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जीवन में माँ का स्थान कोई नहीं ले सकता। माँ धरती पर साक्षात भगवन का रूप है। जो परिवार के हर सदस्य का ख्याल रखती है। उसी माँ को समर्पित है ” माँ पर कुछ पंक्तियाँ “
माँ पर कुछ पंक्तियाँ
माँ तुम
उजाला हो
अँधकार में जलते दीप का
चमकता मोती हो
सागर की सीप का ।।
तुम्हारे ,
स्मृति कुठला से
दुखों के
न जाने कितने
कितने धान्य
उपजे हैं
हँसते लहलहाते,
माँ
तुममें मिट्टी की
सौंधी सौंधी खुशबू है
जो हर मौसम में
महकती है,
माँ तुम
धरती के चारों मौसम
अखण्ड ब्रह्मांड ,
भोर का चमकता ध्रुव तारा हो
दुखों की चादर ओढ़े
सुहानी बादे-सबा हो
प्रकृति के सब अंगों में तुम हो
फूल,फल,तितली, पेड़ परिंदा
झरना,पहाड़, बादल, बिजली
चाँद सूरज जीव जानवर
सब में तुम बसती हो माँ
तुम भाव हो, गरिमा हो ,गौरव हो
वेदों की ऋचाएं हो
माँ तुम सुन्दर हो
सुंदरतम हो
ज़ाफ़रान हो
अपने परिवार का
बेशक़ीमती पुखराज हो ।
✍ अंशु विनोद गुप्ता
अंशु विनोद गुप्ता जी एक गृहणी हैं। बचपन से इन्हें लिखने का शौक है। नृत्य, संगीत चित्रकला और लेखन सहित इन्हें अनेक कलाओं में अभिरुचि है। ये हिंदी में परास्नातक हैं। ये एक जानी-मानी वरिष्ठ कवियित्री और शायरा भी हैं। इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें गीत पल्लवी प्रमुख है।
इतना ही नहीं ये निःस्वार्थ भावना से साहित्य की सेवा में लगी हुयी हैं। जिसके तहत ये निःशुल्क साहित्य का ज्ञान सबको बाँट रही हैं। इन्हें भारतीय साहित्य ही नहीं अपितु जापानी साहित्य का भी भरपूर ज्ञान है। जापानी विधायें हाइकू, ताँका, चोका और सेदोका में ये पारंगत हैं।
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