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माँ की याद में आप इस ब्लॉग पर पहले ही कुछ कविताएँ पढ़ चुके हैं। पर माँ के बारे में जितना भी लिखते जाओ उतना ही कम होगा। फिर भी एक और छोटी सी कोशिश उन लोगों के लिए की है जो आज भी जब अपनी माँ को याद करते हैं तो आँखों में आँसू अपने आप आ जाते हैं। आशा करता हूँ की ये कविता आपकी रूह को जरूर छू कर जायेगी। तो आइये पढ़ते हैं माँ की अहमियत पर कविता :-
माँ की अहमियत
हर रोज रात को अक्सर
मैं छुपके अकेले रोता हूँ
कोई होता न है पास मेरे जब
संग तेरी यादों के होता हूँ,
तू आएगी यूँ लगता है पर
उम्मीद नहीं है आने की
अब तो आदत सी पड़ती जाती है
रो-रो कर सो जाने की।
कभी डांट के मुझे खिलाती थी
रूठूं तो मुझे मनाती थी
अब फिक्र कहाँ कोई करता है
बस हंस के जमाना मिलता है,
एक खालीपन सा रहता है
मेरे मन के किसी एक कोने में
अब फर्क ही क्या पड़ता है
मेरे होने या न होने से,
लग गयी है बीमारी अब
तेरे ख्यालों में खो जाने की
अब तो आदत सी पड़ती जाती है
रो-रो कर सो जाने की।
तेरे जाने के बाद कहीं
लापता सा मेरा बचपन है
खामोश दीवारें हैं घर में
और एक अधूरापन है,
सहेज के रखता हूँ उन चीजों को
जो तेरे करीब हुआ करती थीं
अक्सर बैठ जाता हूँ वहाँ
जहाँ मेरे लिए तू दुआ करती थी,
तेरे सिवा याद कहाँ कुछ रहता है
भूल चुका हूँ मैं अदा भी मुस्कुराने की
अब तो आदत सी पड़ती जाती है
रो-रो कर सो जाने की।
माँ की अहमियत जीवन में
अब जाकर समझ आयी है
माँ, कितने ही जन्मों के
किये हुए पुण्यों की कमाई है,
माँ होती है तो एक मकान को
स्वर्ग सा घर बना देती है
किसी चीज की कमी नहीं होती
ऐसा वो दर बना देती है,
बिन माँ संसार वीरान लगता है
ख्वाहिश नहीं रहती कुछ पाने की
अब तो आदत सी पड़ती जाती है
रो-रो कर सो जाने की।
तू आएगी यूँ लगता है
पर उम्मीद नहीं है आने की
अब तो आदत सी पड़ती जाती है
रो-रो कर सो जाने की।
पढ़िए :- माँ पर बेहतरीन दोहे
देखिये इस कविता का विडियो :-
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Image Source :- Akhand Gyan
धन्यवाद।
6 comments
Mujhe duniya ki sbse bdi khusi tb milti h jb meri maaa Hasti h I miss u maaa
वाकई आपने रुला दिया, बहुत ही बेहतरीन रचनाएं हैं आपकी! धन्यवाद!
माँ अगर ये कहदे की मेरे को छोड़ के कहीं मत जाना बेटा तू ही तो है मेरा सहारा जो हर वक़्त मेरी ख़याल रखे तो मैं अपनी पूरी ज़िन्दगी अपने माँ के पास गुजार दूं
बहुत बढ़िया हिमांशु जी…..
अति सुंदर मित्र क्या खूब लिखा है प्रणाम है ऐसे माँ के लाल को
धन्यवाद शिवम श्रीवास्तव जी।