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नटवरलाल की कहानी | सदी के सबसे बड़े ठग मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव

by Sandeep Kumar Singh
8 minutes read

( Natwarlal Real Story In Hindi ) नटवरलाल की कहानी इस विश्व में हर प्रकार की ऐसी घटना हो सकती है जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते। आप लोगों ने एक मुहावरा तो सुना ही होगा “आँखों से काजल चुराना”। लेकिन ऐसा करते हुए किसी को नहीं देखा होगा। लेकिन एक ऐसा शख्स भी था जिसके लिए ये भी मुमकिन था। अगर उसे मौका मिला होता तो शायद वो दुनिया के सात अजूबे भी बेच देता। उसमे एक गज़ब का हुनर था। जिसे शायद अगर वो सही काम में लगता तो आज दुनिया में उसका कुछ और ही मुकाम होता। उसका नाम था “नटवर लाल”। जानिए नटवरलाल की कहानी ।

नटवरलाल की कहानी

नटवरलाल की कहानी

नटवर लाल का जन्म बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गाँव में हुआ था। वैसे तो इनका नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था। परन्तु ठगी की घटना को नटवर लाल के नाम से ज्यादा अंजाम देने के कारण ये इस नाम से मशहूर हो गए। ये सिलसिला यहीं नहीं रुका। नटवर लाल एक ऐसा मुहावरा बन गया कि अगर आ कोई ठगी की कोशिश या मजाक करे तो उसे लोग उसकी तुलना नटवर लाल से करने लगते हैं। नटवर लाल ने ये सब शुरू कैसे किया और उसके बाद क्या-क्या किया आइये पढ़ते हैं।

नटवर लाल ने वकालत पढ़ रखी थी। लेकिन उसका वकालत में मन नहीं लगा। वो तो कुछ और ही करना चाहता था तो उसने ठगी व चोरी का रास्ता चुन लिया। उसकी सबसे पहली चोरी 1000 रूपए कि थी। जो कि उसने अपने पडोसी के नकली हस्ताक्षर कर उनके बैंक खाते से निकलवाए थे। उसे तब यह ज्ञान हुआ कि वो किसी के भी जाली दस्तखत कर सकता है। बस फिर क्या था उसने इस हुनर का बखूबी उपयोग किया।

नटवरलाल को ज्यादा अंग्रेजी नहीं आती थी। लेकिन जितनी आती थी वो उसके लिए काफी थी। अगर और ज्यादा अंग्रेजी आती होती तो शायद भारत ही नहीं विदेशों में भी उसके कारनामों की कहानियां सुनाई जाती। एक बार उसके पड़ोस के गाँव में उस समय के राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद आये हुए थे। नटवर लाल को उस समय डा. राजेंद्र प्रसाद से मिलने का मौका मिला।



नटवर लाल ने उनके सामने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के भी हुबहू हस्ताक्षर कर के सबको हैरान कर दिया। डा. राजेंद्र प्रसाद नटवर लाल से काफी प्रभावित हुए। नटवर लाल ने उन्हें कहा कि यदि आप एक बार कहें तो मै विदेशियों को उनका कर्जा वापस कर उन्हें भारत का कर्जदार बना सकता हूँ। तब डा. राजेंद्र प्रसाद ने उसे समझाते हुए साथ चलने को कहा और नौकरी दिलवाने का भी आश्वासन दिया। पर नटवर को अब नौकरी कहाँ सुहाती थी। वो तो बस अपनी मन मर्जी करना चाहता था।

अब तो उसके हाथ ऐसा जादुई चिराग लग चुका था जिससे वो कुछ ऐसा करने वाला था जो कोई साधारण व्यक्ति सोच भी नहीं सकता। वो जादुई चिराग था “राष्ट्रपति के हस्ताक्षर”। जिनका प्रयोग कर उसने तीन बार ताजमहल, दो बार लाल किला और एक बार राष्ट्रपति भवन बेच दिया। वो इतने पर ही नहीं रुका, बढ़ता ही चला गया। आज के ज़माने में हम एक विषय के बारे में अक्सर चर्चा करते हैं कि फलाना मंत्री बिका हुआ है, फलाना अफसर बिक चुका है। लेकिन क्या कभी कोई सोच सकता था कि कोई मंत्रियों को ही बेच दे। नटवर लाल ने ऐसा कर दिखाया था। उसने संसद भवन को उसके 545 संसद सहित बेच दिया था।

नटवर लाल ने सिर्फ सरकार को ही नहीं अपितु धीरुभाई अम्बानी, टाटा और बिरला जैसे बड़े उद्योगपतियों को भी अपना शिकार बनाया। वैसे उसके ज्यादातर शिकार सरकारी कर्मचारी हुआ करते थे या फिर मध्यमवर्गीय परिवार के लोग। नटवर लाल अब एक बहुत बड़ा अपराधी बन चुका था। उस पर 8 राज्यों में 100 से ऊपर अपराधिक मामले दर्ज थे। 30 अपराध तो ऐसे थे जिसकी सजा मिल ही नहीं पायी थी।

