जीवन में मित्र का होना बहुत जरूरी है। एक मित्र ही होता है जिसके साथ हम बहुत कुछ बाँट सकते हैं। जो हमारे कई राजों का राजदार होता है। वो मित्र एक पिता हो सकता है, एक पत्नी हो सकती है, कुदरत हो सकती है। कोई भी हमारा मित्र हो सकता है बस जरूरत है तो उसे दिल से अपनाने की। आइये पढ़ते हैं उसी मित्रता को समर्पित मित्रता पर दोहे :-
मित्रता पर दोहे
1.
उसको ही मित्र बनाइये, जो न छोड़ता हाथ ।
विपदा जब कोई पड़े, हर पल देता साथ ।।
2.
सखा सुदामा कृष्णा से, रहे न अब इस लोक ।
स्वार्थ भरी है मित्रता, जग में फैला शोक ।।
3.
माँ सी ममता दे हमें, गलती पर दे डांट ।
मित्र कहाता है वही, दुख जो लेता बाँट ।।
4.
प्रेम भरी मन भावना, अविचल सा विश्वास ।
प्राणों से प्यारा हमें, मित्र हमारा ख़ास ।।
5.
पवन मंगल आचरण, निर्मल निर्मित मान ।
ज्ञानी साथी कर सके, हर दुविधा आसान ।।
6.
सखा कर्ण सा चाहिए, रखे मित्र की लाज ।
जैसी इच्छा मित्र की, वही करे वह काज ।।
7.
मानव सच्चा है वही, कर्म करे जो नेक ।
तीन मित्र उसके रहें, सुबुद्धि ज्ञान विवेक ।।
8.
दोषमुक्त हमको करे, देकर सच्चा ज्ञान ।
सबका जो आदर्श हो, ऐसा मित्र महान ।।
9.
पति पत्नी में मित्रता, ऐसा करे कमाल ।।
जीवन की गाड़ी चले, मक्खन जैसी चाल ।।
10.
कुदरत से कर मित्रता, ओ मानव नादान ।
जीवन देती है सदा, इश्वर का वरदान ।।
‘ मित्रता पर दोहे ‘ आपको कैसे लगे? अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स के जरिये जरूर बताएं।
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धन्यवाद।