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बेटी बचाओ कविता – बदल रहा ये देश ये दुनिया | Save Girl Child Hindi Poem

by Sandeep Kumar Singh

हमारे देश में अकसर ये देखा जाता है कि लोग किसी के साथ कुछ बुरा होने पर एकजुट हो जाते हैं। लेकिन ऐसी नौबत आती क्यों है? इस समय हमारे समाज में जो सबसे बड़ी समस्या है वह है स्त्रियों की रक्षा। चाहे वो बेटी हो या पत्नी इनके बिना दुनिया का अस्तित्व कुछ नहीं। इसी से संबंधित बेटी बचाओ कविता हमने लिखने की कोशिश की है। पढ़िए ये बेटी बचाओ कविता – बदल रहा ये देश ये दुनिया।


बेटी बचाओ कविता – बदल रहा ये देश ये दुनिया

बेटी बचाओ कविता

बदल रहा ये देश ये दुनिया, उत्तम समाज हमारा हो।
बात करें जो अनैतिक कोई, किसको यहाँ गवारा हो,
बदल रहा ये देश ये दुनिया, उत्तम समाज हमारा  हो।

जो सच हूँ मैं लेकर आया, उसने मुझे सारी रात जगाया,
सिक्के के पहलू दो होते, धरती के इंसान ने सिखाया।
समझेगा ये बात वही, जिसने वो वक्त निहारा हो,
बदल रहा ये देश ये दुनिया, उत्तम समाज हमारा  हो।

बेटी को बचाने की खातिर, चलते अब आन्दोलन हैं,
लेकिन कोई क्या जाने, भीतर से इनका क्या मन है,
बेटी का सम्मान सब चाहें, पर सोचे घर न हमारा हो,
बदल रहा ये देश ये दुनिया, उत्तम समाज हमारा  हो।

दहेज़ कि आग में है जलती, देखो बेटी इक बाप की,
फिर भी इनको फर्क न पड़ता, न होती ग्लानि किये पाप की,
बहु चाहिये दौलत वाली, जमाई वो जो सहारा हो,
बदल रहा ये देश ये दुनिया, उत्तम समाज हमारा  हो।

हम घूमें लेकर मोमबत्तियाँ, सड़कों और चौराहों पर,
मैं पूछूं क्यों महफूज नहीं है, बेटी इन चलती राहों पर,
मरी हुयी ज़मीर जो जागे, तो शायद कुछ और नज़ारा हो,
बदल रहा ये देश ये दुनिया, उत्तम समाज हमारा  हो।

बेटी है कोई बोझ नहीं है, इस बात को अब समझो यारों,
बेटों से बढ़कर हैं होतीं, इन्हें कोख में न मारो,
बिन पत्नी , बेटी , माँ, बहन के, कभी न किसी का गुजारा हो,
बदल रहा ये देश ये दुनिया, उत्तम समाज हमारा हो।

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धन्यवाद।

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3 comments

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Akshat lohani February 2, 2020 - 9:14 PM

Nice i love it

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mehar Singh September 29, 2018 - 1:10 PM

very good

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh September 30, 2018 - 10:20 PM

Thanks Mehar Singh ji….

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