वो अपने पूरे जीवनकाल में 9 बार पकड़ा गया था। अगर उसे मिली सजाओं को जोड़ा जाए तो उसे कुल 11 साल कि सजा हुयी थी। उसने जो सजा पूरी की वो 20 साल से भी कम की थी। इसका कारण था उसका नाटकीय ढंग से भाग जाना। वो जितने नाटकीय ढंग से पकड़ा जाता उससे भी ज्यादा नाटकीय तरीके से वो भागने में कामयाब हो जाता।

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एक बार 75 वर्ष की आयु में 3 हवलदार नटवर लाल को पुरानी दिल्ली की तिहाड़ जेल से कानपुर जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर लखनऊ मेल पकड़ने के लिए आये। नटवरलाल जोर-जोर से हांफने लगा और एक हवलदार से बीमारी का बहन लगा उसे दवाई लाने को कहा। तबियत बिगड़ी समझ एक हवलदार दवाई लेने चला गया।

तभी नटवर लाल ने अपना दूसरा दांव खेला और एक हवलदार को कहा कि तुम जल्दी से पानी ले आओ वरना जान निकल जाएगी। अब बचा था एक हवलदार तो नटवर लाल ने बाथरूम का बहना लगाया। उसका हाथ में रस्सी बंधी हुयी था। जैसे ही वो हवलदार नटवर लाल को लेकर बाथरूम के पास पहुंचा तो देखा कि उसके हाथ में बस रस्सी ही थी। नटवर लाल रफू-चक्कर हो गया था। इसके बाद उन तीनों हवलदारों को निलंबित कर दिया गया।

नटवर लाल 1996 में आखिरी बार गिरफ्तार किया गया था और कानपुर की जेल में रखा गया था। वृद्धावस्था होने के कारण उनका तबीयत ख़राब रहने लगा। एक बार अदालत के आदेश पर जब उसे इलाज के लिए एम्स (AIIMS) ले जाया जाने लगा तो दो हवलदार, एक डॉक्टर और एक सफाई कर्मचारी को झांसा देकर कब गायब हो गया किसी को पता ही नहीं चला। इसके बाद नटवर लाल का कुछ पता नहीं चला।

कहते है वो आखिरी बार दरभंगा के रेलवे स्टेशन पर देखा गया था। नटवर लाल को बहुत पहले से जाने वाले एक थानेदार ने उसे देखा था। लेकिन जैसे वो थानेदार अपने साथियों को लेकर दुबारा वहां पहुंचा नटवर लाल गायब था। शायद नटवर लाल ने भी उन्हें देख लिया होगा। उसकी मौत आ भी एक ऐसा रहस्य बनी हुयी है जो अब तक सुलझाई नहीं जा सकी है। इस कारण ही उसके खिलाफ कई अपराधों की सुनवाई लंबित पड़ी है और कई फाइलें अभी भी खुली हुयी हैं। नटवर लाल को अपने किये पर कोई पछतावा नहीं था। उसके अनुसार वह बहाने से पैसे मांगता था और लोग उसे दे देते थे।

एक बार एक जज ने नटवर लाल से पुछा कि ऐसा कैसे संभव हो सकता है तो उसने कहा साहब मैं अपनी बातों से किसी से भी अपना मनचाहा काम करवा सकता हूँ। आप मुझसे 10 मिनट बात कर लें बस उसके बाद आप खुद मुझे बाइज्जत बरी कर देंगे।

अगर बात करें नटवर लाल के परिवार की तो उनकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी। उनकी कोई संतान नहीं थी और परिवार वालों ने उसके कारनामों के कारण उसको परिवार से बहार निकल दिया था। उसका भाई दावा करता है कि 1996 में नटवर लाल कि मौत हो चुकी थी लेकिन नटवर लाल के मरने के कोई पुख्ता सबूत आज तक नहीं मिले हैं। इस तरह सदी का महान ठग अपनी मौत से भी सब को धोखा दे गया।

पढ़िए- दुनिया के 7 अजूबे | Seven Wonders Of The World Detail Info In Hindi

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धन्यवाद।

आपके लिए खास:

31 comments

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Krishan tamspuriya मार्च 27, 2021 - 7:25 अपराह्न

Bhai ye kahani hai ya hkikat mja bhut aaya pad kar

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 22, 2021 - 11:27 अपराह्न

कृष्णा जी हमारी जानकारी के अनुसार यह हकीकत ही है…

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Nandan kumar जनवरी 26, 2021 - 9:57 अपराह्न

Hi sir,Aap Ka content mujhe kavi Pasand aa Raha hai sir Mai new YouTube channel banaya hu aap se aagrah hai ki aapki content Ka Kuch important chiz Mai le sakuu aapki permission mil jaaye to aacha rahegaa.

