में खुशियाँ आई हैं।

कब से कर रखी थी तेरे
आने की तैयारी
घर के सूनेपन में गूंजी
आज तेरी किलकारी,
पाकर तुझको लगा आज
मैंने सारी दुनिया पाई है
तेरे नन्हे-नन्हे क़दमों संग
इस घर में खुशियाँ आई हैं।

तेरे साथ है लौटा बचपन
लौटा बचपन का इक-इक पल
आज दिखाई देता मुझको
मेरा वो बीता हुआ कल,
सब कुछ लगता सपना
झूठी लगती ये सच्चाई है
तेरे नन्हे-नन्हे क़दमों संग
इस घर में खुशियाँ आई हैं।

प्यारी सबको लगती है
तेरे होठों की मुस्कान
आते ही बन बैठा है तू
सब घर वालों की जान,
तू ही लगता अपना
सारी दुनिया लगती परायी है
तेरे नन्हे-नन्हे क़दमों संग
इस घर में खुशियाँ आई हैं।

यही दुआ निकले दिल से
रोशन तू मेरा नाम करे
शान बढ़े जिससे मेरी
तू ऐसे अच्छे काम करे,
तुझे लेकर मैंने अपनी इक
अलग ही दुनिया सजाई है
तेरे नन्हे-नन्हे क़दमों संग
इस घर में खुशियाँ आई हैं।

रिश्तों की ये बगिया
तेरी खुशबू से महकाई है,
तेरे नन्हे-नन्हे क़दमों संग
इस घर में खुशियाँ आई हैं।

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