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सुबह की प्रेरणादायक कविता :- हर सुबह नयी शुरुआत है | Morning Poem In Hindi


हर सुबह कुछ कहती है। लेकिन हम कभी सोचने की कोशिश ही नहीं करते कि आखिर ये सुबह कहना क्या चाहती है? एक अँधेरी रात हर इंसान के जीवन में आती है इसी तरह परेशानियां भी सबके जीवन में आती हैं। लेकिन जिस तरह अँधेरी रात के बाद एक चमकदार सुबह आती है उसी तरह इन परेशानियों का हल करने के बाद खुशियाँ भी आती हैं। अगर किसी चीज की जरूरत होती है तो हर सुबह को जीवन की एक नई शुरुआत मान ने की और हर रोज एक नई उर्जा के साथ अपने नए दिन की शुरुआत करने की। आइये पढ़ते हैं ऐसी ही सुबह की प्रेरणादायक कविता :-  हर सुबह नयी शुरुआत है।

सुबह की प्रेरणादायक कविता

सुबह की प्रेरणादायक कविता

मत डर जो अँधेरी रात है
होने वाली अब प्रभात है,
ये अंत नहीं है जीवन का
हर सुबह नयी शुरुआत है।

है अन्धकार अब लुप्त हुआ
हर ओर प्रकाश अब होना है
उठ कर बढ़ना है आगे हमें,
न देर तलक अब सोना है,
तेज चमकना है हमको
सूरज की किरन है बता रही
पंछी की देखो मधुर ध्वनी
जग में है सबको जगा रही,
नयी सुबह है नया है मौका
आगे बढ़ने के जज़्बात हैं
ये अंत नहीं है जीवन का
हर सुबह नयी शुरुआत है।

कभी बादल होंगे धूप कभी
कभी शीत लहर कभी ताप
हिम्मत रखना तू संग सदा
करना न कभी संताप,
आगे बढ़ने को जीवन में
तू करता रह प्रयास
मेहनत तेरी रंग लाएगी
होगी पूरी हर आस,
कर खुद को तू मजबूत
कि सहने पड़ते बहुत अघात हैं
ये अंत नहीं है जीवन का
हर सुबह नयी शुरुआत है।

मंजिल मिलनी तो निश्चित है,
बस शर्त ये है तू बढ़ता जा,
मत रुकना कभी भी राहों में
सफलता की सीढ़ी चढ़ता जा,
व्यर्थ न होते प्रयत्न कभी ,
इस बात से न अनजान तू बन,
रच दे तू इक इतिहास नया,
इस विश्व में इक पहचान तू बन,
कष्ट के बाद ही सुख है मिलता,
जीवन का यही सिद्धांत है,
ये अंत नहीं है जीवन का
हर सुबह नयी शुरुआत है।

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धन्यवाद

15 Comments

  1. बहुत ही अच्छा लगा किन नकलची बंदर शब्द का प्रयोग करना चाहिए या नहीं इस पर इस ब्लॉग पर बहस हो रही है। इसी से पता चलता है कि कितने सकारात्मक लोग आपका ब्लॉग पढ़ते हैं। एक छोटा सा सुझाव है अगर आप अपनी हर कविता के नीचे अपना नाम लिख देते तो यह समझने में आसानी रहती की यह कविता किसने लिखी हुई है। धन्यवाद

    1. श्रीमान जो यहां पढ़ेगा उसको ही पता चलेगा। दूसरे पटलों पर अपना नाम कैसे बताएंगे ? और हमें हर बार कैसे पता चलेगा कि रचना किसने चोरी की है? रही सकारत्मकता की बात तो यह एक ऐसा पटल है जहां लोग खुद आते हैं अब वो क्या सोच रखते हैं ये तो उन्हीं को पता होगा।

      दुनिया है तो अच्छे और बुरे इंसान दोनों हैं। शायद ही कोई बुरे को अच्छा कहेगा।

    1. माफ़ कीजियेगा संगीता जी ऐसी भाषा का प्रयोग मजबूरन करना पड़ा मुझे। लेकिन ये आप ही बताएं जब आप मेहनत करें और कोई और उस मेहनत का फल चुराए तो उसके लिए कैसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए?

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