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Chandan Bais
Chandan Bais जनवरी 27, 2021 - 10:26 पूर्वाह्न

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Abhishek फ़रवरी 13, 2019 - 10:38 अपराह्न

आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है
हमको बहुत गर्व होती है कि उनके पास उतना tailent था और वो हमारे जिले के निवासी थे

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 14, 2019 - 7:08 अपराह्न

बहुत अच्छा है अभिषेक जी… अच्छा लगा सुन कर कि वो आपके जिले के निवासी थे..

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Rupesh सितम्बर 6, 2018 - 9:49 पूर्वाह्न

बहोत अच्छी जानकारी मिली
पर नटवरलाल से सम्बंधित ओर जानना था

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 10, 2018 - 12:49 अपराह्न

आप जो जानना चाहते हैं कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं रुपेश जी। हम आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास जरूर करंगे।

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Vashu जनवरी 1, 2018 - 10:26 अपराह्न

Bahut accha laga aapki di hui jankari ka bahut bahut dhanywad…. Kya aap Abu Salem (underworld don) ki story bata sakte hai

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 3, 2018 - 9:58 अपराह्न

जी हम प्रयास करेंगे परन्तु हमारा उद्देश्य सकारात्मक लोगों और कुछ ऐसे लोगों के बारे में जानकारी देना है जिनके बारे में कुछ रोचक तथ्य हो जिन्हें पढने में आनंद आये| धन्यवाद

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passwan gautam नवम्बर 3, 2017 - 4:55 अपराह्न

V butiful

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh नवम्बर 3, 2017 - 7:59 अपराह्न

धन्यवाद पासवान गौतम जी।

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rameshwer सितम्बर 19, 2017 - 1:13 अपराह्न

Super story

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 20, 2017 - 6:41 पूर्वाह्न

Thanks Rameshwar ji….

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गणेश कुमार बीरपुर थाना शाहपुर भोजपुर सितम्बर 1, 2017 - 8:46 अपराह्न

अपने जीवन मे बहुत खुश रहते है नटवर लाल की कहानी जान कर हमें ऐसे बिहारियो पर गर्व है जो कि बिहार से ही ऐतिहासिक आंदोलन किया गया है कुछ कार्य पहली बार ही बिहार के महापुरुष और बिहार से ही हुवा है धन्यवाद

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 3, 2017 - 9:03 अपराह्न

गणेश कुमार जी ये तो अपने-अपने विचार हैं। कोई इंसान की कला को सराहता है कोई उसमें कमियां निकालता है। हमने तो इसे एक जानकारी के तौर पर पेश किया है।

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chandan kumar अगस्त 22, 2017 - 1:45 अपराह्न

very nice story

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 23, 2017 - 1:06 अपराह्न

Thanks chandan kumar ji…

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gulab alam अगस्त 17, 2017 - 9:14 अपराह्न

Wah bahut khub , achhi lagi ye kahani

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 18, 2017 - 12:17 अपराह्न

धन्यवाद गुलाब आलम जी।

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विवेक कुमार झा अगस्त 13, 2017 - 11:13 अपराह्न

कहानी बहुत ही मजेदार थी,मज़ा आ गया भाई।

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deepak अगस्त 8, 2017 - 11:30 अपराह्न

Dhanyabad natbarlal

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Ankit kumar jha जून 21, 2017 - 5:29 अपराह्न

Bahut achchhi kahani hai maza aa gaya padh kar ye kahani post karne ke liye dhanyawaad isi tarah ki kahani aur bhi post

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जून 21, 2017 - 10:01 अपराह्न

धन्यवाद Ankit kumar jha जी….हमारा यही प्रयास रहता है कि रोचक व महत्वूपर्ण जानकारी आप जैसे पाठकों तक पहुंचाते रहें। इसी तरह हमारे साथ बने रहें।

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त्रिभुवन कुमार प्रसाद मई 12, 2017 - 11:01 पूर्वाह्न

बहुत बढ़िया जानकारी दिया है मुझे गर्व है ऐसे बिहारी पर

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mukesh अप्रैल 20, 2017 - 9:11 पूर्वाह्न

नटवर की कहानी शानदार आपको कोटि कोटि नमन

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 20, 2017 - 3:19 अपराह्न

सराहना के लिए धन्यवाद Mukesh जी………….

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chandan kumar अक्टूबर 1, 2016 - 3:32 अपराह्न

nice

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Mr. Genius
Mr. Genius अक्टूबर 1, 2016 - 3:46 अपराह्न

Thanks Chandan …..

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Banshi जुलाई 17, 2016 - 9:42 अपराह्न

Wah Natvar laal ji….chuna lagane me expert…hahahaha.

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Mr. Genius
Mr. Genius जुलाई 17, 2016 - 10:10 अपराह्न

Banshi ji aise ye ek hi the….

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