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साहस पर कविता :- एक दिन तो हार भी मानेगी हार | Sahas Par Kavita

by ApratimGroup
4 minutes read

साहस पर कविता / जीवन में संघर्ष न हो तो जीवन जीने का कोई अर्थ नहीं रह जाता। संघर्ष करने वाले इन्सान के अन्दर आगे बढ़ने में भय की भावना नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो वो आगे नहीं बढ़ सकता। इसके लिए जरूरी है खुद में आत्मविश्वास लाना और हर चुनौती को सहर्ष स्वीकार करना। आइये ऐसा ही सन्देश कविता पढ़ते हैं :-

साहस पर कविता

साहस पर कविता

जीवन का हर क्षण खुल कर जी
हर गम का प्याला हंस कर पी,

न जीवन से तू इतना डर
दृढ विश्वास हृदय में भर,
असंभव को संभव कर
सोच को ले जा अम्बर पर,
बहुत सहा अब न होठों को सी
जीवन का हर क्षण खुल कर जी।

भयभीत नहीं खुद को फौलाद बना
राह में चाहे अँधेरा हो अत्यंत घना,

तेरे कारनामों से सुलझे उलझे धागे
चीर के हर मुश्किल को बढ़ आगे,
तेरा नाम सुन के सोया जग जागे
गर्व हो मातृभूमि को ऐसा हो सापना
भयभीत नहीं खुद को फौलाद बना।

एक दिन तो हार भी मानेगी हार
संघर्ष व आस तुझे लगाएगी पार,

जगत ने तेरे सपनों को झूठा समझा
अब इतना अपने कार्य में रम जा
काबिल पतंग बन तू मजबूत हो मांझा
फिर बढ़ाएं भी तेरा करेंगी सत्कार
एक दिन तो हार भी मानेगी हार।

कल क्या हुआ भुला दो वो था अतीत
कुछ तो लोग कहेंगे है यह जग की रीत,

बहुत सहा अब कर हालातों तू को ढेर
स्वयं के अन्दर झाँक तेरे अन्दर भी है शेर,
तेरा होगा जमाना बस जागने की है देर
प्रयास कर, अंत में होगी तेरी ही जीत
कल क्या हुआ भुला दो वो था अतीत।

अब मेहनत की भट्टी में खुद दे तू झोंक
अति तीव्र पवन भी जिसे सके न रोक,

स्वयं को समझ न कभी अकेला
तेरी जिद से खिलेगी पतझड़ में बेला,
सफल वही जिसने विपत्तियों को झेला
सहजता से अपमान को उर में ले तू सोख
अब मेहनत की भट्टी में खुद दे तू झोंक।

असफलता के आगे झुका कभी न शीश
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का है तुझको आशीष,
हृदय में जला ज्वालामुखी की आग
हालातों से भयभीत होकर न तू भाग,
चलता जा तू सदा गाता लक्ष्य का राग
जगत के आगे अपने लिए मांग कभी न भीख
असफलता के आगे न झुका कभी न शीश।

पढ़िए मानव में हिम्मत और हौसला भर देने वाली यह कविताएं :-


नमस्कार प्रिय मित्रों.

suraj kumar

मेरा नाम सूरज कुमार है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए। क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

‘ साहस पर कविता ‘ के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

धन्यवाद।

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2 comments

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Satyam सितम्बर 6, 2022 - 1:04 अपराह्न

मान्यवर,आपकि कविता यदि कोई अपने आवाज़ मे गान करेगा और utube डालेगा तब आप कॉपीराइट क्लेम कर देंगे, फिर आपकी रचना को कोई कैसे पढ़ेगा, कोई दूसरा ना गा सकता ना कहीं पढ़ के अपलोड ही कर सकता हैँ|

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Ojasvi अक्टूबर 11, 2019 - 12:56 अपराह्न

I seriously love this poem ❤️ This is soo inspirational ????

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